'बालाजी जरा धीरे चलो', 16 साल पहले पाकिस्तान में इमरान खान से ज्यादा मशहूर होने वाले बालाजी की असली कहानी
बालाजी ने क्रिकेट के मैदान पर अपनी गेंदबाजी से ज्यादा मुस्कान के साथ एक अलग पहचान बनाई. एक वक्त ऐसा था जब पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी उनकी मुस्कान चर्चा का विषय बन गई थी.
भारत के पूर्व तेज गेंदबाज लक्ष्मीपति बालाजी एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं. दरअसल, आशीष नेहरा ने खुलासा किया कि 2004 में टीम इंडिया के पाकिस्तान दौरे पर बालाजी दर्शकों में अपनी मुस्कान की वजह से पाकिस्तान के मौजूदा पीएम इमरान खान से भी ज्यादा पॉपुलर हो गए थे. खास बात है कि टीम इंडिया करीब 15 साल के बाद पाकिस्तान के दौरे पर पहुंची थी.
2001 में भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले के 2 साल बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमत्री परवेज़ मुशर्रफ ने दोनो मुल्कों के बीच शांति प्रक्रिया स्थापित करने के लिए क्रिकेट के भूमिका को अहमियत देने लगे. करीब डेढ़ दशक बाद ये तय हो गया कि भारतीय क्रिकेट टीम पाकिस्तान का दौरा करेगी.
टीम इंडिया के नाम रही सीरीज
13 मार्च से शुरू होने वाली सीरीज और पाकिस्तान को रवाना होने से पहले भारतीय खिलाड़ी जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के साथ मुलाकात करने उनके घर पहुंचे. तब प्रधानमंत्री जी ने खिलाड़ियों को कहा था कि सीरीज जीतने की कोशिश तो ज़रूर करें, लेकिन साथ मे कोशिश करें दिल भी जीत लें. भारतीय टीम ने सौरव गांगुली की अगुवाई में वनडे और टेस्ट दोनो ही सीरीज जीतने के साथ साथ पूरे हिंदुस्तान और पाकिस्तान का दिल भी जीतकर 6 हफ्ते बाद जब दिल्ली वापस लौटे तब दोनो मुल्कों के खेल प्रेमियों ने भी मान लिया था कि वाकई ही ये एक चैंपियन टीम है.
कराची से शुरू हुआ सफर और पहले ही मुक़ाबले में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को 5 रनों से मात दी थी. राहुल द्रविड़ और वीरेंद्र सहवाग ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए 99 और 79 रन बनायें थे. वन डे और टेस्ट सीरीज में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन सहवाग, द्रविड़, कुंबले, इरफान पठान, युवराज, वी वी एस लक्ष्मण ने किया था. सौरव गांगुली भी शानदार बल्लेबाजी के साथ साथ बेहतरीन कप्तानी भी की. इस सीरीज में वनडे और टेस्ट दोनो फॉर्मेट में शतक बनाया सचिन तेंदुलकर भी शामिल थे.
लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान के दर्शकों का दिल लक्ष्मीपति बालाजी ने जीत लिया था. दूसरे और तीसरे एकदिवसीय मुक़ाबले में बालाजी ने बल्ले के साथ कुछ तेज़ रन बनाएं थे. चौथे मुक़ाबले में 2 विकेट लिए और आखिरी मैच था लाहौर में जहां सीरीज 2-2 की बराबरी पर थी.
हाई स्कोरिंग सीरीज में भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 293 रन बनाया था. पाकिस्तान के लिए लक्ष्य बहुत मुश्किल नहीं था, लेकिन बालाजी ने 3 विकेट लेकर भारत को जीत दिलाई. विकेट लेने के बाद एक भी बार ऐसा नही हुआ कि भारत के तेज़ गेंदबाज़ ने कोई अग्रेशन दिखाया. बल्कि बालाजी शांत रहें और उनके हंसमुख चेहरा पाकिस्तान में लोकप्रिय हो गए.
बालाजी की असली कहानी
बॉलीवुड के गाने के एक आइटम नंबर में एक्ट्रेस याना गुप्ता का एक डांस उस साल चर्चा का विषय बनी हुई थी. "बाबूजी ज़रा धीरे चलो" ... ये गाना सिर्फ भारत मे नही बल्कि पाकिस्तान में भी काफी मशहूर था. लाहौर में मैच के दौरान फैंस ने इस गाने की लिरिक्स को थोड़ा बदल दिया और बालाजी जब बाउंड्री लाइन पर फील्डिंग कर रहे थे, तो वो गानें लगे "बालाजी ज़रा धीरे चलो" ... दर्शको को हर बार बदले में उपहार स्वरूप बालाजी एक हंसी वापस देते थे. लेकिन उन्होंने धीरे गेंदबाज़ी नहीं की, उल्टा और तेज़ डालने लगे और भारत को जीत दिलाई.
इसके आगे टेस्ट सीरीज के दूसरे और तीसरे मुक़ाबले में भी बालाजी ने शानदार गेंदबाजी की. लाहौर में दूसरे मुक़ाबले में तो पाकिस्तान ने भारत को हराया लेकिन रावलपिंडी में तीसरे टेस्ट मैच में तमिलनाडु के फ़ास्ट बॉलर ने दोनों इनिंग्स में मिलकर 7 विकेट चटकाए और टीम इंडिया को इनिंग्स और 131 रनों से जीत दिलाई .
बैक इंजरी के चलते लक्ष्मीपति बालाजी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सिर्फ 8 टेस्ट मैच, 30 वन डे और 4 टी -ट्वेंटी मैच ही खेल पाए. हालांकि आईपीएल में 76 विकेट है उनके नाम हैं जिसमे एक हैट्रिक भी शामिल है.
भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बहुत ज़्यादा विकेट तो वो ले नही पाएं, लेकिन जब भी " दिल जीत लो सीरीज " की बात आती है तो बालाजी को अभी भी लोग याद करते हैं. इसके साथ ही वो लाइन भी याद आ जाती है....बालाजी ज़रा धीरे चलो.
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