अगले विश्वकप में अब एक साल से भी कम का समय बचा है. ऐसे में भारतीय मिडिल ऑर्डर टीम इंडिया की सबसे बड़ी चिंता बनकर उभर रहा है. उसमें भी सबसे बड़ी चिंता का विषय है उस बल्लेबाज़ का आउट ऑफ फॉर्म होना जिसने पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से टीम इंडिया के मध्यक्रम को अपने कंधो पर उठाया है. जी हां, हम बात कर रहे हैं टीम इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस धोनी की.
लेकिन इन सबके बावजूद भले ही धोनी के बल्ले से रन ना निकल रहे हों फिर भी वो टीम के लिए कितने उपयोगी है इसका पता विकेटों के पीछे उनकी विकेटकीपिंग से चलता है.
एशिया कप फाइनल में शुक्रवार को भी उन्होंने मुकाबले में दिखा दिया कि आज भी उनसे तेज़ विकेटकीपर भारत में ही नहीं बल्कि वर्ल्ड क्रिकेट में भी नहीं है. 37 साल के होने के बावजूद धोनी की फुर्ती कैसी है ये उन्होंने पिछले फाइनल में ही दिखा दिया जब उन्होंने लिटन दास को महज़ 0.16 सेकेंड और मुर्तजा को 0.20 सेकेंड में आउट कर दिया.
बांग्लादेश के बल्लेबाज़ लिटन दास और मशरफे मुर्तज़ा को स्टम्प आउट करने के साथ ही धोनी ने अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में 800 शिकार कर लिए हैं.
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धोनी ने वनडे में कुल 306 कैच और 113 बल्लेबाज़ों को स्टम्प किया है. वहीं टेस्ट में उन्होंने 256 कैच और 38 स्टम्प किए हैं. ये आंकडें टी20 में 54 कैच और 33 स्टम्प का है.
इस लिहाज़ से अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में कुल मिलाकर उनके 800 शिकार हैं.
विकेटों के पीछे से सबसे अधिक बल्लेबाज़ों को पवेलियन भेजने वालो की लिस्ट में धोनी तीसरे पायदान पर हैं. इस लिस्ट में पहले स्थान पर मार्क बाउचर के 998 शिकार हैं, जबकि एडम गिलक्रिस्ट के 905 शिकार हैं.