ये सारी बहस तब से शुरू हुई जब रवींद्र जडेजा ने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ वॉर्म-अप मैच में हाफ सेंचुरी लगा दी. ऐसी पिच पर जहां टीम इंडिया के बड़े दिग्गज खिलाड़ी नहीं चले वरना रवींद्र जडेजा ने सूझबूझ भारी पारी खेली और भारत को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया. एक वक्त था जब भारतीय टीम सिर्फ 91 रनों पर सात विकेट गंवा चुकी थी.


इसके बाद भी जडेजा ने कुलदीप यादव के साथ मिलकर टीम का स्कोर पौने दो सौ के पार पहुंचा ही दिया. न्यूजीलैंड ने वो मैच 6 विकेट से जीता था. इसके बाद से लगातार ये चर्चा गर्म है कि जो 9 लीग मैच भारतीय टीम को खेलने हैं उसमें से कितने मैचों में रवींद्र जडेजा प्लेइंग 11 में दिखेंगे? दिखेंगे भी या नहीं दिखेंगे? नहीं दिखेंगे का डर इसलिए है क्योंकि टीम में फुलटाइम स्पिनर के तौर पर कुलदीप यादव और युजुवेंद्र चहल हैं.

इसके अलावा केदार जाधव के भी टीम में रहने से ‘वेराइटी’ आती है. बावजूद इन विकल्पों के रवींद्र जडेजा का दावा मजबूत है. वॉर्म-अप मैच में बल्ले का कमाल दिखाकर उन्होंने अपने दावे को मजबूत ही किया है. मंगलवार को दूसरे वॉर्म-अप मैच में ये बात और ज्यादा साफ हो जाएगी. मंगलवार को भारतीय टीम को बांग्लादेश के खिलाफ खेलना है. जो मैच कार्डिफ में खेला जाएगा. फिलहाल चर्चा इस बात की कर लेते हैं कि रवींद्र जडेजा के टीम में रहने और ना रहने के पीछे के तर्क क्या क्या हैं.

जडेजा की गेंदबाजी लायक पिच नहीं मिलेगी

इंग्लैंड की पिचें सपाट दिख रही हैं. वर्ल्ड कप के वॉर्म-अप मैच से पहले पाकिस्तान बनाम इंग्लैंड की सीरीज में भी रनों का अंबार लगा. ऐसे में इन ‘बैटिंग ट्रैक्स’ पर विराट कोहली ‘रिस्ट स्पिनर्स’ को खिलाना पसंद करेंगे. तमाम दिग्गज खिलाड़ियों की ये सलाह रही है कि प्लेइंग 11 में कुलदीप यादव और चहल दोनों को खिलाना चाहिए क्योंकि बीच के ओवरों में दोनों जोड़ीदार के तौर पर अच्छी गेंदबाजी करते हैं. गेंदबाजी में वेरिएशन के लिए केदार जाधव हैं.

विराट कोहली ने पिछले तमाम मैचों में जब भी केदार जाधव को गेंद थमाई है उनका मकसद एक ही रहा है. विरोधी टीम की जमी जमाई जोड़ी को तोड़ना. केदार जाधव ने हमेशा ये रोल बखूबी निभाया है. वो ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी भी करते हैं. अब बात रवींद्र जडेजा की. जडेजा ऐसी पिचों पर गेंदबाजी करना पसंद करते हैं जो थोड़ी ‘रफ’ हों. वो उसी ‘रफ’ से गेंद को ‘टर्न’ कराते हैं और बल्लेबाजों को परेशान करते हैं. लाइन-लेंथ के मामले में वो बेजोड़ हैं. लेकिन मुश्किल यही है कि उनकी मन लायक पिचें विश्व कप में मिलेंगी इसकी संभावना बहुत कम है. यानी सिर्फ गेंदबाजी के लिहाज से देखा जाए तो रवींद्र जडेजा विराट कोहली का विश्वास शायद ही जीत पाएं.

फिर भी बनेगी रवींद्र जडेजा की जगह

जगह तो रवींद्र जडेजा की बनेगी. वो जगह बनेगी उनकी शानदार फील्डिंग से और बैटिंग से. इन दोनों मोर्चों पर वो खरे उतरते हैं. इस बात का आधार न्यूज़ीलैंड के खिलाफ मैच में हाफसेंचुरी भर नहीं है बल्कि वो 151 वनडे मैच हैं जिनमें उन्होंने करीब 30 की औसत से रन बनाए हैं. उनकी स्ट्राइक रेट भी 85 के करीब है. फील्डिंग और फिटनेस के मामले में वो टीम इंडिया के टॉप-3 खिलाड़ियों में शुमार हैं. वनडे क्रिकेट में एक ‘टर्म’ इस्तेमाल किया जाता है ‘यूटिलिटी’ प्लेयर.

इस परिभाषा पर रवींद्र जडेजा बिल्कुल खरे उतरते हैं. वो मैदान में 30 रन बनाएंगे, 10-12 रन बचाएंगे और 4-5 ओवर गेंदबाजी करेंगे. उनके इसी रोल के आधार पर ये कहना गलत नहीं है कि विश्व कप के मैचों में वो जितनी बार ड्रेसिंग रूम में दिखेंगे उतनी ही बार प्लेइंग 11 में भी दिखेंगे. विराट कोहली उन्हें कम से कम 3-4 मैचों में जरूर मौका देंगे. आज की तारीख में ये आंकलन जरूर लगता है लेकिन ये आंकलन सच में भी तब्दील होगा.