पिछले कुछ वक्त में भारतीय क्रिकेट टीम में विकेटकीपर के रोल को लेकर काफी चर्चा होती रही है. खास तौर पर एमएस धोनी के पिछले वर्ल्ड कप के बाद से ही क्रिकेट से दूर होने के कारण टीम मैनेजमेंट ज्यादातर कंफ्यूजन में दिखी है. ऐसे में अनुभवी विकेटकीपर पार्थिव पटेल का मानना है कि युवा विकेटकीपरों को खुद को साबित करने के लिए नियमित मौके दिए जाने की जरूरत है.


टेस्ट क्रिकेट से धोनी के रिटायरमेंट के बाद से ही बीते 5 सालों में ऋद्धिमान साहा टीम के नंबर 1 विकेटकीपर रहे. हालांकि बीच में चोट के कारण वो टीम से बाहर हुए और इस दौरान ऋषभ पंत को टीम में मौका दिया गया. हालांकि अब साहा की टीम में वापसी हुई है.

निरंतर मौके से मिलता है आश्वासन

दूसरी तरह छोटे फॉर्मेट में टीम में निरंतरता का अभाव दिखा है. कुछ वक्त तक ऋषभ पंत को मौके दिए गए, लेकिन वो भी ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाए, जबकि अब टीम ने केएल राहुल को ये जिम्मेदारी दी है जिसमें वो अभी तक बेहतर दिखे हैं.

टीम इंडिया के लिए 2018 में आखिरी टेस्ट मैच खेलने वाले पार्थिव ने एक इंस्टाग्राम चैट के दौरान कहा, “ऐसा नहीं है कि हमारे पास फिक्स विकेटकीपर नहीं हैं. इंडिया ए के साथ केएस भरत हैं. ऋषभ पंत भी हैं और केएल राहुल भी. ऋद्धिमान साहा टेस्ट में आपके नंबर 1 विकेटकीपर हैं. लेकिन मुझे लगता है कि थोड़ी निरंतरता की जरूरत है.”

खुद को बल्लेबाज की तरह समझें विकेटकीपर

पार्थिव ने कहा कि निरंतर मौके मिलने से विकेटकीपर अपनी भूमिका को लेकर सुनिश्चित रहता है. पार्थिव ने साथ ही कहा कि आज के वक्त में विकेटकीपरों को एक नियमित बल्लेबाज के तौर पर खुद को समझना चाहिए. उन्होंने कहा कि पहले जैसी स्थिति नहीं है कि सिर्फ 30 रन बना दिए और फिर विकेटकीपिंग करने लगे.

पार्थिव ने कहा कि विकेटकीपर एक ऑलराउंडर है. अगर विकेटकीपर अच्छा बल्लेबाज है तो टीमों को एक अतिरिक्त गेंदबाज खिलाने का मौका मिलता है जिससे टीम को टेस्ट मैच में 20 विकेट लेने में सहायता मिलती है.

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