भारतीय टीम के तेज तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज ने गाबा में भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाने में अहम भूमिका अदा की. सीरीज में उनका प्रदर्शन काफी अच्छी रहा. सीरीज के दौरान उन पर उनके पिता मोहम्मद गौस का 20 नवंबर को निधन हो गया.
पिता के निधन के बाद मोहम्मद सिराज ने ऑस्ट्रेलिया में रहकर अपने ड्रीम टूर और अपने पिता के सपने को पूरा करने का विकल्प चुना. सिराज को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर नस्लीय कमेंट का सामना भी करना पड़ा.
नस्लीय कमेंट्स का खेल पर नहीं पड़ने दिया असर
सिराज ने एक टीवी चैनल से इंटरव्यू में कहा कि ने कहा कि भीड़ ने सोचा था कि उनके साथ दुर्व्यवहार करने से उनके प्रदर्शन पर नकारात्मक असर पड़ेगा लेकिन पिता की मृत्यु से मजबूत हो था और इसकी वजह से गेंदबाजी को नुकसान नहीं होने दिया.
सिराज ने कहा, "उन लोगों ने सोचा था कि मुझे गाली देने से मेरी गेंदबाजी पर असर पड़ेगा, लेकिन मैं अपने पिता की मौत के बाद मानसिक रूप से इतना मजबूत था कि इसने मुझे मैच में इस चीज ने बिल्कुल प्रभावित नहीं किया. मैं जैसा था, वैसा ही खेला."
घर से पहले पिता की कब्र पर जाने का किया था तय
सिराज ने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने हैदराबाद पहुंचने से पहले तय किया था कि वह पहले अपने पिता की कब्र पर जाएंगे और फिर घर जाएंगे. उन्होंने कहा "मैंने सोचा था कि जब भी मुझे घर मिलेगा, मैं सबसे पहले अपने पिता की कब्र पर जाऊंगा और घर नहीं, क्योंकि मैं उनके अंतिम संस्कार के लिए वहां नहीं था और मेरे भाई के लिए इसे संभालना मुश्किल था."
मंगेतर ने मुश्किल समय में किया प्रेरित
सिराज ने यह भी खुलासा किया कि उनकी मंगेतर ने इस दौरान उनका बहुत सहयोग किया और उन्हें मुश्किल समय में प्रेरित किया. मोहम्मद सिराज को इस सीरीज में सिर्फ तीन मैचों में ही खेलने का मौका मिला था, लेकिन इसके बावजूद वह सीरीज में भारत के सबसे सफल गेंदबाज रहे थे. सिराज ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कुल 13 विकेट झटके थे. सिराज ने कहा कि सीरिज के उनके सभी 13 विकेट उनके पिता को समर्पित थे.
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