(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कोच रवि शास्त्री ने बताया, ये भारतीय टीम विराट की सेना को दे सकती है ODI में चुनौती
1985 की वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे रवि शास्त्री ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज जीतना और 1985 में चैंपियनशिप जीतना उनके लिए सबसे खास है.
भारतीय क्रिकेट टीम इस वक्त दुनिया की सबसे मजबूत टीमों में से है. तीनों फॉर्मेट में टीम अच्छा क्रिकेट खेल रही है. भले ही टीम वर्ल्ड कप जीतने में नाकाम रही, इसके बावजूद इस टीम से पार पाना आसान नहीं. भारतीय टीम के कोच रवि शास्त्री का मानना है कि विराट कोहली, रोहित शर्मा और जसप्रीत बुमराह जैसे धुरंधरों से भरी इस टीम को एक पुरानी भारतीय टीम कड़ी टक्कर दे सकती है.
रवि शास्त्री का मानना है कि 1985 में वनडे मैचों में खेलने वाली भारतीय टीम इतनी मजबूत थी कि वह विराट कोहली की कप्तानी में मौजूदा भारतीय टीम को भी परेशानी में डाल सकती थी. शास्त्री उस टीम का अहम हिस्सा थे.
शास्त्री बने थे ऐतिहासिक जीत के हीरो
उस वक्त लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर की टीम के कप्तान थे और भारत ने बेंसन एंड हेजेस क्रिकेट वर्ल्ड चैंपियनशिप जीती थी. भारतीय टीम ने उससे 2 साल पहले ही पहली बार वर्ल्ड कप जीता था और टीम में गावस्कर के अलावा कपिल देव, मोहिंदर अमरनाथ, कृष्णमचारी श्रीकांत और रवि शास्त्री जैसे बेहतरीन क्रिकेटर मौजूद थे.
खुद शास्त्री उस सीरीज के हीरो साबित हुए थे. ऑस्ट्रेलिया में खेली गयी इस चैंपियनशिप में शास्त्री ने गेंद और बल्ले से शानदार ऑलराउंड प्रदर्शन किया था. उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया था जिसके लिए उन्हें महंगी ‘ऑडी’ कार मिली थी. उस दौर में ऐसी कार ईनाम में जीतने वाले शास्त्री पहले खिलाड़ी थे.
फिलहाल बतौर कोच शास्त्री ने भारतीय टीम को दुनिया की सबसे मजबूत टीम बनाने में अहम भूमिका निभाई है. टीम ने ज्यादातर मौकों पर तीनों फॉर्मेट में कमाल का प्रदर्शन किया है.
शास्त्री ने ‘सोनी टेन पिटस्टॉप’ कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘‘इसमें कोई शक नहीं. वह (1985 की टीम) लिमिटेड ओवरों की किसी भी भारतीय टीम को कड़ी चुनौती देगी. 1985 की वह टीम मौजूदा टीम को भी परेशानी में डाल देगी.’’
ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज और 1985 की जीत यादगार
शास्त्री का साथ ही मानना है कि 1985 की टीम 1983 में वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम से भी बेहतर थी क्योंकि उसमें युवा और अनुभव का अच्छा मेलजोल था.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं तो यहां तक मानता हूं कि 1983 की तुलना में 1985 की टीम ज्यादा मजबूत थी. ’’ शास्त्री ने कहा, ‘‘मैं दोनों टीमों का हिस्सा था. मैं 1983 वर्ल्ड कप में खेला था और 1985 में अगर आप हर खिलाड़ी पर गौर करो तो उसमें 1983 के 80 फीसदी खिलाड़ी शामिल थे. लेकिन इस बीच टीम में शिवरामकृष्णन, सदानंद विश्वनाथ, अजहरुद्दीन जैसे युवा खिलाड़ी आ गये थे. हमारे पास पहले से अनुभवी खिलाड़ी थे और इनके जुड़ने से टीम शानदार बन गई.’’
शास्त्री ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में 2018-19 में 71 सालों में पहली बार टेस्ट सीरीज जीतना बेहद खास रहा लेकिन जब लिमिटेड ओवरों के क्रिकेट की बात आती है तो 1985 की वर्ल्ड चैंपियनशिप जीत का कोई जवाब नहीं.
उन्होंने कहा, ‘‘इन दोनों टीमों का हिस्सा होना शानदार है. ऑस्ट्रेलिया को उसकी जमीन पर हराना बहुत मुश्किल था क्योंकि कोई एशियाई टीम 71 साल में ऐसा नहीं कर पायी थी.’’
कपिल देव ने रखी थी ये शर्त
शास्त्री ने 1985 में पाकिस्तान के खिलाफ होने वाले फाइनल से पहले की टीम बैठक का किस्सा भी बताया. उन्होंने कहा, ‘‘कपिल ने कहा था कि अगर मैं कार जीतता हूं तो मैं 25 फीसदी (कार बेचने के बाद मिलने वाली राशि का) रखूंगा और बाकी सारे खिलाड़ियों में बांटना होगा. इसके बाद जिम्मी (मोहिंदर अमरनाथ) ने कहा, ‘यार जिसको मिला, मिला’. जब मेरी बारी आयी तो मैंने कहा, अगर मैं जीता तो मैं कार अपने पास रखूंगा. मैं केवल स्टेपनी ही शेयर कर सकता हूं.’’
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