भारत में क्रिकेट को लेकर अलग तरह का क्रेज है. इंटरनेशनल टूर्नामेंट से लेकर नेशनल और रीजनल टूर्नामेंट का भी अपना अलग ही फ़ैन बेस है. भारत में खेला जाने वाला ऐसा ही एक मशहूर टूर्नामेंट है रणजी ट्रॉफ़ी. रणजी ट्रॉफी का क्या है आज के दिन से कनेक्शन और क्या है इस नाम के पीछे की कहानी.. जानिए सबकुछ
रणजी ट्रॉफ़ी के नामकरण की कहानी
रणजी ट्रॉफी का नाम भारत के पहले इंटरनेशनल क्रिकेटर रणजीत सिंह जी विभाजी जडेजा के नाम पर रखा गया है. रणजीत सिंह नवानगर के महाराज थे और 'रणजी' के नाम से मशहूर थे. 'रणजी' इंग्लिश क्रिकेट टीम की तरफ़ से टेस्ट मैच खेला करते थे. इसके अलावा 'रणजी' कैंब्रिज विश्वविद्यालय की ओर से फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट और ससेक्स की ओर से काउंटी क्रिकेट खेला करते थे.
आज के दिन से क्या है कनेक्शन
भारत के पहले इंटरनेशनल क्रिकेटर रणजीत सिंह विभाजी जडेजा का जन्म 10 सितंबर 1872 को काठियावाड़ में हुआ था. 'रणजी' को बचपन से ही क्रिकेट में रूचि थी. 11 वर्ष की उम्र में उन्होंने 1883 में पहली बार स्कूल क्रिकेट खेला था और अगले ही साल वह स्कूल क्रिकेट टीम के कप्तान बन गए थे.
1934-35 में हुआ था रणजी ट्रॉफ़ी का पहला एडिशन
रणजी ट्रॉफ़ी का पहला एडिशन 1934-35 में हुआ था. पहले ही एडिशन में पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह ने ट्रॉफ़ी डोनेट की थी. पहला मैच चेपॉक ग्राउंड में मद्रास और मैसूर के बीच हुआ था. 2020-21 में कोरोना के कारण पहली बार रणजी ट्रॉफ़ी का आयोजन नहीं हो सका था. वर्तमान में देशभर से 38 टीमें इस ट्रॉफ़ी को जीतने के लिए मैदान पर उतरती हैं.
'रणजी' के क्रिकेट रिकॉर्ड्स
रणजीत सिंह जी विभाजी जडेजा ने भारतीय क्रिकेट के विकास में अहम भूमिका अदा की थी. 'रणजी' एक बेहतरीन बल्लेबाज़ थे. 'रणजी' ने 15 टेस्ट मैच और 307 फ़र्स्ट क्लास मैच खेले थे. टेस्ट मैचों में उनका टॉप स्कोर 175 और फ़र्स्ट क्लास मैचों में नाबाद 285 रन था. उन्होंने पूरे टेस्ट करियर में 989 और फ़र्स्ट क्लास करियर में 24,692 रन बनाए थे और टेस्ट करियर में उनके नाम 2 शतक और 6 अर्धशतक भी हैं.
वह 1907 में महाराजा जाम साहब नवानगर बने थे. क्रिकेट के अलावा रणजीत सिंह विभाजी 'रणजी' राजाओं के समूह 'नरेश मंडल' के चांसलर भी रहे और लीग ऑफ नेशंस में भारत का भी प्रतिनिधित्व किया था. 2 अप्रैल 1933 को 60 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था.