अपनी शानदार बल्लेबाजी से दुनिया के हर मैदान पर डंका बजाने वाले भारतीय कप्तान विराट कोहली की तुलना हर कोई महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर से करता है. लेकिन सचिन के समकालिन रहे ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान और रन मशीन रिकी पोटिंग ने दोनों के बीच किसी भी तरह की तुलना को गलत बताया है.


पोंटिंग ने कहा, ‘‘करियर के इस मोड़ पर दोनों की तुलना सही नहीं है और वह भी ऐसे खिलाड़ी से जिसने 200 टेस्ट खेले हैं. सचिन को आप उस दौर से याद करते हैं जब वह करियर के लगभग आखिरी दौर में थे न कि उस समय जब वह शुरूआत कर रहे थे या बीच के दौर में थे. हर कोई विराट की तुलना उनसे करने में लगा है लेकिन देखना होगा कि क्या वह 10, 12 , 15 साल तक अंतरराष्टूीय क्रिकेट पर दबदबा बनाये रख सकते हैं.’’


उन्होंने कहा ,‘‘सचिन ने ऐसा किया और वह भी खेल के तीनों फॉर्मेट में और यही एक असली चैम्पियन की निशानी है. दो सौ टेस्ट खेलना मामूली बात नहीं है. मैंने भी 168 खेले लेकिन दो सौ की बात ही अलग है.’’


पोंटिंग ने कहा,‘‘देखते हैं कि विराट का करियर ग्राफ कैसे जाता है. उनके करियर के खत्म होने के बाद ही उनकी तुलना सचिन से की जानी चाहिये वरना यह दोनों के साथ ज्यादती होगी.’’


विराट ने 71 टेस्ट में 23 शतक समेत 6147 रन बनाये हैं जबकि सचिन ने 200 टेस्ट में 15921 रन बनाए हैं जिनमें 51 शतक शामिल हैं. वनडे में सचिन के नाम 463 मैचों में 49 शतक समेत 18426 रन हैं जबकि विराट ने 211 वनडे में 35 शतक से 9779 रन बनाए हैं.


हाल ही में इंग्लैंड दौरे पर मिली नाकामी के संदर्भ में विराट की कप्तानी के बारे में पूछने पर पोंटिंग ने कहा कि उनके लिये कप्तानी सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं है.


ऑस्ट्रेलिया के सबसे सफल कप्तानों में शुमार पोंटिग ने कहा ,‘‘मैंने टेस्टसीरीज के सारे मैच नहीं देखे. कुछ घंटे का खेल ही देखा है लेकिन मेरे लिये कप्तानी में मैदान से ज्यादा मैदान के बाहर का पहलू अहम है.’’


उन्होंने कहा ,‘‘मैदानी भाग मसलन गेंदबाजी में बदलाव, फील्ड का जमावड़ा ये सब तीस से चालीस प्रतिशत ही है और बाकी हिस्सा मैदान से बाहर मैच से तीन-चार दिन पहले की तैयारी है. वह काफी मायने रखती है.’’



भारत में खिलाड़ी के तौर पर और मुंबई इंडियंस के कोच के रूप में अनुभव के बारे में पूछने पर पोंटिंग ने कहा कि भारत में खेलकर वह बेहतर क्रिकेटर बने.


उन्होंने कहा ,‘‘मैं पचास से ज्यादा बार भारत जा चुका हूं लेकिन शुरूआती दौरे आसान नहीं थे. जब मैंने भारत की संस्कृति को और माहौल को समझा तो मैं बेहतर खेल सका. मैं युवा क्रिकेटरों से भी कहता हूं कि भारत में खेलने के लिये पहले भारत को समझो जो हमारे देश से अलग है लेकिन क्रिकेट का जुनून हमारा साझा है.’’