भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेटर कमेटी की तरफ से हाल ही में एक विज्ञापन जारी किया गया है. इस विज्ञापन में टीम इंडिया के लिए हेड कोच समेत कई अन्य पदों के लिए आवेदन मंगाए गए हैं. इसमें बल्लेबाजी, गेंदबाजी, फील्डिंग के कोच भी शामिल हैं.


इस आवेदन के लिए बोर्ड ने 30 जुलाई आखिरी तारीख तय की है. इन सभी पदों के लिए टीम इंडिया के मौजूदा कोचिंग स्टाफ का आवेदन ‘ऑटोमेटिक’ माना जाएगा. बीसीसीआई के इस विज्ञापन को क्रिकेट फैंस हाल ही में इंग्लैंड में हुए विश्वकप में भारत की हार से जोड़कर भी देख रहे हैं. हालांकि ये सही नहीं है क्योंकि बोर्ड ने 2017 में जब रवि शास्त्री को हेड कोच की जिम्मेदारी सौंपी थी तब ही ये बात साफ थी उनका कार्यकाल 2019 विश्व कप तक ही रहेगा.


फिलहाल वेस्टइंडीज के दौरे के लिए सपोर्ट स्टाफ का कार्यकाल बढ़ाया गया है. असली कहानी ये है कि इंग्लैंड में विश्वकप में हार के बाद भी रवि शास्त्री का हेड कोच की कुर्सी पर बने रहना तय दिख रहा है. विज्ञापन की खानापूर्ति जरूर की गई है लेकिन कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री के बीच जिस तरह की ‘अंडरस्टैंडिंग’ है उसे देखते हुए इस बात की उम्मीद कम ही है कि विराट बतौर कप्तान किसी और कोच के साथ काम करने को तैयार होंगे. आपको याद दिला दें कि 2017 में विवाद के बाद अनिल कुंबले ने कोच की जिम्मेदारी छोड़ दी थी और उसी वक्त विराट कोहली ने रवि शास्त्री को ये जिम्मेदारी सौंपने की पैरवी की थी. वैसे भी खबर यही है कि अक्टूबर में बीसीसीआई के चुनाव होने हैं. इन चुनावों से पहले किसी तरह का कड़ा फैसला लिया जाएगा, इसकी संभावना ना के बराबर है.


विश्वकप में हार के बाद कोच की छुट्टी का रिकॉर्ड टूटेगा


भारतीय क्रिकेट के इतिहास में विश्व कप में हार के बाद कोच की छुट्टी की परंपरा करीब बीस साल पुरानी है. 1999 में भारतीय टीम जब विश्व कप में हारी थी तो अंशुमान गायकवाड़ टीम के कोच हुआ करते थे. उन्हें उस हार के बाद हटाया गया था. इसके बाद 2003 में जब भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका में खेले गए विश्व कप में हारी तो कोच जॉन राइट की छुट्टी हुई. 2007 में जब वेस्टइंडीज में टीम इंडिया का सफर शर्मनाक तरीके से खत्म हुआ तो ग्रेग चैपल को बाहर किया गया.


आपको याद दिला दें कि 2007 में भारतीय टीम पहले ही राउंड से बाहर हो गई थी. इसके बाद 2011 में भारतीय टीम ने विश्व कप का खिताब गैरी कर्स्टन की कोचिंग में जीता. गैरी कर्स्टन को बोर्ड अपने साथ बनाए रखना चाहता था लेकिन वो ही पारिवारिक वजहों से कोच का पद छोड़ कर चले गए. इसके बाद 2015 विश्वकप में जब टीम इंडिया हारी तो कोच डंकन फ्लेचर की छुट्टी हुई. लेकिन जिस तरह के संकेत फिलहाल मिल रहे हैं उसमें ये बहुत ही मुश्किल है कि हेड कोच की जिम्मेदारी रवि शास्त्री की जगह किसी और को सौंपी जाएगी.


आखिर क्यों बच जाएंगे रवि शास्त्री


दरअसल, विश्व कप में भले ही भारतीय टीम सेमीफाइनल में न्यूज़ीलैंड से हारकर बाहर हो गई लेकिन शास्त्री के पक्ष में ये बात जाती है कि लीग मैचों के बाद भारतीय टीम प्वाइंट टेबल में पहली पायदान पर थी. इसके अलावा भी बतौर कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री की जोड़ी ने विश्व कप से पहले विदेशी जमीन पर भी जीत का परचम लहराया. इस जोड़ी का विनिंग परसेंट 70 के आस पास का है.


ऐसे में इस जोड़ी को सिरे से नकार देना जल्दबाजी होगी. हां, इस बात पर चर्चा जरूर होनी चाहिए कि क्या वनडे और टेस्ट टीम की कप्तानी को अलग अलग खिलाड़ियों को सौंपने का समय आ गया है. भारतीय क्रिकेट में ये प्रयोग पहले भी किया जा चुका है. कुंबले टेस्ट टीम के कप्तान थे, धोनी वनडे टीम के. बाद में धोनी टेस्ट टीम के कप्तान थे और विराट वनडे टीम के. हाल के दिनों में फटाफट क्रिकेट में रोहित शर्मा की शानदार कप्तानी को देखते हुए ये विचार जरूर किया जाना चाहिए कि क्या विरोट कोहली को टेस्ट टीम और रोहित शर्मा को वनडे टीम की कप्तानी सौंपी जाए.