टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर लवलीना बोरगोहेन देश के भीतर एक बड़ी स्टार बनकर उभरी. लेकिन लवलीना को अचानक से बड़ा स्टार बनने की कीमत भी चुकानी पड़ी. लवलीना ने कहा कि ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद समारोहों के अनवरत सिलसिले और मुक्केबाजी रिंग से बाहर की अन्य व्यस्तताओं से उनका ध्यान भटका और अभ्यास प्रभावित हुआ.


टोक्यो ओलंपिक की पदक विजेता ने कहा कि पिछले महीने विश्व चैम्पियनशिप के दौरान वह मानसिक रूप से मजबूत महसूस नहीं कर रही थी. टोक्यो ओलंपिक के बाद यह उनका पहला टूर्नामेंट था और वह प्री क्वार्टर फाइनल में हार गई .


उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों के लिये 70 किलो वर्ग में भारतीय टीम में जगह बनाने के बाद कहा, ''विश्व चैम्पियनशिप में मैं मानसिक रूप से मजबूत महसूस नहीं कर रही थी. मैं फोकस नहीं कर पा रही थी. मैंने उस पर काम किया है. मेरा लक्ष्य तोक्यो में स्वर्ण पदक जीतना था लेकिन मैं नहीं जीत सकी. उसके बाद मैं लगातार अभ्यास करके अगली स्पर्धा में अच्छे प्रदर्शन के बारे में सोचती रही.''


नए भारवर्ग में आजमाएंगी किस्मत


लवलीना ने आगे कहा, ''टोक्यो के बाद लोगों की अपेक्षायें बढ गई. मुझे कई समारोहों में भाग लेना पड़ा और आप मना नहीं कर सकते वरना लोग कहेंगे कि पदक जीतने के बाद अहंकारी हो गई है. इससे अभ्यास पर असर पड़ा. एक खिलाड़ी को फोकस बनाये रखने के लिये समय चाहिये होता है. मुझे लगा नहीं था कि इन सबसे अभ्यास प्रभावित होगा लेकिन ऐसा हुआ.''


नये भारवर्ग आने के बाद लवलीना अब 66 किलो की बजाय 75 किलो में उतरेगी. उन्होंने कहा, ''मैंने 75 किलो का सोचा है लेकिन मेरा वजन उतना बढा नहीं है तो मैं राष्ट्रमंडल खेलों के बाद फैसला लूंगी.''


वहीं विश्व चैम्पियन निकहत जरीन ने भी राष्ट्रमंडल खेलों के लिये टीम में जगह बनाई है लेकिन उनका मानना है कि नये भारवर्ग में कुछ पहलुओं पर काम करना होगा. स्ट्रांजा मेमोरियल में 52 किलोवर्ग में भाग लेने के बाद एशियाई खेलों के लिये उन्होंने 51 किलो में तैयारी की. फिर विश्व चैम्पियनशिप के लिये 52 किलो में और अब राष्ट्रमंडल खेलों में 50 किलोवर्ग में उतरेगी.


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