ON THIS DAY: 35 साल पहले आज ही के दिन भारत ने विश्व क्रिकेट में दिखाई थी अपनी बादशाहत
मौजूदा क्रिकेट के युवा फैंस पीछे मुढ़कर देखेंगे तो उन्हें 2007 का टी20 या 2011 का क्रिकेट विश्वकप सबसे पहले नज़र आएगा.
नई दिल्ली: मौजूदा क्रिकेट के युवा फैंस पीछे मुढ़कर देखेंगे तो उन्हें 2007 का टी20 या 2011 का क्रिकेट विश्वकप सबसे पहले नज़र आएगा. जहां पर धोनी की स्टाइलिश सेना ने टीम इंडिया को जीतना सिखाया. लेकिन 25 जून यानि आज की तारीख भारतीय क्रिकेट को बदलने वाली तारीख है. जिसे देखर सचिन, सौरव, द्रविड़, कुंबले जैसे कई दिग्गज भारतीय टीम तक पहुंचे.
आज की तारीख को कभी भुलाया नहीं जा सकता क्योंकि 25 जून 1983 को भारतीय क्रिकेट टीम कपिल देव की अगुआई में पहली बार वनडे क्रिकेट में विश्वविजेता बनी थी. यह वह दौर था जब भारत को वनडे में बेहद ही कमजोर टीम माना जाता था लेकिन विश्व कप जीतकर भारतीय टीम ने पूरी दुनिया को चौंका दिया.
कपिल देव की इस टीम को देखकर किसी को भरोसा नही था कि टीम विश्व कप फाइनल तक का सफर तय कर पाएगी, लेकिन खिलाड़ियों के हौसले और जज्बे ने भारतीय क्रिकेट में वह कारनामा कर दिखाया जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी.
भारत विश्व कप के फाइनल में पहुंच चुका था. फाइनल में उसका सामना वेस्टइंडीज से था. वेस्टइंडीज की टीम उस दौर में विश्व क्रिकेट की सबसे मजबूत टीम थी. इंग्लैंड में लॉर्डस के मैदान पर खेले गए इस मैच में वेस्टइंडीज ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला लिया था. वेस्टइंडीज की तेज गेंदबाजों की आग उगलती गेंदों के आगे भारतीय बल्लेबाज़ी ताश के पत्तों की तरह बिखर गई और सिर्फ 182 रन ही पाई. भारत की ओर से के श्रीकांत ने सबसे अधिक 31 रन बनाए. मोहिंदर अमरनाथ ने भी बल्ले से 26 रनों से अहम योगदान दिया.
वेस्टइंडीज की मजबूत बैटिंग लाइनअप के सामने 183 रनों का लक्ष्य बेहद मामुली लग रहा था लेकिन किसे पता था कि भारतीय क्रिकेट में एक नया इतिहास लिखा जाने वाला है.
वेस्टइंडीज की टीम जिस उम्मीद के साथ लक्ष्य का पीछा करने उतरी वैसा बिल्कुल भी नहीं हुआ. भारतीय तेज गेंदबाज बलबिंदर सिंह संधु की स्विंग होती गेंद ने वेस्टइंडीज के ओपनर बल्लेबाज गॉर्डन ग्रीनिज की गिल्लियां बिखेर कर भारत को पहली सफलता दिलाई, लेकिन इसके बाद जो हुआ उसने एक बार तो जैसे भारतीय क्रिकेट फैंस की सांसे ही रोक दी.
वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के महान बल्लेबाज विव रिचर्डस ने भारतीय गेंदबाजों की जमकर खबर लेनी शुरु कर दी और ताबड़तोड़ 38 गेदों में 7 चौके की मदद से 33 रन बना डाले. ऐसा लग रहा था मानो विव रिचर्डस मैच को जल्दी खत्म करने के मूड में आए हों.
लेकिन किस्मत भारतीय टीम के साथ थी. मदन लाल की गेंद पर विव रिचर्ड्स ने एक उंचा शॉट खेल कर कप्तान कपिल देव को कैच थमा दिया. शब्दों में ये कैच जितना आसान लग रहा है उतना था नहीं कपिल ने बेहद मुश्किल कैच लपककर मानो मैच लपक लिया हो.
विव रिचर्ड्स के इस विकेट से मैच पूरी तरह से बदल गया. इसके बाद तो मानों जैसे भारतीय गेंदबाजी आक्रमण एक अद्भुत लय में आ गई. फील्डिंग में नई फूर्ती और चुस्ती ने भारतीय टीम की उम्मीदों को और अधिक बढ़ा दिया. अब निरंतर अंतराल पर वेस्टइंडीज के विकेट का पतन होने लगा. लेकिन मैच यहां भी खत्म नहीं हुआ क्योंकि मिडिल ऑर्डर में मार्शन और विकेटकीपर जैफ डुज़ॉन ने एक साझेदारी बनाई और भारत से जीत एक बार फिर दूर जाती दिखी.
76 के स्कोर पर 6 विकेट गंवाने के बाद मैदान पर उतरी मार्शल और डुजॉन की जोड़ी ने 43 रन जोड़ लिए और भारत की मुश्किलें बढ़ाने लगे. लेकिन यहां टीम के स्टार ऑल-राउंडर मोहिंदर अमरनाथ आए मैच पलट कर रख दिया.
पहले अमरनाथ ने 119 के स्कोर पर डुजॉन को बोल्ड कर वेस्टइंडीज़ की सांसे रोक दी. इसके बाद 124 के स्कोर पर उन्होंने मार्शन को भी गावस्कर के हाथों कैच आउट करवाकर टीम इंडिया की उम्मीदों फिर से ज़िंदा कर दिया. इसके बाद ऐसा लगने लगा कि 183 रनों का लक्ष्य वेस्टइंडीज के लिए किसी ऐवरेस्ट की चढ़ाई की तरह हो गया है.
भारतीय गेंदबाजों की दमदार प्रर्दशन के आगे वेस्टइंडीज की पूरी टीम सिर्फ 140 रन ही बना पाई और इस तरह भारतीय टीम ने 42 रनों से मैच जीतकर पहली बार विश्व कप का खिताब अपने नाम किया. मोहिंदर अमरनाथ ने पहले बल्ले से पहले और फिर गेंद से भी शानदार प्रदर्शन किया. उन्होंने मैच में फेंके अपने 7 ओवर के स्पेल में सिर्फ 12 रन खर्चते हुए 3 अहम विकेट चटकाए.
मोहिंदर अमरनाथ को उनके शानदार प्रर्दशन के लिए प्लेयर ऑफ द मैच भी चुना गया.