BY - KUNTAL CHAKRABORTY


फॉर्मेट बदलने के साथ ही क्रिकेट की रणनीति भी बदल गई है. टेस्ट मैच में जहां साउथ अफ्रीकी गेंदबाजी भारतीय बल्लेबाजों को तेच और उछाल पिच पर स्विंग से परेशान करने की कोशिश में थे वहीं अब वनडे सीरीज के लिए उन्होंने अपनी रणनीति बदल ली है. वांडर्रस के मैदान पर हरी घास के साथ उतरने की उनकी रणनीति घातक साबित हुई. भारतीय टीम ने तेज और उछाल भरी पिच पर अफ्रीका को मात देकर मेजबान टीम की चाल नाकाम कर दी.


दोनों ही टीम टेस्ट मैच को पीछे छोड़ अब वनडे की तैयारी में लग गई है. 1 फरवरी से छह मैचों की वनडे सीरीज शुरू होगी. पहला मुकाबला डरबन के किंग्समीड मैदान पर खेला जाएगा. जहां मंगलवार को भारतीय टीम ने टायर के साथ कैच प्रैक्टिस की तो वहीं अफ्रीकी गेंदबाजों ने नेट पर गेंदबाजी का जमकर अभ्यास किया.


अफ्रीकी गेंदबाज जानते हैं कि वनडे क्रिकेट में भारतीय बल्लेबाज मैदान के किसी भी कोने से रन बना सकते हैं. एक बार उनका बल्ला चल गया तो उन्हें रोकना आसान नहीं होगा. इसी बात को ध्यान में रखकर अफ्रीका के तेज गेंदबाजों ने यॉर्कर की खास प्रैक्टिस की.


प्रैक्टिस के दौरान पिच पर एक रबर का टुकड़ा रखा गया जिसे अफ्रीकी गेंदबाजों ने अपने निशाने पर रखा. अफ्रीका के तेज गेंदबाज मोर्ने मोर्कल,क्रिस मॉरिस लुंगी एनगीडी और कागिसो रबाडा ने बारी बारी से अपनी यॉर्कर की धार तेज की. इससे प्रैक्टिस के साथ यह भी तय लग रहा है कि कप्तान फाफ डूप्लेसिस इन्हीं गेंदबाजों के साथ मैच में उतर सकते हैं.


यॉर्कर गेंद की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस पर बल्लेबाज खुल कर शॉट नहीं लगा पाते. छोटे फॉर्मेट में अंतिम के ओवरों में काफी कारगर हथियारों में इसे गिना जाता है. जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार अपने इस गेंद से विरोधी बल्लेबाजों को खासा परेशान करते रहे हैं.


अब देखना होगा कि क्या मैच के दौरान अफ्रीकी गेंदबाजों भारत के धुरंधर बल्लेबाजों के सामने इस गेंद का सही इस्तेमाल कर पाते ही नहीं.