लाहौर स्थित गद्दाफी स्टेडियम का नाम जल्द ही बदलने वाला है. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के चेयरमैन रमीज राजा ने खुद इस बात का ऐलान किया है. उन्होंने कहा है कि स्पॉन्सरशिप हासिल करने के उद्देश्य से इस स्टेडियम का नाम बदला जाएगा. रमीज राजा ने यह भी कहा कि लाहौर के स्टेडियम के बाद कराची व अन्य स्टेडियम के नाम भी बदले जाएंगे.


रमीज राजा ने बताया, 'महज गद्दाफी स्टेडियम ही नहीं बल्कि कराची के स्टेडियम और अन्य कई स्टेडियमों के नाम भी बदले जाएंगे. जैसे ही लाहौर के लिए डील फाइनल होगी वैसे ही गद्दाफी नाम की जगह स्पॉन्सर करने वाली कंपनी का नाम आ जाएगा.'


इस दौरान राजा ने यह भी स्पष्ट किया कि स्टेडियम का नाम व्यावसायिक उद्देश्य के लिए बदला जा रहा है, इसमें किसी तरह का कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है.


ऐसा है लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम का इतिहास
साल 1959 में यह स्टेडियम बनकर तैयार हुआ था. तब इसे लाहौर स्टेडियम नाम दिया गया था. लेकिन 1974 में लीबिया के तानाशाह मुअम्मर अल-गद्दाफी जब लाहौर आए थे तो उन्होंने यहां हुई इस्लामिक कॉन्फ्रेंस में परमाणु हथियार बनाने को पाकिस्तान का अधिकार बताया था. पाकिस्तान के पक्ष में दिए इस भाषण के बाद तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो ने इस सबसे खास पाकिस्तानी स्टेडियम का नाम इस लीबियाई नेता के नाम पर रख दिया था. तभी से लाहौर स्टेडियम को गद्दाफी स्टेडियम कहा जाता है.


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