कोचिंग के अनुभव पर राहुल द्रविड़ बोले- हर खिलाड़ी को मौका देने की रहती थी कोशिश
राहुल द्रविड़ एक बार फिर से कोच की भूमिका में नज़र आने के लिए तैयार हैं. श्रीलंका रवाना होने से पहले राहुल द्रविड़ ने इंडिया अंडर-19 और इंडिया ए के साथ कोचिंग से जुड़े अनुभव पर बात की है.
IND Vs SL: अगले महीने श्रीलंका के खिलाफ खेली जाने वाली लिमिटिड ओवर सीरीज के लिए इंडियन क्रिकेट टीम का एलान हो गया है. सबसे खास बात है कि इंडिया के पूर्व कप्तान और एनसीए चीफ राहुल द्रविड़ टीम इंडिया के लिए श्रीलंका दौरे पर कोच की भूमिका निभाएंगे. इसी मौके पर राहुल द्रविड़ ने कोचिंग से जुड़े हुए अपने पूराने अनुभवों पर बात की है.
राहुल द्रविड़ इससे पहले इंडिया अंडर-19 और इंडिया ए के साथ कोच की भूमिका में काम कर चुके हैं. राहुल द्रविड़ का कहना है कि वह टीम के कोच थे तो उनका मकसद हर खिलाड़ी को मैच में मौका देने का रहता था. द्रविड़ हालांकि अब भारत ए और अंडर -19 टीमों के साथ नहीं जाते हैं.
राहुल द्रविड़ ने कहा, ''मैं उन्हें पहले ही बता देता था कि यदि आप मेरे साथ ए टीम के दौरे पर आये हो तो फिर आप यहां से मैच खेले बिना नहीं जाओगे. जब मैं जूनियर स्तर पर खेलता था तो मेरे अपने अनुभव थे. ए टीम के दौरे पर जाना और मैच खेलने का मौका न मिलना बहुत बुरा होता था.''
सिलेक्टर्स की नज़रों में आने के लिए बताया था खास तरीका
द्रविड़ ने खिलाड़ियों को सिलेक्टर्स की नज़र में आने का तरीका भी बताया था. पूर्व कप्तान ने कहा, ''मैं खिलाड़ियों से कहता था आप अच्छा प्रदर्शन करते हो. आप 700—800 रन बनाते हो. आप टीम के साथ जाते हो और वहां आपको अपनी योग्यता दिखाने का मौका नहीं मिलता है. इसके बाद आपको चयनकर्ताओं का ध्यान खींचने के लिये अगले सत्र में फिर से वे 800 रन बनाने होते हैं.''
द्रविड़ ने कहा कि भारतीय क्रिकेटरों को अब दुनिया में सबसे फिट माना जाता है. द्रविड़ ने माना है कि पहले भारतीय खिलाड़ियों की तुलना में दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया की फिटनेस कहीं ज्यादा बेहतर होती थी और उन्हें इसके बारे में ज्यादा समझ नहीं थी. अब द्रविड़ राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में प्रमुख हैं और वह अगली पीढ़ी के क्रिकेटरों को तैयार करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
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