Runner Rule: क्रिकेट को और सहज व मॉर्डन बनाने के लिए लगातार नियमों में बदलाव किए जाते रहते हैं. कभी क्रिकेट में नए नियम को लाया जाता है, तो कभी पुराने रूल को खत्म कर दिया जाता है. पुराने नियम का खत्म होना ज्यादातर खिलाड़ियों के लिए फायदेमंद रहता है. लेकिन, आज के दिन (01 अक्टूबर) 13 साल पहले अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल ने एक ऐसा नियम खत्म किया था, जिसकी आज भी बल्लेबाजों को कमी खलती है.
हम बात कर रहे हैं बल्लेबाजों के 'रनर' लेने के नियम की. आईसीसी ने 1 अक्टूबर, 2011 को बल्लेबाजों के लिए रनर लेने के नियम को खत्म कर दिया था. इस नियम के खत्म होने से बल्लेबाजों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.
चोटिल हो जाने के बाद बल्लेबाज रनर का इस्तेमाल किया करते थे. हालांकि अब अगर कोई बल्लेबाज इस तरह चोटिल होता है कि वह भाग नहीं पाएगा तो या तो उस बल्लेबाज को रिटायर होना पड़ता है या फिर उसे खुद से ही रन लेने के लिए लंगड़ाकर भागना पड़ेगा.
नियम का होने लगा था गलत इस्तेमाल
रनर के नियम का बल्लेबाजों ने धीरे-धीरे गलत इस्तेमाल शुरू कर दिया था. बल्लेबाज चोट का बहाना करके रनर का इस्तेमाल करते थे. हालांकि आईसीसी ने इस नियम को फिटनेस में सुधार और स्किल डेवलपमेंट को ध्यान रखते हुए खत्म किया था.
सिद्धू और सईद अनवर ने किया गलत इस्तेमाल?
एक कार्यक्रम के दौरान भारत के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन ने मजाकिया अंदाज में बात करते हुए बताया था कि नवजोत सिंह सिद्धू जैसे ही 90 रन के स्कोर पर पहुंचते थे, वैसे ही वो अपना पैर पकड़ लेते थे. इसे देखकर उनके लिए एक रनर तैयार कर दिया जाता था.
वहीं पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज वसीम अकरम ने सईद अनवर की पोल खोलते हुए एक प्रोग्राम में कहा था कि क्रिकेट में रेफरी सईद अनवर की वजह से ही आए हैं. वो हर शतक के बाद पैर पकड़कर बैठ जाते थे. वसीम अकरम ने आगे बताया कि हर रेफरी इस को पहले ही कह देता था कि सईद को रनर नहीं दिया जाएगा.
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