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मोहम्मद शमी के पास है तेजी, लेंथ और रिवर्स स्विंग का अच्छा मिश्रण
शमी आमतौर पर फुल लैंथ गेंदबाजी नहीं करते हैं. वह बैक ऑफ द लैंथ गेंदबाजी करते हैं, जिससे कई बार बल्लेबाज असमंजस में पड़ जाता है कि वह फ्रंटफुट खेले या बैकफुट.
दक्षिण अफ्रीका के साथ विशाखापट्टनम में खेले गए पहले टेस्ट मैच की दूसरी पारी में भारत के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने पांच विकेट लेकर टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई. हालांकि मैच के पांचवें दिन विकेट उस तरह की नहीं थी, जैसा तेज गेंदबाज चाहते हैं. फिर भी शमी ने क्रैक भरी पिच पर अपनी लैंथ, तेजी और रिवर्स स्विंग कराने की कला का बखूबी इस्तेमाल करते हुए बल्लेबाजों के लिए मुश्किल पैदा की.
पिच में ज्यादा उछाल नहीं था, इस बात का हालांकि शमी को फायदा भी मिला. लेकिन इस दौरान खास बात उनकी लैंथ रही, जिसके कारण वह पांच विकेट लेने में सफल रहे. यह पहली बार नहीं था कि शमी दूसरी पारी में टीम की जीत का कारण बने हों. वह ऐसा बीते कुछ वर्षो से लगातार कर रहे हैं.
शमी की दोनों पारियों के आंकड़ों को अगर देखा जाए तो टेस्ट मैचों की 43 पहली पारियों में शमी ने 78 विकेट लिए हैं और 40 दूसरी पारियों में 80 विकेट. विकेटों में अंतर बेशक कम है, लेकिन दोनों पारियों की तुलना में आगे बढ़ा जाए तो पहली पारी में शमी का औसत 34.47 का और स्ट्राइक रेट 60.61 का है. जबकि दूसरी पारी में शमी का औसत 22.58 और स्ट्राइक रेट 41.4 का है. दूसरी पारी में शमी ने चार बार पांच विकेट अपने नाम किए हैं, जबकि पहली पारी में सिर्फ एक बार. आंकड़े साफ बताते हैं कि शमी दूसरी पारी में ज्यादा असरदार हैं.
भारतीय टीम के पूर्व तेज गेंदबाज मदन लाल कहते हैं कि शमी को पता है कि गेंद को कब किस तरह से इस्तेमाल करना है और रिवर्स स्विंग करना है.
मदन लाल ने आईएएनएस से कहा, "यह अच्छी बात है कि वह दूसरी पारियों में हमारे लिए ज्यादा विकेट निकाल रहे हैं. दूसरी पारी में परिणाम आने वाला होता है और अगर आप परिणाम को बदलते हैं तो यह टीम के लिए बेहद अच्छी बात है और यह साबित करता है कि आप बेहतर गेंदबाज हैं. मोहम्मद शमी को पता है कि गेंद का इस्तेमाल कैसे करना है, कैसे गेंद को रिवर्स स्विंग कराना है. वह पिछले कुछ वर्षो से टीम के लिए अच्छा कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि वह पहली पारी में विकेट नहीं निकालना चाहते, लेकिन परिस्थतियां अलग-अलग होती हैं. इसके कारण असर पड़ता है. जितना ज्यादा दबाव होता है, शमी उतना अच्छा करता है."
उन्होंने कहा, "आपको पता होना चाहिए कि रिवर्स स्विंग कैसे कराना है और कहां गेंद कराना है. अगर उसे मालूम है कि उसे कहां गेंद करनी है, गेंद कितना पुराना हो चुका है तो अच्छी बात है. यह सब गेंदबाज को पता होना चाहिए कि उसे टप्पा कहां डालना है और विकेट कैसे निकालने हैं, यह शमी की खासियत है. पांचवें दिन गेंद नीचे रह रहा था और अगर आप ऐसी विकेटों पर रिवर्स स्विंग कराते हैं, जहां गेंद ज्याद नीचे रह रहा हो तो आप और ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं."
शमी आमतौर पर फुल लैंथ गेंदबाजी नहीं करते हैं. वह बैक ऑफ द लैंथ गेंदबाजी करते हैं, जिससे कई बार बल्लेबाज असमंजस में पड़ जाता है कि वह फ्रंटफुट खेले या बैकफुट. इसी गफलत में शमी बल्लेबाज को फंसा कर विकेट ले जाते हैं. इसका एक कारण उनकी तेजी और मूवमेंट भी होता है.
मदनलाल कहते हैं कि शमी की सीम काफी स्थिर है, जिससे उन्हें मूवमेंट मिलती है और सही लैंथ पर गेंद डालने से वह विकेट ले जाते हैं.
विश्व कप जीतने वाली टीम के सदस्य रहे मदन लाल ने कहा, "तेज गेंदबाज की अगर सीम पोजीशन ठीक नहीं होगी तो वह गेंद को मूव नहीं करा पाएगा. इसका भी काफी असर पड़ता है. उसका हाथ इतना सीधा है, सीम इतनी सीधी है तो गेंद भी सीधा गिरेगा और ऐसे ही गिरने से गेंद को मूवमेंट मिलेगी. इसी मूवमेंट के कारण उन्हें विकेट लेने में मदद मिलती है."
वेबसाइट ईएसपीएनक्रिकइंफो की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शमी ने टेस्ट में अभी तक लिए 158 विकेटों में 30.38 प्रतिशत विकेट बोल्ड से लिए हैं. इसका एक प्रमुख कारण भी शमी की लैंथ है, जिससे वह बल्लेबाज को गफलत में डाल डंडे उड़ा देते हैं. कई बार शमी अचानक से अपनी लैंथ में बदलाव करते हैं, जिसे बल्लेबाज गेंद की तेजी के कारण पढ़ भी नहीं पाता और विकेट खो बैठता है.
एक दूसरा कारण यह है कि शमी विकेट टू विकेट गेंदबाजी करते हैं, जिससे बल्लेबाज के चूकने पर गेंद सीधे विकेटों पर जाकर लगती है.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
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