फोटो क्रेडिट: (ट्विटर)
नई दिल्ली: 25 जून की तारीख भारतीय क्रिकेट के लिए एक ऐसा यादगार दिन है जिसे कभी भूलाया नहीं जा सकता है. 25 जून 1983 को भारतीय क्रिकेट टीम कपिल देव की अगुआई में पहली बार वनडे क्रिकेट में विश्वविजेता बना था. यह वह दौर था जब भारत को वनडे में बेहद ही कमजोर टीम माना जाता था लेकिन विश्व कप जीतकर भारतीय टीम ने पूरी दुनिया को चौंका दिया.
कपिल देव की इस टीम को देखकर किसी को भरोसा नही था कि टीम विश्व कप फाइनल तक का सफर तय कर पाएगी, लेकिन खिलाड़ियों के हौसले और जज्बे ने भारतीय क्रिकेट में वह कारनामा कर दिखाया जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी.
भारत विश्व कप के फाइनल में पहुंच चुका था. फाइनल में उसका सामना वेस्टइंडीज से था. वेस्टइंडीज की टीम उस दौर में विश्व क्रिकेट की सबसे मजबूत टीम थी. इंग्लैंड में लॉर्डस के मैदान पर खेले गए इस मैच में वेस्टइंडीज ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला लिया था. वेस्टइंडीज की तेज गेंदबाजों की आग उगलती गेंदों के आगे भारतीय बल्लेबाज ताश के पत्तों की तरह बिखर गई और सिर्फ 182 रन ही पाई. भारत की ओर से के श्रीकांत ने सबसे अधिक 31 रन बनाए.
वेस्टइंडीज की मजबूत बैटिंग लाइनअप के सामने 183 रनों का लक्ष्य बेहद मामुली लग रहा था लेकिन किसे पता था कि भारतीय क्रिकेट में एक नया इतिहास लिखा जाने वाला है.
वेस्टइंडीज की टीम जिस उम्मीद के साथ लक्ष्य का पीछा करने उतरी वैसा बिल्कुल भी नहीं हुआ. भारतीय तेज गेंदबाज बलबिंदर सिंह संधु की स्विंग होती गेंद ने वेस्टइंडीज के ओपनर बल्लेबाज गॉर्डन ग्रीनिज की गिल्लियां बिखेर कर भारत को पहली सफलता दिलाई, लेकिन इसके बाद जो हुआ उसने एक बार तो जैसे भारतीय क्रिकेट फैंस की सांसे ही रोक दी.
वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के महान बल्लेबाज विव रिचर्डस ने भारतीय गेंदबाजों की जमकर खबर लेनी शुरु कर दी और ताबड़तोड़ 38 गेदों में 7 चौके की मदद से 33 रन बना डाले. ऐसा लग रहा था मानों विव रिचर्ड मैच को जल्दी खत्म करने के मुड में आए हों.
किस्मत भारतीय टीम के साथ थी. मदन लाल की गेंद पर विव रिचर्ड्स ने एक उंची शॉट खेल कर कप्तान कपिल देव को एक मुश्किल कैच थमा बैठे. विव रिचर्ड्स के इस विकेट से मैच पूरी तरह से बदल गया. इसके बाद तो मानों जैसे भारतीय गेंदबाजी आक्रमण एक अद्भुत लय में आ गई. फील्डिंग में नई फूर्ती और चुस्ती ने भारतीय टीम की उम्मीदों को और अधिक बढ़ा दिया. अब निरंतर अंतराल पर वेस्टइंडीज के विकेट का पतन होने लगा और ऐसा लगने लगा कि 183 रनों का लक्ष्य वेस्टइंडीज के लिए किसी ऐवरेस्ट की चढ़ाई की तरह हो गई है.
भारतीय गेंदबाजों की दमदार प्रर्दशन के आगे वेस्टइंडीज की पूरी टीम सिर्फ 140 रन ही बना पाई और इस तरह भारतीय टीम ने 42 रनों से मैच जीतकर पहली बार विश्व कप का खिताब अपने नाम किया.
मोहिंदर अमरनाथ को उनके शानदार प्रर्दशन के लिए प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया था.
ON THIS DAY: 34 साल पहले आज के दिन ही क्रिकेट में मिली थी भारतीय टीम को नई पहचान
ABP News Bureau
Updated at:
25 Jun 2017 06:20 PM (IST)
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