विजय हज़ारे ट्रॉफी: दिल्ली को चार विकेट से हराकर मुंबई तीसरी बार बना चैंपियन
आदित्य तारे (71) और सिद्धेश लाड (48) के बेहतरीन पारियों की मदद से मुंबई ने शनिवार को दिल्ली को छह विकेट से हराकर विजय हजारे ट्रॉफी क्रिकेट टूर्नामेंट का खिताब तीसरी बार अपने नाम कर लिया
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टूर्नामेंट में बिना हारे फाइनल तक पहुंची मुंबई ने बेहतरीन खेल दिखाते हुए परंपरागत प्रतिद्वंद्वी दिल्ली को चार विकेट से हराकर तीसरी बार विजय हजारे ट्रॉफी अपने नाम की. मुंबई की जीत में एक बार फिर गेंदबाजों ने अहम भूमिका निभाई और दिल्ली को 45.4 ओवर में 177 रन पर ढेर कर दिया. जवाब में मुंबई ने 15 ओवर पहले लक्ष्य को 6 विकेट खोकर हासिल कर लिया.
मुंबई की ओर से आदित्य तारे ने 89 गेंदों पर 71 रनों की पारी खेली तो सिद्धेश लाड ने 68 गेंदों पर 48 रन बनाए. इन दोनों की पारियों से पहले मुकाबला बराबरी का लग रहा था. 178 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी मुंबई के चार विकेट महज 40 रन पर गिर गए थे. लेकिन इसके बाद इन दोनों बल्लेबाजों ने पांचवें विकेट के लिए 105 रन की साझेदारी कर टीम तो तीसरी बार खिताब दिलाया. रणजी ट्रॉफी में 41 बार के चैंपियन मुंबई ने तीसरी बार विजय हजारे ट्रॉफी जीती है. इससे पहले उसने 2003-04 और 2006-07 में खिताब जीता था.
Mumbai are the new Vijay Hazare Trophy Champions. A final that went back and forth with ultimately Mumbai taking top honours. Congratulations!!! #VijayHazareTrophy pic.twitter.com/HFh566JCOD
— BCCI Domestic (@BCCIdomestic) October 20, 2018
दिल्ली की बल्लेबाजी
दिल्ली की टीम पहले बल्लेबाजी का न्यौता मिलने पर 45.4 ओवर में 177 रन पर आउट हो गयी थी. उसकी तरफ से हिम्मत सिंह ने सर्वाधिक 41 रन बनाए. मुंबई के मध्यम गति के गेंदबाज तुषार देशपांडे (30 रन देकर दो), अनुभवी धवल कुलकर्णी (30 रन देकर तीन) और शिवम दुबे (29 रन देकर तीन) ने दिल्ली को कम स्कोर पर समेटने में अहम भूमिका निभाई.
गंभीर (एक) ने पारी के दूसरे ओवर में ही देशपांडे की गेंद स्लैश करने के प्रयास में थर्डमैन पर कैच दिया जबकि उन्मुक्त (13) की खराब फार्म जारी रही. कुलकर्णी की गेंद पर रहाणे ने डाइव लगाकर उनका कैच लिया जबकि मनन शर्मा (पांच) ने देशपांडे की गेंद को विकेटकीपर के दस्तानों में पहुंचाया.
दिल्ली ने इसके बाद भी नियमित अंतराल में विकेट गंवाए. दुबे ने नितीश राणा (13) के रूप में अपना पहला विकेट लिया. जब टीम संकट में थी तब ध्रुव शोरे (31) और हिम्मत सिंह (41) से अच्छी शुरुआत को बड़े स्कोर में तब्दील करने की उम्मीद थी लेकिन इन दोनों ने आसानी से अपने विकेट इनाम में दिए.
दिल्ली का 200 रन के पार पहुंचने की उम्मीदों को तब करारा झटका लगा जब सेमीफाइनल के उसके नायक पवन नेगी चोटिल होकर रिटायर्ड हर्ट हो गए. उन्होंने मैदान छोड़ने से पहले 19 गेंदों पर दो चौकों और एक छक्के की मदद से 21 रन बनाए थे. सुबोध भाटी (25) ने तीन गगनदायी छक्के जड़े जिससे दिल्ली कुछ सम्मानजनक स्कोर तक पहुंच पाया.
मुंबई की भी खराब शुरुआत
एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले गए फाइनल में दोनों टीमों की शुरुआत अच्छी नहीं रही. पहले बल्लेबाजी का न्यौता पाने वाले दिल्ली ने कप्तान गौतम गंभीर सहित तीन विकेट 21 रन पर गंवा दिए थे जबकि मुंबई के भी तीन बल्लेबाज 25 रन पर पहुंचने तक पवेलियन में विराजमान थे. इनमें युवा सनसनी पृथ्वी शॉ और अनुभवी अंजिक्य रहाणे भी शामिल थे.
नवदीप सैनी (53 रन देकर तीन विकेट) ने मुंबई के शीर्ष क्रम को झकझोरने में अहम भूमिका निभायी. वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू पर ही प्रभावशाली प्रदर्शन करने वाले पृथ्वी (आठ) ने उनकी पहली दो गेंदों पर चौके लगाए लेकिन बेहतरीन लेंथ से की गयी तीसरी गेंद इस युवा बल्लेबाज को बोल्ड कर गयी. सैनी ने इसके बाद रहाणे (10) को एलबीडबल्यू आउट किया जबकि सूर्यकुमार यादव (चार) को दूसरी स्लिप में कैच कराया.
मुंबई को कप्तान श्रेयस अय्यर से काफी उम्मीदें थी जिन्होंने सेमीफाइनल में नाबाद अर्द्धशतक जमाया था. अय्यर जीवनदान भी मिला लेकिन उन्होंने बाहर जाती गेंदों से छेड़छाड़ जारी रखी और केवल सात रन बनाकर विकेटकीपर उन्मुक्त चंद को कैच दे बैठे.
तारे और लाड ने यहीं से जिम्मेदारी संभाली. इन दोनों ने रक्षात्मक और आक्रामक बल्लेबाजी का अच्छी तरह संयोजन बिठाया. इस बीच भाग्य ने भी उनका साथ दिया क्योंकि दोनों बल्लेबाजों को एक - एक अवसर पर तीसरे अंपायर की मदद से जीवनदान मिला.
मनन शर्मा ने तारे को एलबीडबल्यू करके यह साझेदारी तोड़ी लेकिन दिल्ली के लिए तब तक काफी देर हो चुकी थी. तारे ने अपनी पारी में 13 चौके और एक छक्का लगाया. लाड भी अंतिम क्षणों में पवेलियन लौटे. उन्होंने चार चौके और दो छक्के लगाये. दुबे 19 रन बनाकर नाबाद रहे.
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