महेन्द्र सिंह धोनी को दुनिया का बेस्ट फिनिशर माना जाता है. अकेले दम पर उन्होंने भारत को कई बार जीत दिलाई लेकिन पिछले कुछ अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में उनकी चमक फीकी होती दिखी. जिसे लेकर धोनी की आलोचनाएं भी हुई. हालाकि धोनी अभी भी वनडे और टी 20 टीम के मजबूत स्तंभ हैं और अगले विश्व कप तक तो उनका टीम के साथ रहना तय है. धोनी को लेकर तो आईपीएल 11 से पहले भी सवाल उठे थे लेकिन धोनी ने बदले हुए अंदाज में बल्लेबाजी करते हुए सभी आलोचकों को करारा जवाब दिया. आईपीएल की चमक को बरकरार रखने और ब्रिटेन दौरे पर इसे दोहराने के लिए धोनी दुनिया की नजरों से दूर एकांत में अपनी बल्लेबाजी को चमकाते हुए दिखे.
ऐसा देखा गया है कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए एकांत में प्रैक्टिस करना पसंद करते है. धोनी अब उस श्रेणी में आ चुके हैं और उन्हें भी ऐसा ही करते देखा गया. धोनी लोगों की नजरों से दूर ब्रिटेन दौरे से पहले राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में नेट पर पसीना बहाते हुए देखे गए. महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर भी अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के आखिरी के कुछ वर्षों में मुंबई के ब्रांद्रा कुर्ला सेंटर में खुद ही अभ्यास करते थे और एनसीए में धोनी का प्रैक्टिस सेशन भी कुछ ऐसा ही है.
थ्रो डाउन पर की प्रैक्टिस
भारत को अगला दौरा इंग्लैंड का करना है और वहां की उछाल और तेज पीचों के लिए थ्रो डाउन पर प्रैक्टिस सबसे अधिक उपयुक्त है. धोनी ने सैकड़ों गेंदों का सामना किया जिसमें से लगभग 70 प्रतिशत थ्रो - डाउन से की गयी थी.
यो-यो टेस्ट के बाद बैटिंग टेस्ट
धोनी बैंगलुरू के एनसीए में इंग्लैंड दौरे के लिए चुनी गई टीमों के साथ यो-यो टेस्ट के लिए आए थे जोकि 15 जून को हुआ. टीम में बने रहने के लिए हर किसी को इस टेस्ट में पास करना ही होता है. धोनी इस टेस्ट को पास करने के बाद यहीं रूके रहे जबकि दूसरे खिलाड़ी चले गए.
धोनी को मिला ठाकुर और कौल का साथ
धोनी राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में थ्रो डाउन के गुरु माने जाने वाले रघु और तेज गेंदबाज शारदुल ठाकुर के साथ यहां पहुंचे और लगभग ढाई घंटे तक 18 गज की दूरी से थ्रो - डाउन पर बल्लेबाजी की. ठाकुर भी बीच-बीच में गेंदबाजी करते रहे. लगातार दो घंटे प्रैक्टिस करने के बाद धोनी ने छोटा सा ब्रेक लिया और फिर से बल्लेबाजी में जुट गए. इस दौरान सिद्धार्थ कौल यहां आ गए और उन्होंने भी पूर्व भारतीय कप्तान को गेंदबाजी की.
खेले हर तरह के शॉट
थ्रो - डाउन में धीरे - धीरे गेंद की गति बढायी गयी और इस दिग्गज ने शॉर्ट गेंद के साथ बैक लेंथ गेंदों का समाना किया. उन्होंने कुछ गेंदों को रक्षात्मक तरीके से खेला तो कुछ का सामना उन्होंने आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़कर किया. जब भी उन्हें थोड़ी जगह मिलती वह अपने अंदाज में गेंद पर तेजी से प्रहार करते देखे गए.
धोनी शार्दुल को काल्पनिक फील्ड सेट करने को कहा जिसके बाद शार्दुल ने उन्हे मिड-विकेट, एक्स्ट्रा कवर और डीप फाइन लेग में काल्पनिक फील्डर रखने का इशारा किया और फिर धोनी ने उनको ध्यान में रखते हुए शॉट खेले.
कम हो गया है रिफ्लैक्स एक्शन
उम्र बढ़ने का सबसे बड़ा असर रिफ्लैक्स एक्शन पर पड़ता है और ऐसे बल्लेबाजों को तो सबसे ज्यादा समस्या होती है जो हैंड-आई कॉम्बीनेशन से खेलते हैं. धोनी का रिफ्लैक्स पहले की तरह नहीं दिखा और वह कई गेंद खेलने में नाकाम रहे लेकिन जो गेंद उनके बल्ले पर आती उससे शानदार आवाज निकलती थी.
सेशन खत्म होने के बाद ड्रेसिंग रूम की तरफ जाते समय धोनी की नजर जब वहां मौजूद दो पत्रकारों पड़ी तो उन्होंने कहा , ‘‘भनक लग गई (धोनी की मौजूदगी का पता चल गया)’’