वरिष्ठ खेल पत्रकार, शिवेंद्र कुमार सिंह
हैदराबाद के राजीव गांधी स्टेडियम में मुंबई इंडियंस ने बेहद रोमांचक मुकाबले में पुणे सुपरजाएंट को हराकर आईपीएल-10 का खिताब जीत लिया. उस सुपरजाएंट को जिनके खिलाफ पूरे सीजन में मुंबई इंडियंस एक भी मैच नहीं जीत पाई थी. 5 अप्रैल 2017 से लेकर 20 मई के बीच पुणे और मुंबई के बीच तीन बार मुकाबला हुआ. तीनों ही मैचों में पुणे ने मुंबई को हराया था.
इस सीजन की एक बड़ी दिलचस्प बात ये भी रही कि जिस टीम ने लीग मैचों में प्वॉइंट्स टेबल को टॉप किया वही टीम चैंपियनशिप जीतने में भी कामयाब रही. आपको याद दिला दें कि लीग मैचों के बाद प्वॉइंट्स टेबल में भी मुंबई इंडियंस की टीम पहली पायदान पर थी. 14 लीग मैचों में उसने 10 में जीत हासिल की थी. फाइनल में आखिरी चार ओवर में मुंबई की टीम ने 43 रन बनाए और सिर्फ एक विकेट गंवाया. जबकि पुणे की टीम आखिरी चार ओवरों में 31 रन ही बना पाई और चार विकेट गंवाए. जीत और हार का अंतर यही चार ओवर बने.
कितनी अलग-अलग थी दोनों टीमों की रणनीति?
पुणे को जीत के लिए फाइनल मैच में 130 रन बनाने थे. मैच के बीच में चर्चा इस बात पर हो रही थी कि मुंबई को इस मैच को जीतना है तो उसे ये मैच 15 ओवर के हिसाब से खेलना चाहिए यानि पुणे को 15 ओवर में ऑलआउट करना चाहिए. इसके लिए उसे अपने गेंदबाजों को एकमुश्त चार ओवर करवाने से भी नहीं चूकना चाहिए.
पुणे की टीम के लिए रणनीति ये थी कि वो आराम से 20 ओवर तक बल्लेबाजी करें, अगर पुणे ने 20 ओवर तक बल्लेबाजी की तो हर किसी को उनकी जीत की उम्मीद थी. सिर्फ 6.5 की औसत से रन बनाना था जो टी-20 के फॉर्मेट में बिल्कुल कठिन नहीं है.
सिर्फ चार ओवरों में कैसे बदला खेल?
पुणे की टीम की किस्मत का फैसला मैच की आखिरी 24 गेंदों में हुआ. पुणे की टीम के लिए सबकुछ सही चल रहा था. आखिरी 4 ओवर में उसे जीत के लिए 33 रन चाहिए थे. क्रीज पर कप्तान स्टीव स्मिथ थे. दूसरी तरफ करिश्माई खिलाड़ी एमएस धोनी थे. पुणे के लिए किसी तरह की मुश्किल दिखाई नहीं दे रही थी. मुश्किल तब शुरू हुई जब सत्रहवें ओवर की दूसरी गेंद पर बुमराह ने धोनी को आउट कर दिया. बुमराह की ऑफ स्टंप से बाहर जाती गेंद को प्वॉइंट से खेलने की कोशिश में धोनी ने विकेट कीपर पार्थिव पटेल को कैच थमा दिया.
असल में इसके बाद भी पुणे के लिए मुश्किल कुछ नहीं थी क्योंकि क्रीज पर अब भी कप्तान स्टीव स्मिथ का साथ देने के लिए मनोज तिवारी थे. इस सीजन में पुणे की टीम के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों में कप्तान स्टीव स्मिथ के बाद मनोज तिवारी ही थे. इसी ओवर में पांचवीं गेंद पर बुमराह ने मनोज तिवारी के खिलाफ एक जबरदस्त अपील की, ये अलग बात है कि मनोज तिवारी सुरक्षित बच गए.
इसके बाद तो रोहित शर्मा के पास पूरा का पूरा प्लान बना हुआ था. अचानक उन्हें जीत की खुशबु आने लगी. रन रेट ठीक 10 रन तक पहुंच चुका था. पुणे की टीम के लिए तीन गेंदबाज इंतजार कर रहे थे. लसिथ मलिंगा, जसप्रीत बुमराह और मिचेल जॉनसन. किसी ने सोचा तक नहीं था कि मैच इतनी दूर तक जाएगा. अनुभवी गेंदबाज लसिथ मलिंगा ने 18वें ओवर में सिर्फ 7 रन दिए. उन्हें विकेट तो नहीं मिला लेकिन पुणे की टीम का ‘आस्किंग रनरेट’ 10 से बढ़कर 11.5 हो गया.
उन्नीसवें ओवर में जसप्रीत बुमराह ने 12 रन दिए लेकिन फिर भी अनुभवी मिचेल जॉनसन के पास आखिरी ओवर में ‘डिफेंड’ करने के लिए 11 रन थे. अभी तक दोनों टीमें बराबरी पर थी बल्कि पुणे का पलड़ा ही भारी था क्योंकि उसके पास क्रीज पर ‘प्योर’ बल्लेबाज थे. लेकिन इसके बाद जो हुआ वो करोड़ो क्रिकेटप्रेमियों ने देखा.
आखिरी 6 गेंद पर मनोज तिवारी, स्टीव स्मिथ और वाशिंगटन सुदंर आउट हुए और मुंबई इंडियंस ने आईपीएल का खिताब तीसरी बार जीतकर इतिहास रच दिया. आईपीएल के इतिहास में मुंबई पहली ऐसी टीम है जिसने 3 बार खिताब पर कब्जा किया है.