इंदौर: गुजराज रणजी टीम के कप्तान पार्थिव पटेल के विषम परिस्थितियों में बनाये गये शानदार शतक से गुजरात ने 41 बार की चैंपियन मुंबई को पांच विकेट से हराकर पहली बार रणजी ट्रॉफी खिताब जीता.
गुजरात के सामने जीत के लिए 312 रन का लक्ष्य था और उसने पार्थिव की 143 रन की बेजोड़ पारी के दम पर मैच के पांचवें और अंतिम दिन पांच विकेट पर 313 रन बनाकर राष्ट्रीय चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया. गुजरात ने रणजी फाइनल में सबसे बड़ा लक्ष्य हासिल करने का भी रिकॉर्ड बनाया. इससे पहले का रिकॉर्ड हैदराबाद के नाम पर था जिसने 1938 में नवानगर के खिलाफ नौ विकेट पर 310 रन बनाये थे.
गुजरात 66 साल पहले 1950-51 में फाइनल में पहुंचा था लेकिन तब उसे होलकर (अब मध्यप्रदेश) ने इंदौर में ही खेले गये फाइनल में 189 रन से हरा दिया था. गुजरात रणजी चैंपियन बनने वाली 16वीं टीम है. गुजरात ने 2014-15 में सैयद मुश्ताक अली टी20 ट्रॉफी और 2015-16 में विजय हजारे वनडे ट्रॉफी जीती थी और इस तरह से तीनों राष्ट्रीय खिताब जीतने वाली वह चौथी टीम बन गयी है. गुजरात से पहले तमिलनाडु, बंगाल और उत्तर प्रदेश यह कारनामा कर चुके हैं.
पार्थिव तीनों खिताब जीतने वाले पहले कप्तान भी बन गये हैं. मुंबई की यह रणजी फाइनल में केवल पांचवी हार है. इससे पहले आखिरी बार उसे 1990-91 में हरियाणा ने दो रन से हराया था. इसके बाद मुंबई 11 बार फाइनल में पहुंचा जिनमें से पिछले दस में उसने जीत दर्ज की थी. गुजरात ने सुबह बिना किसी नुकसान के 47 रन से आगे खेलना शुरू किया लेकिन उसने इसी स्कोर पर इस सत्र में सर्वाधिक 1310 रन बनाने वाले सलामी बल्लेबाज प्रियांक पांचाल (34) का विकेट गंवा दिया. पांचाल ने बलविंदर संधू (101 रन देकर दो विकेट) की ऑफ स्टंप से बाहर जाती गेंद पर दूसरी स्लिप में खड़े सूर्यकुमार यादव को कैच दिया.
जुनेजा ने अखिल हेरवादकर की गेंद पर विकेटकीपर आदित्य तारे को कैच दिया. हालांकि तब बल्लेबाज को लग रहा था कि गेंद उनके बल्ले से लगकर नहीं गयी. रूजुल भट (नाबाद 27) ने हालांकि पार्थिव का अच्छा साथ दिया और अपने कप्तान के साथ पांचवें विकेट के लिये 94 रन जोड़े. भट जब केवल एक रन पर थे तब तारे ने उनका आसान कैच छोड़ा. गेंद उनके पीछे हेलमेट पर लगी जिससे मुंबई को पांच पेनल्टी रन भी गंवाने पड़े.
भट को इसके बाद भी दो बार जीवनदान मिले. मैन ऑफ द मैच पार्थिव इस बीच संधू पर तीन चौके जड़कर शतक के करीब पहुंचे और उन्होंने हेरवादकर पर दो रन लेकर प्रथम श्रेणी क्रिकेट में अपना 25वां सैकड़ा पूरा किया. उन्होंने सबसे पहले ड्रेसिंग रूम में बैठे अपने साथियों और फिर दर्शकों का अभिवादन स्वीकार किया. पार्थिव की पारी का अंत आखिर में शादरुल ठाकुर ने किया.
पार्थिव ने शॉर्ट पिच गेंद पर वापस गेंदबाज को कैच थमाया लेकिन तब गुजरात लक्ष्य से केवल 13 रन दूर था. पार्थिव ने अपनी पारी में 196 गेंदों का सामना किया तथा 24 चौके लगाये. चिराग गांधी (नाबाद 11) ने ठाकुर पर लगातार दो चौके जड़कर अपनी टीम को लक्ष्य तक पहुंचाया.
यह मुंबई की ‘बम्बई से मुंबई’ बनने के बाद रणजी फाइनल में पहली हार है..