गुरुवार 14 जून टेस्ट क्रिकेट के लिए ऐतिहासिक दिन होगा. बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में अफगानिस्तान क्रिकेट टीम अपना पहला टेस्ट खेलने उतरेगी. सामने होगी टेस्ट की नंबर वन टीम भारत. कागजों में भले ही यह दमदार और कमजोर का मुकाबला नजर आ रहा है लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक नया अध्याय शुरू होगा.


अधिकतर खेल प्रेमियों का दिल और दिमाग रूस में लियोनेल मेस्सी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो जैसे फुटबॉलरों के करिश्माई खेल पर लगा होगा तब क्रिकेट के धुर प्रशंसक राशिद खान को शिखर धवन और अंजिक्य रहाणे जैसे बल्लेबाजों के लिए फ्लिपर या गुगली करते हुए देखना पसंद करेंगे.


जब भी कोई नई टीम किसी फॉर्मेट में डेब्यू करती है तो वह थोड़ा नर्वस रहती है लेकिन युद्ध की विभीषिका झेल चुके अफगानिस्तान से जुड़े राजनीतिक-सामाजिक किस्सों ने इस मैच को अलग संदर्भ दे दिया है.


मैदान पर यह केवल एक अन्य टेस्ट मैच है लेकिन इसका महत्व इससे भी बढ़कर है. अफगानिस्तान इसके साथ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने वाली 12वां टीम बन जाएगई और इस ऐतिहासिक मैच में राशिद, मुजीब जादरान और मोहम्मद शहजाद जैसे खिलाड़ी अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.


नियमित कप्तान विराट कोहली तथा दो मुख्य तेज गेंदबाजों भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह के बिना खेल रही भारतीय टीम इंग्लैंड के कड़े दौरे से पहले यहां बड़ी जीत दर्ज करना चाहेगी.


अफगानिस्तान के लिए यह एक नई तरह की जंग होगी जिसका उसे अब तक अनुभव नहीं है. टेस्ट क्रिकेट एक अलग तरह की चुनौती है और राशिद जैसे खिलाड़ियों की असली परीक्षा अब शुरू होगी.


यह सभी जानते हैं कि राशिद टी20 का बेहतरीन गेंदबाज है लेकिन उसकी परीक्षा तो तब शुरू होगी जब वह पांचवां ओवर करने के लिए आएगा. अपना 15वें ओवर करते हुए उसकी बुद्धिमत्ता की परीक्षा होगी तो 23वें ओवर तक उसका संयम आंका जाएगा जबकि 40वें ओवर तक पता चलेगा कि उसमें कितना दमखम है.


अफगानिस्तान के कोच फिल सिमन्स पहले ही कह चुके हैं कि उनके खिलाड़ियों को मैदान पर उतरने तक पता नहीं चलेगा कि टेस्ट क्रिकेट असल में क्या है.


अब जबकि स्ट्राइक रेट का कोई दबाव नहीं होगा तब मुरली विजय और चेतेश्वर पुजारा अपने पांव जमाकर लंबी पारियां खेलने की कोशिश करेंगे. भारत के इन अनुभवी बल्लेबाजों को रोकना अफगानिस्तान के लिये आसान नहीं होगा.


यह देखना भी दिलचस्प होगा कि अब तक एक भी चार दिवसीय मैच नहीं खेलने वाले 17 वर्षीय मुजीब क्या किंग्स इलेवन पंजाब के अपने साथी केएल राहुल को परेशानी में डाल पाएंगे. यहां उन्हें सीख देने के लिये रविचंद्रन अश्विन भी नहीं होंगे. इसके उलट वह भारतीय बल्लेबाजों को बता रहे होंगे कि मुजीब का सामना कैसे करना है.


यह भी देखना होगा कि शहजाद जैसा आक्रामक बल्लेबाज खुद पर कैसे नियंत्रण रखता है क्योंकि टेस्ट क्रिकेट में अलग तरह के कौशल की जरूरत पड़ती है.


अफगानिस्तान के कप्तान अशगर स्टेनिकजई ने दावा किया कि उनके स्पिनर भारतीय स्पिनरों से बेहतर है लेकिन उसके बल्लेबाज नहीं जानते कि अपने कप्तान को कैसे सही साबित करना है.


जब दिनेश कार्तिक से इस बारे में पूछा गया तो उनके बयान से साफ हो गया कि टीम इस बारे में क्या सोचती है. कार्तिक ने कहा, ‘‘उनके सारे स्पिनरों ने उतने मैच नहीं खेले हैं जितने हमारे कुलदीप यादव (दो टेस्ट) ने फर्स्ट क्लास मैच खेले हैं. हम इसको लेकर परेशान नहीं हैं.’’


लेकिन भारतीयों ने राशिद की गेंदबाजी को देखा, समझा और परखा है और वे यह जरूर जानते हैं कि यह लेग स्पिनर क्या नुकसान पहुंचा सकता है. यही वजह है कि भारतीय टीम प्रबंधन सख्त उछाल वाला विकेट बनवा सकता है क्योंकि स्पिनरों के लिये अनुकूल विकेट बनाने का दांव उल्टा पड़ सकता है.


अफगानिस्तान के लिए उसके स्पिनर नहीं बल्कि बल्लेबाज समस्या हैं. शहजाद और मोहम्मद नबी जैसे बल्लेबाज अश्विन और रविंद्र जडेजा का कैसे सामना करते हैं इसका सीधा प्रभाव अफगानिस्तान के प्रदर्शन पर पड़ेगा. यही नहीं इससे पहले उन्हें ईशांत शर्मा की उछाल और उमेश यादव की तेज गेंदों का सामना करना होगा.



टीमें इस प्रकार हैं :-
भारत:- अजिंक्य रहाणे (कप्तान), शिखर धवन, मुरली विजय, चेतेश्वर पुजारा, केएल राहुल, करुण नायर, दिनेश कार्तिक (विकेटकीपर), हार्दिक पंड्या, शार्दुल ठाकुर, नवदीप सैनी, रविचंद्रन अश्विन, रविंद्र जडेजा कुलदीप यादव, इशांत शर्मा, उमेश यादव में से.


अफगानिस्तान:- अशगर स्टेनिकजई, मोहम्मद शहजाद, जावेद अहमदी, रहमत शाह, एहसानुल्लाह जनात, नासीर जमाल, हशमतुल्ला शाहिदी, अफसर जजाई, मोहम्मद नबी, राशिद खान, जाहिर खान, अमीर हमजा होताक, सैयद अहमद शिरजाद, यामिन अहमदजई वफादार, मुजीब उर रहमान में से.