क्रिकेट में हमेशा से ही बल्लेबाज़ों का बोलबाला रहा है. जब से टी-20 क्रिकेट शुरू हुआ है, तभी से गेंदबाज़ों के लिए मुश्किलें और बढ़ गई हैं, लेकिन इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि टी-20 क्रिकेट शुरू होने के बाद से बल्लेबाज़ों के बैटिंग स्टाइल में भी बदलाव देखने को मिले हैं. एक समय पर कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि कभी वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक भी देखने को मिलेगा.
सचिन ने जड़ा पहला दोहरा शतक
मैंस वनडे क्रिकेट में सबसे पहले दोहरा शतक सचिन तेंदुलकर ने जड़ा था. सचिन ने ये दोहरा शतक द. अफ्रीका के खिलाफ ग्वालियर के मैदान पर जमाया था. सचिन ने ये डबल सेंचुरी 24 फरवरी 2010 को जड़ी थी. सचिन के इस शतक के साथ ही 40 साल का इंतज़ार भी खत्म हो गया था. क्योंकि ODI क्रिकेट की शुरुआत 1971 में हुई थी लेकिन साल 2010 तक कोई भी बल्लेबाज दोहरा शतक नहीं बना पाया था.
अभी तक 6 बल्लेबाजों ने जड़े दोहरे शतक
वनडे क्रिकेट में दोहरे शतक लगाने के मामले में भारतीय बल्लेबाजों का दबदबा रहा है. अभी तक कुल 8 बार वनडे में दोहरा शतक लगाया जा चुके है, जिनमें से 5 भारत के नाम दर्ज है. रोहित शर्मा इंटरनेशनल वनडे में तीन दोहरा शतक लगाने वाले दुनिया के एकलौते बल्लेबाज हैं.
रोहित और सचिन तेंदुलकर के अलावा वीरेंद्र सहवाग भी यह कमाल कर चुके हैं. इन भारतीयों के अलावा क्रिस गेल (वेस्टइंडीज), मार्टिन गप्टिल (न्यूजीलैंड) और फखर जमान (पाकिस्तान) इस ग्रुप में शामिल है. इन बल्लेबाज़ों में एक बल्लेबाज़ ऐसा भी है, जिसने सिर्फ दो अंगुलियों के सहारे ही दोहरा शतक जड़ा है.
दो अगुलियों के सहारा जड़ा दोहरा शतक
न्यूज़ीलैंड के तेज़-तर्रार बल्लेबाज़ मार्टिन गुप्टिल ने साल 2015 में खेले गए वर्ल्ड कप में दोहरा शतक जड़ा था. उन्होंने ये दोहरा शतक वेस्टइंडीज़ के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मुकाबले में लगाया था. इस पारी के दौरान गुप्टिल ने 24 चौके और 11 छक्के लगाते हुए 237 रन बनाए थे.
दोहरा शतक पूरा करने के बाद गुप्टिल ने मैदान से विक्ट्री स्टाइल का चिन्ह ड्रेसिंग रूम की ओर दिखाया था. इसका मकसद ये याद दिलाना था कि उनके बाएं पांव में सिर्फ अंगूठा और पास वाली अंगुली यानि "टू टोज" है.
कैसे कटी गुप्टिल की अंगुलियां?
गुप्टिल जब छोटे थे तो उनके बाएं पांव के ऊपर से वजन उठाने वाली गाड़ी गुजर गई और तीन छोटी वाली अंगुलियां काटनी पड़ी. इससे उनके भविष्य में खेलने पर संकट खड़ा हो गया था लेकिन पूर्व कप्तान स्टीफन फ्लेमिंग ने अस्पताल जाकर उनका मनोबल बढ़ाया. इसके बाद क्रिकेट खेलने की उनकी इच्छा और तीव्र हो गई और उसके बाद जो हुआ वो सभी जानते हैं.