भारत के पूर्व कप्तान और बैटिंग लेजेंड राहुल द्रविड़ का मानना है अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को बैलेंस कर चलना एक बड़ा चैलेंज है. क्रिकेट अब काफी चैलेंजिंग होता जा रहा है और खिलाड़ियों को इसे बैलेंस कर चलना होगा क्योंकि जिस तरह से और जितने मैच खेले जा रहे हैं वो ज्यादा है और आपको इसे हर हाल में मैनेज करना पड़ता है. द्रविड़ नेशनल क्रिकेट एकेडमी के डायरेक्टर हैं.


द्रविड़ ने कहा कि खिलाड़ियों के लिए ये एक बड़ा चैलेंज है. आज कल प्रतियोगिता काफी ज्यादा बढ़ गई है और सभी को पूरे साल खेलना पड़ता है. ये एक ऐसा खेल है जहां आपको काफी ज्यादा समय बिताना पड़ता और खेल के बारे में सोचना पड़ता है.

बता दें कि इससे पहले विराट कोहली ने भी मैक्सवैल की मानसिक समस्या पर बयान दिया था और अपना बुरा दौर याद किया था जब उन्हें लग रहा था कि उन्हें अब क्रिकेट छोड़ देना चाहिए.
राहुल द्रविड़ भारतीय युवा खिलाड़ियों को कई रोल के लिए तैयार करते हैं और यह भी ध्यान देते हैं कि हर खिलाड़ी स्वस्थ रहे.



द्रविड़ ने आगे कहा कि, '' आपको ऑन और ऑफ फील्ड ध्यान देना होगा और मेंटल हेल्थ पर फोकस करना होगा. यही वो चीज है जहां मैं अपने लड़कों से ज्यादा बात करता हूं जिससे वो हर चीज में बैलेंस बनाना सीखे. चाहे आप अच्छा खेल रहे हो या बुरा, आपको बैलेंस बनाकर चलना होगा.''

द्रविड़ ने आगे कहा कि वो एक ऐसा सिस्टम तैयार करने की सोच रहे हैं जहां एक प्रोफेशनल एक खिलाड़ी की उस वक्त मदद कर सके जब उसे किसी की जरूरत हो. इसपर फिलहाल काम चल रहा है और हम जल्द ही ऐसे कुछ प्रोफेशनल्स को शामिल करने की सोच रहे हैं. मुझे लगता है कि कई बार ऐसी चीजों को ऐसे लोग ही हैंडल कर सकते हैं क्योंकि उनके पास अनुभव होता है.

''मुझे लगता है कि कुछ कोच इस चीज से नहीं डील नहीं कर सकते. कुछ चीजें तो हम कर सकते हैं लेकिन ऐसी चीजों के लिए हमें प्रोफेशनल मदद की ही जरूरत पड़ती है. और मैं एनसीए में ऐसी चीज पर फोकस कर रहा हूं.''

बता दें कि राहुल द्रविड़ को हाल ही में कोलकाता में हुए एतिहासिक डे नाइट टेस्ट के लिए स्पेशल गेस्ट के तौर पर बुलाया गया था जहां उन्होंने कहा कि भविष्य में भी ऐसे मैच होने चाहिए.