Misbah Ul Haq Fastest Fifty In Test: मिस्बाह उल हक पाकिस्तान के सबसे सफलतम टेस्ट कप्तान रहे. उनसे पहले करीब 28 खिलाड़ियों ने पाकिस्तान की टेस्ट में कप्तानी की. लेकिन जो मुकाम मिस्बाह ने हासिल किया, वो दूसरों के लिए सपना मात्र रह गया. मिस्बाह को अक्सर सधी और धीमी बल्लेबाजी करने के लिए जाना गया. लेकिन टेस्ट क्रिकेट में जब सबसे तेज अर्धशतक लगाने की बात आती है तो सबसे पहले पाकिस्तान के इस पूर्व कप्तान का नाम आता है.
क्रिकेट के सबसे बड़े प्रारूप में उन्होंने साल 2014 में सबसे तेज पचासा लगाया था. यह रिकॉर्ड आज भी उनके नाम बरकरार है. खास बात यह है कि टेस्ट में सबसे तेज अर्धशतक लगाने वाले दुनिया के टॉप-10 बल्लेबाजों में कोई भी भारतीय बैटर शामिल नहीं है. आइए आपको बताते हैं कि टेस्ट क्रिकेट में ऐसे कौन से बल्लेबाज हैं, जिन्होंने सबसे तेज अर्धशतक लगाया है.
टॉप पर हैं मिस्बाह
टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज अर्धशतक लगाने के मामले में मिस्बाह उल हक शीर्ष पर हैं. साल 2014 में उन्होंने अबू धाबी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलते हुए 21 गेंद पर अर्धशतक लगाया था. इस मैच में मिस्बाह दोनों पारियों में शतक लगाने में सफल रहे थे. पहली पारी में उन्होंने 101 और दूसरी इनिंग्स में भी उन्होंने 101 रन बनाए थे. जहां तक सबसे तेज अर्धशतक लगाने की बात है तो उन्होंने यह करिश्मा दूसरी पारी में किया था. मैच की दूसरी इनिंग्स में भी उन्होंने आतिशी बल्लेबाजी करते हुए 57 गेंद पर 101 रन बनाए थे. इस दौरान उन्होंने 11 चौके और 5 छक्के लगाए.
जहां तक टेस्ट में सबसे तेज फिफ्टी की बात है तो मिस्बाह के बाद डेविड वॉर्नर 23 गेंद, जैक्स कैलिस 24 गेंद, शेन शिलिंगफोर्ड 25 गेंद, शाहिद अफरीदी 26 गेंद, मोहम्मद अशरफुल 26 गेंद, डेल स्टेन 26 गेंद, यूसुफ योहाना (अब मोहम्मद यूसुफ) 27 गेंद, अलबर्ट विलियम्स 28 गेंद, इयान बॉथम 28 गेंद और क्रिस गेल भी 28 गेंद पर टेस्ट मैच में अर्धशतक लगा चुके हैं. इन टॉप-10 बल्लेबाजों में भारत का कोई भी खिलाड़ी शामिल नहीं है.
सबसे सफल कप्तान
मिस्बाह उल हक पाकिस्तान के सबसे सफल कप्तान रहे. उन्होंने 56 टेस्ट मैचों में पाकिस्तान की कप्तानी जिनमें 26 मैच जीते और 19 हारे. इस दौरान 11 टेस्ट ड्रॉ रहे. उनके जितने टेस्ट पाकिस्तान के किसी कप्तान ने नहीं जीते. मिस्बाह ने अपनी कप्तानी में पाकिस्तान को टेस्ट में दुनिया की नंबर एक टीम बनाया था. उनके नेतृत्व में पाकिस्तान की टीम ने यह उपलब्धि विदेशी धरती पर खेलते हुए हासिल की. यह वो दौर था जब साल 2009 में लाहौर में हुए बम विस्फोट के बाद दुनिया की सभी टीमों ने पाकिस्तान में खेलने से मना कर दिया था. ऐसे में टेस्ट में पाकिस्तान को नंबर वन तक ले जाना यह सिर्फ मिस्बाह उल हक के बस की बात थी.
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