पृथ्वी शॉ के रूप में टीम इंडिया को एक नई सनसनी मिल गई है. अपने बल्ले से पहले मैच के पहले दिन ही लाखों फैंस बना लेने वाले इस 18 साल के लड़के में कुछ तो अलग है. इस चीज़ की सबसे पहली पहचान की थी मुंबई के पूर्व कप्तान मिलिंद रेगे ने.
जी हां, मिलिंद ने 17 साल की उम्र में ही पृथ्वी के प्रतिभा को पहचान लिया था और उन्हें रणजी डेब्यू करने का मौका दिलवाया था. मिलिंग रेगे वही शख्स हैं जिन्होंने साल 1988 में मुंबई की रणजी टीम में सचिन तेंडुलकर को भी पहुंचाया था. वो उस सलेक्शन समिति का हिस्सा थे जिसने सचिन को 15 साल की उम्र में ही क्रिकेट की पहली सीढ़ी चढ़वा दी थी.
सचिन को टीम तक पहुंचाने के लगभग 30 साल बाद मुंबई सलेक्शन समिति के चेयरमैन रेगे ने 17 साल के इस लड़के का प्रतिभा पहचानकर उन्हें रणजी कैप पहनाई और दोनों बल्लेबाज़ों ने शतक लगाकर उन्हें निराश भी नहीं किया.
मुंबई मिरर से खास बात करते हुए मिलिंद ने कहा, 'पृथ्वी के बारे में जो पहली चीज़ मुझे याद है वो ये है कि वो गेंद के अच्छे स्ट्राइकर हैं. जिस तरह सचिन औरों से अलग थे, पृथ्वी भी वैसे ही हैं. उनका प्रतिभा इतना ज़बरदस्त है कि हमें उन्हें मौका देना ही थी. उनके अंदर रनों को लेकर अलग किस्म की भूख है. मुंबई हमेशा इस तरह के खिलाड़ियों को मौका देता है.'
हालांकि साथ ही मिलिंद ने ये भी कहा कि पृथ्वी टिपिकट मुंबई के बल्लेबाज़ों की तरह खड़ूस नहीं है. लेकिन वो खड़ूस होने की एक नई परिभाषा बताते हैं. क्रिकेट की भाषा में खड़ूस होने का मतलब सिर्फ डिफेंसिव खेलना नहीं है, बल्कि वो बल्लेबाज़ भी खड़ूस कहला सकता है जो गेंदबाज़ को दबाव में रखे. इस तरह से हम कह सकते हैं कि विराट एक खड़ूस बल्लेबाज़ हैं. पृथ्वी भी कुछ वैसे ही हैं.'
पृथ्वी को टीम में पहला मौका देने पर उन्होंने कहा, 'ऐसा नहीं है कि मेरी वजह से वो यहां पहुंचा है. वो बहुत ज्यादा प्रतिभावान है जिसकी वजह से हमारी चयन समिति ने उन्हें चुना. मैच की सुबह मैंने मुंबई टीम के कोच चंद्रकांत पंडित ने उन्हें खिलाने का फैसला किया. ये फैसला उनके पिछले स्कोर और प्रदर्शन को देखकर लिया गया था. हमें उसके अंदर प्रतिभा दिखी.'