Nikhat Zareen on Mental Pressure: वर्ल्ड चैंपियन बॉक्सर निकहत जरीन (Nikhat Zareen) मानती हैं कि बड़े टूर्नामेंट में मानसिक तनाव (Mental Pressure) एक बहुत बड़ी चुनौती होती है और इससे निपटने के लिए भारतीय खिलाड़ियों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जानी चाहिए. इंडियन वुमन प्रेस कॉर्प्स के एक इंटरएक्शन प्रोग्राम में निकहत ने यह बात कही.
इस प्रोग्राम में जब निकहत से जब पूछा गया कि भारतीय खिलाड़ियों में किस चीज की कमी नजर आती है, तो उनका जवाब था, 'हमारे भारतीय मुक्केबाज़ बहुत टैलेंटेड हैं. हम किसी से कम नहीं हैं. हमारे पास ऊर्जा है, ताकत है और स्पीड भी है. लेकिन जब भी आप उस (वर्ल्ड) लेवल पर पहुंच जाते हैं तो मुक्केबाजों को मानसिक तनाव से निपटने की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए.' जरीन कहती हैं, 'जब आप बड़े प्लेटफॉर्म पर पहुंच जाते हैं तो कई खिलाड़ी नर्वस हो जाते हैं. वे परफॉर्म नहीं कर पाते.'
निकहत जरीन पिछले महीने बॉक्सिंग की फ्लाईवेट कैटेगरी में वर्ल्ड चैंपियन बनी थी. इस साल 28 जुलाई से शुरू हो रहे कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए भी वह क्वालीफाई कर चुकी हैं. 25 वर्षीय निकहत को वर्ल्ड चैंपियन बनने से पहले तक बॉक्सिंग के बड़े मुकाबलों में एंट्री तक के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है. दरअसल इस कैटगरी में वेटरन बॉक्सर एमसी मैरीकॉम भी लड़ती हैं. यही कारण रहा कि उन्हें वर्ल्ड लेवल के बॉक्सिंग टूर्नामेंट में बड़ी देर से मौका मिला.
'मुझे देरी से मौका मिला इसलिए मुझमें जीत की भूख ज्यादा है'
निकहत कहती हैं, 'मैं अकेली नहीं बल्कि इस कैटेगरी में अन्य बॉक्सर भी मौका चाहते थे. लेकिन इसके लिए आपको खुद को साबित करना पड़ता है. अगर मैं इतना संघर्ष नहीं करती और मैरीकॉम मेरी कैटेगरी में नहीं आतीं तो शायद मैं इतनी मेहनत नहीं करती और अगर मैं इतनी मेहनत नहीं करती तो मैं वर्ल्ड चैंपियन भी नहीं बन पाती. तो मैं इसे सकरात्मक तरीके से लेती हूं कि मुझमें जीत की भूख ज्यादा है क्योंकि मुझे देर से मौका मिला.'
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