नई दिल्ली: सचिन तेंदुलकर पर बनी फिल्म ‘सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स’ मैदान की तरह ही रूपहले पर्दे पर भी दर्शकों का मनोरंजन कर रही है. फिल्म के अंदर कई ऐसे पहलुओं से पर्दा उठाया गया जिसके बारे में शायद ही सचिन या क्रिकेटप्रेमी जानते हों. सचिन तेंदुलकर भारतीय क्रिकेट का सबसे बड़ा नाम हैं. उनके इर्दगिर्द भी पहुंच पाना कितना मुश्किल है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक लगाए हैं.
‘सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स’ की पहली कड़ी में हमने आपको बताए थे सचिन की निजी ज़िंदगी से जुड़े कई राज़ और आज हम आपको बताने जे रहे हैं मैदान से जुड़े सचिन के कई दिलचस्प किस्से.
बच्चों के गेंद रोकने पर घबरा गए थे सचिन:
साल 2004 से 2006 के बीच सचिन के करियर का एक ऐसा समय भी आया जब सचिन खुद से हार मानकर अपना करियर खत्म मान बैठे थे. इस दौरान सचिन को सबसे ज्यादा परेशान और दर्द देने वाली चोट 'टेनिस एल्बो' हुई. जिसके बाद सचिन अपने हाथ से दरवाज़ा खोलना या पानी का गिलास भी नहीं उठा पाते थे. सचिन ने बताया कि चोट से उबरने की कोशिश के वक्त जब वो नेट्स पर प्रेक्टिस करते थे तो उनके शॉट्स 10-12 यार्ड के अंदर छोटे-छोटे बच्चे भी रोक पा रहे थे.
इस वक्त सचिन को लगा अब सब खत्म हो गया और अब आगे उनका करियर नहीं चल पाएगा. लेकिन सचिन कहां हार मानने वाले थे. उन्होंने इन सभी चीज़ों को पीछे छोड़ते हुए चोट से उबर एक बार फिर मैदान पर दमदार वापसी की.
सचिन की ज़िंदगी में 'देवदूत' बन आए विवियन रिचर्ड्स:
सर विवियन रिचर्ड्स को अपना आदर्श मानने वाले लिजेंड सचिन ने फिल्म में उनका भी ज़िक किया है. विश्वकप 2007 में जब भारतीय टीम हारकर टूर्नामेंट से पहले दौर में भी बाहर हो गई. इसके बाद क्रिकेट फैंस और मीडिया की तलवार सचिन तेंदुलकर पर लटक गई. इस दौरान सचिन खासे परेशान हुए और उन्होंने विश्वकप जीतने के अपने सपने को छोड़ क्रिकेट जगत से संन्यास लेने का मन बना लिया.
लेकिन तभी भगवान की तरह सर रिचर्डस ने सचिन से बात की. उन्होंने कहा, 'अभी तुम्हे इंडिया के लिए बहुत कुछ करना है, अभी तुम्हारी ज़िंदगी में बहुत कुछ होना बाकी है. जिसके बाद सचिन ने खेल जारी रखने का फैसला किया.
किसी के दिए गुडलक को बैड लक मानते थे सचिन:
सचिन ने फिल्म में बताया कि अकसर किसी भी अंतराष्ट्रीय मैच से तकरीबन 15-20 घंटे पहले वो मैच की तैयारियों में जुट जाते थे. वो पहले ही अपना बैग तैयार कर अपनी चीज़ों को संभालने लगते थे. लेकिन पूरी तैयारी के बाद अगर कोई मैच से पहले उन्हें गुडलक बोल दे तो वो इसे बेहद खराब मानते थे. मैच से पहले सचिन जो एक चीज़ नहीं चाहते थे वो था कि कोई भी उन्हें गुडलक विश ना करे.
मुश्किल और परेशानी वाली सिचुएशन में बप्पी लहरी का गाना सुनते थे सचिन:
जितना बड़ा स्टार उतनी ज्यादा परेशानियां और प्रेशर सिचुएशन. अकसर सचिन के साथ भी ऐसा ही होता था. सचिन और उनके दोस्तों ने फिल्म के दौरान बताया कि जब भी सचिन मुश्किल या अंडर प्रेशर होते थे तो वो बप्पी लहरी का मशहूर गीत,'याद आ रहा है तेरा प्यार' गाना सुनते और गुनगुनाते थे.
भूखे पेट पाकिस्तान से भिड़ गई टीम इंडिया:
विश्वकप 2011 की भारत और पाकिस्तान की टक्कर हर खेलप्रेमी के ज़हन में ज़िंदा होगी. लेकिन इसका एक किस्सा शायद ही फैंस जानते हों. सिक्योरिटी कारणों की वजह से पाकिस्तान के खिलाफ मोहाली में सेमीफाइनल मैच से पहले टीम इंडिया को खाना नहीं मिल पाया. जिससे पूरी टीम काफी परेशान थी. तभी सचिन ने साथी खिलाड़ियों को मोटिवेट करते हुए कहा 'अगर इतनी ही भूख लगी है तो मैदान पर जाकर भूख मिटाओ. विरोधी टीम के विकेट लो रन बनाओ और अपनी भूख शांत करो.'
जब विराट को लगा वो शमशान में जा रहे हैं:
विश्वकप 2011 के फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम श्रीलंका से मिले लक्ष्य का पीछा करने उतरी. टीम की सबसे बड़ी उम्मीद सचिन तेंदुलकर 7वें ओवर में ही 18 रन बनाकर आउट होकर वापस पवेलियन लौट गए. इसके बाद पूरा मैदान एकदम शांत हो गया. फिल्म में विराट कोहली बताते हैं कि 'जिस समय मैं मैदान पर बल्लेबाज़ी करने आ रहा था. मैदान इतना शांत था कि मानो वहां बहुत कुछ हो गया हो. जब मैं मैदान पर एक-एक कदम बढ़ा रहा था तो मुझे लग रहा था मानो मैं शमशान की ओर बढ़ रहा हूं.'
2011 विश्वकप फाइनल में सहवाग को टॉयलेट जाने से रोके रखा:
सचिन तेंदुलकर और वीरेंदर सहवाग विश्वकप 2011 में भारतीय टीम के ओपनिंग बल्लेबाज़ थे. लेकिन जब ये दोनों ही आउट होकर वापस ड्रेसिंग रूम में पहुंच गए तो जिम्मा संभाला धोनी और गंभीर ने. फिल्म में सहवाग ज़िक्र करते हैं और बताते हैं कि उस दौरान जब तक टीम इंडिया मैच जीत नहीं गई. तब तक सचिन ने वीरू को अपने साथ बैठाकर रखा. इस दौरान सहवाग को बहुत तेज़ टॉयलेट भी लगी लेकिन सचिन ने मैच खत्म होने से पहले उन्हें वहां से हिलने नहीं दिया.