Slowest Half-Century in T20 World Cup History: टी20 वर्ल्ड कप 2024 का 22वां मैच पाकिस्तान और कनाडा के बीच खेला गया. 11 जून को यह मैच न्यूयॉर्क के नासाउ काउंटी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेला गया, जिसमें पाकिस्तान ने कनाडा को 7 विकेट से हराकर इस टूर्नामेंट में अपनी पहली जीत दर्ज की. लेकिन इस मैच की एक घटना अब टी20 वर्ल्ड कप के इतिहास में जुड़ गई है. कोई भी खिलाड़ी ऐसा रिकॉर्ड अपने सिर पर नहीं लेना चाहेगा और अब वह शर्मनाक और अनचाहा रिकॉर्ड मोहम्मद रिजवान (Mohammad Rizwan) के नाम आ गया है.


मोहम्मद रिजवान बने इस अनचाहे रिकॉर्ड के मालिक
दरअसल, पाकिस्तान के ओपनर मोहम्मद रिजवान ने कनाडा के खिलाफ अर्धशतक जड़ा. उन्होंने 100 के स्ट्राइक रेट से 53 गेंदों पर 53 रन बनाए, जिसमें 2 चौके और एक छक्का शामिल है. इस पारी के बाद मोहम्मद रिजवान टी20 वर्ल्ड कप में सबसे धीमी गति से अर्धशतक जड़ने वाले खिलाड़ी बन गए हैं. कोई भी खिलाड़ी यह रिकॉर्ड अपने नाम नहीं करना चाहेगा.






इन खिलाड़ियों ने टी20 वर्ल्ड कप में लगाया अब तक का सबसे धीमा अर्धशतक



  • मोहम्मद रिजवान
    इस फेहरिस्त में सबसे पहला नाम मोहम्मद रिजवान का है. उन्होंने टी20 वर्ल्ड कप 2024 के 22वें मैच में कनाडा के खिलाफ 52 गोंदों में सबसे धीमा अर्धशतक लगाया. मोहम्मद रिजवान ने 53 गेंदों पर 100 की स्ट्राइक रेट से 53 रन बनाए. जिसमें दो चौके और एक छक्का शामिल है.

  • डेविड मिलर
    इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर डेविड मिलर (David Miller) का नाम आता है. मिलर ने टी20 वर्ल्ड कप 2024 के 16वें मैच में नीदरलैंड के खिलाफ 50 गेंदों में यह कारनामा अपने नाम किया. उन्होंने 50 गेंदों में फिफ्टी पूरी की थी. 

  • डेवोन स्मिथ
    इसके बाद तीरसे नंबर पर डेवोन स्मिथ (Devon Smith) हैं. स्मिथ ने टी20 वर्ल्ड कप 2007 के 5वें मैच में बांग्लादेश के खिलाफ यह अनचाहा रिकॉर्ड 49 गेंदों में अपने नाम किया था. डेवोन स्मिथ ने 52 गेंदों पर 98.07 की स्ट्राइक रेट से 51 रन बनाए, जिसमें 6 चौके शामिल थे.

  • डेविड हसी
    डेविड हसी (David Hussey) ने टी20 वर्ल्ड कप 2010 में इंग्लैंड के खिलाफ 49 गेंदों में अर्धशतक जड़ा. डेविड हसी ने 54 गेंदों में 109.25 की स्ट्राइक रेट से 59 रन बनाए, जिसमें 2 चौके और 2 छक्के शामिल थे.


यह भी पढ़ें:
T20 World Cup History: कब हुई थी टी20 वर्ल्ड कप की शुरुआत? जानें किसने और कहां जीता था पहला खिताब