टेस्ट क्रिकेट में सबसे कम मैचों में 250 और 300 विकेट लेने वाले भारतीय ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को अगर आगे भी ‘सबसे तेज’ विकेट का रिकॉर्ड बनाना है तो उन्हें विदेशी सरजमीं पर अच्छा प्रदर्शन करना होगा. क्योंकि भारतीय टीम को अगले दो वर्षों में स्वदेश के बजाय विदेशों में अधिक टेस्ट मैच खेलने हैं.


अश्विन ने श्रीलंका के खिलाफ हाल में नागपुर टेस्ट मैच में अपने 54वें मैच में 300वां विकेट लेकर सबसे कम मैचों में इस मुकाम पर पहुंचने का रिकॉर्ड बनाया था. इसके बाद 350 से लेकर 800 विकेट तक के सभी रिकॉर्ड श्रीलंका के दिग्गज मुथैया मुरलीधरन के नाम पर हैं जिनकी नजर में अभी यह भारतीय ऑफ स्पिनर विश्व का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज है.


अश्विन अभी जिस गति से विकेट ले रहे हैं उससे वह मुरलीधरन के सबसे तेज 350 और 400 विकेट लेने के रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं या उसकी बराबरी कर सकते हैं लेकिन इसके लिये उन्हें विदेशों में अच्छा प्रदर्शन करना होगा. उन्होंने विदेशी सरजमीं पर 20 टेस्ट मैचों में केवल 84 विकेट लिए हैं. इस तरह से उन्होंने विदेशों में प्रति टेस्ट 4.2 विकेट लिए हैं जबकि ओवरऑल उनका यह औसत प्रति टेस्ट 5.5 है.


विदेशों के इन विकेटों में भारतीय उपमहाद्वीप के अन्य देशों (श्रीलंका और बांग्लादेश) में सात टेस्ट मैचों में लिए गए 43 विकेट भी शामिल हैं. इन दोनों देशों में परिस्थितियां स्पिनरों के अनुकूल होती है. इस तरह से अश्विन भारतीय उपमहाद्वीप से बाहर 13 टेस्ट मैचों में केवल 41 विकेट ले पाए हैं जो कि प्रति मैच 3.1 विकेट बैठता है. अश्विन यदि उपमहाद्वीप से बाहर अपने प्रदर्शन में सुधार नहीं कर पाते हैं तो फिर उनके लिए यह बुरी खबर होगी कि भारत को अगले दो साल में जो 16 टेस्ट मैच विदेशों में खेलने हैं वे सभी उपमहाद्वीप से बाहर खेले जाएंगे.


भारत को अगले साल जनवरी में साउथ अफ्रीका में चार टेस्ट मैच खेलने हैं जहां अश्विन ने जो एकमात्र टेस्ट मैच खेला है उसमें उन्हें विकेट नहीं मिला. इसके बाद जुलाई-अगस्त में भारतीय टीम इंग्लैंड में पांच टेस्ट मैच खेलेगी. इस देश में अश्विन के नाम पर दो टेस्ट मैचों में तीन विकेट दर्ज हैं.


भविष्य के दौरा कार्यक्रम यानि एफटीपी के अनुसार भारत अगले साल चार टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए दिसंबर में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाएगा जहां अश्विन का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर (छह मैचों में 21 विकेट) है. भारतीय टीम अगस्त 2019 में वेस्टइंडीज में भी तीन टेस्ट मैच खेलेगी. कैरेबियाई सरजमीं पर अश्विन ने अब तक चार मैचों में 17 विकेट हासिल किये हैं. बीसीसीआई अगर किसी अन्य सीरीज का प्रबंध नहीं करता है तो भारत अगले दो वर्षों में स्वदेश में केवल आठ टेस्ट मैच ही खेल पाएगा.


अगर अश्विन के आंकड़ों पर बात करें तो उन्होंने अपने पहले 50 टेस्ट विकेट नौ टेस्ट मैच में लिए थे लेकिन विदेशी सरजमीं पर खेले गये पहले नौ मैचों में उनके नाम पर केवल 24 विकेट दर्ज थे. उन्होंने 18वें टेस्ट में 100 विकेट लेकर नया भारतीय रिकॉर्ड बनाया था और फिर अगले 100 विकेट लेने के लिए 19 टेस्ट मैच खेले थे लेकिन 200 से 300 विकेट तक वह केवल 17 टेस्ट मैचों में पहुंच गये थे. इस गति से वह 72 टेस्ट मैच तक 400 विकेट तक पहुंच जाएंगे. यह वही संख्या है जितने मैचों में मुरलीधरन ने यह आंकड़ा छुआ था. इसके बाद हालांकि श्रीलंकाई दिग्गज ने विकेट लेने की अपनी गति बढ़ा दी थी.


अश्विन ने हाल में कहा था कि उनका लक्ष्य 600 विकेट के जादुई आंकड़े तक पहुंचना है. मुरलीधरन ने 101 मैचों में यह मुकाम हासिल किया था जबकि उन्होंने 58 मैचों में 300 विकेट लिए थे. इसका मतलब है कि उन्होंने अपने अगले 300 विकेट केवल 43 मैचों में लिये थे. टेस्ट क्रिकेट में 600 से अधिक विकेट लेने वाले दो अन्य गेंदबाज शेन वार्न ने पहले 300 विकेट 63 मैचों में अगले 300 विकेट भी इतने ही मैचों में लिये थे. अनिल कुंबले ने हालांकि पहले 300 के लिये 66 मैच खेले लेकिन इसके बाद 58 मैच खेलकर वह 600 के आंकड़े को छू गये थे.


अश्विन अगर विदेशों में घर जैसा प्रदर्शन नहीं दोहरा पाते हैं तो उन्हें अंतिम एकादश से बाहर बैठना पड़ सकता है जैसा कि पहले भी होता रहा है. अश्विन के डेब्यू के बाद भारत ने उपमहाद्वीप में जो 41 टेस्ट मैच खेले उन सभी में यह ऑफ स्पिनर प्लेइंग इलेवन में शामिल था. इन मैचों में अश्विन ने 259 विकेट लिए. उपमहाद्वीप से बाहर इस बीच भारत ने जो 21 टेस्ट मैच खेले उनमें से आठ में अश्विन को प्लेइंग इलेवन में नहीं चुना गया था.


बीसीसीआई को अपनी अगली विशेष आम सभा (एसजीएम) में एफटीपी पर भी चर्चा करनी है और अगर 2019 के बाद के कार्यक्रम में भारतीय टीम को स्वदेश में अधिक मैच खेलने को मिलते हैं तो फिर अश्विन कई अन्य रिकॉर्ड अपने नाम कर सकते हैं.