ON THIS DAY: दो रिकॉर्ड जिसे आप जिन्दगी भर नहीं भूल पाएंगे
ऐसे ही दो रिकॉर्ड बने थे 18 जनवरी को. एक तरफ था तूफानी बल्लेबाजी का जलवा तो दूसरी तरफ थी भारत के क्रिकेट इतिहास की सबसे बड़ी और रोमांचक जीत.
क्रिकेट के मैदान पर आए दिन रिकॉर्ड बनते रहते हैं और हमारी यादों से बोझिल भी जल्द हो जाते हैं. लेकिन कुछ रिकॉर्ड ऐसे होते हैं जिन्हें आप लाख कोशिशों के बाद भी कभी भूला नहीं पाते. जब भी उस खास रिकॉर्ड की बात होती है तो आप खुद को उस दिन में पाते हैं. ऐसे ही दो रिकॉर्ड बने थे 18 जनवरी को. एक तरफ था तूफानी बल्लेबाजी का जलवा तो दूसरी तरफ थी भारत के क्रिकेट इतिहास की सबसे बड़ी और रोमांचक जीत.
एबी डीवीलियर्स का तूफान - क्रिकेट के मैदान पर सबसे तेज शतक की बात जब भी होती है तो जेहन में शाहिद अफऱीदी का नाम आता है. लंबे समय तक उनके इस रिकॉर्ड को कोई तोड़ नहीं पाया था. लेकिन 2014 में न्यूजीलैंड के कोरी एंडरसन ने अफरीदी का रिकॉर्ड तोड़ डाला. जब तक क्रिकेट फैन्स इस रिकॉर्ड को याद कर पाते तब तक साउथ अफ्रीका के दिग्गज बल्लेबाज एबी डीवीलियर्स(44 गेंद 149 रन 9 चौके,16 छक्के) ने ऐसे तूफानी पारी खेली जिसे देख क्रिकेट जगत हैरान रह गया. वेस्टइंडीज के खिलाफ 2015 में विश्व कप से ठीक पहले महज 31 गेंद में डीविलियर्स ने 100 ठोक के नया इतिहास रच दिया था.
जोहानिसवर्ग के मैदान पर डीवीलियर्स ने क्रिकेट के मैदान पर ऐसे-ऐसे शॉट खेले जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था. इस शतक की सबसे बड़ी बात थी कि डीवीलियर्स 39वें ओवर में बल्लेबाजी करने आए और अगले 31 गेंद में शतक बना डाला. इतना ही नहीं उन्होंने 16 गेंद पर अर्द्धशतक भी लगाया जो कि सबसे तेज अर्द्धशतक भी है. उन्होंने एक पारी में सबसे अधिक छक्कों के रिकॉर्ड की भी बराबरी कर ली. डीवीलियर्स के शतक के साथ साउथ अफ्रीकी टीम ने भी खास रिकॉर्ड बनाया. पहली बार वनडे क्रिकेट में पहले तीन बल्लेबाजों ने शतक लगाया था.
भारत की सबसे रोमांचक जीत - मैदान बांग्लादेश का, सामने पाकिस्तान की टीम और प्रेशर फाइनल का. ये मुकाबला उस दौर का है जब भारत को फाइनल में हारने वाली टीम कहा जाता था. लेकिन इस मैच ने भारत के वनडे क्रिकेट को पूरी तरह बदल कर रख दिया. मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में भारत ने सिलवर जुबली इंडिपेंडेन्स कप के फाइनल में भारत ने पाकिस्तान के 314 रनों के लक्ष्य को एक गेंद पहले हासिल कर नया इतिहास लिखा था. वनडे क्रिकेट के इतिहास में इससे पहले किसी भी टीम ने इतने बड़े लक्ष्य को नहीं भेदा था.
भारत की ओर से जहां सौरवन गांगुली ने 124 रनों की पारी खेली तो वहीं सचिन तेंदुलकर ने 26 गेंद में 41 रनों की तूफानी शुरुआत दी. संकट की घड़ी में रोबिन सिंह ने 82 रन बनाए. भारत का मध्यक्रम अचानक ढह गया. लेकिन एक तरफ थे ऋषिकेश कानित्कर, जिन्होंने सकलैन के आखिरी ओवर की पांचवीं गेंद पर चौका लगाकर भारत को जीत दिला दी. सिर्फ एक शॉट से कानित्कर भारत के नए स्टार बन गए.
और अंत में लगातार दो टेस्ट में दोहरा शतक लगाने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी विनोद कांबली का जन्म भी 18 जनवरी(1972) ही हुआ था.