नई दिल्ली/मुंबई: सचिन तेंडुलकर और विनोद कांबली के बीच आयी हुई अब दूरियां खत्म हो चुकी है. दो पुराने यारो के बीच फिरसे एक गहरा रिश्ता बन गया है. इस की तस्वीर देखने को मिली मुंबई टी20 लीग के पुरस्कार समारोह में.
आइये जानें कैसे एक बार फिर एक-दूसरे से मिल गए सचिन-कांबली:
इस लीग के फाइनल मे शिवाजी पार्क लायन्स टीम को हार का सामना करना पड़ा. विनोद कांबली लायंस टीम के मेण्टॉर हैं. जब कांबली रनरअप टीम का अपना मेडल लेने मंच पर पहुंचे तो सुनील गावस्कर ने वह मेडल जान बूझकर सचिन के हाथो से कांबली को पहनाया. जैसे ही सचिन ने वह मेडल कांबली को पहनाया, तो उन्होने झुककर सचिन के पैर छू लिए. इसके बाद सचिन ने भी हंसते हंसते अपने दोस्त को उठाकर गले लगा लिया. ये घटना साबित करती है कि सचिन और कांबली के मन एक-दूसरे के प्रति कितनी इज्जत है.
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जब भी क्रिकेट की दुनिया में दोस्ती की बात होती है तो सबसे पहले जो दो चेहरे हमारे आंखों के सामने आते हैं वो सचिन तेंडुलकर और विनोद कांबली ही है. सचिन-कांबली की दोस्ती की मिसाल उनके स्कूल के दिनों से दी जाती है. दोनों स्टार्स ने मुंबई के क्रिकेट ग्राउंड में एक साथ क्रिकेट के गुर सीखें और फिर देश के लिए एक साथ रन भी बनाए. सचिन और कांबली के बचपन कोच भी एक ही रहे. इन दोनों ने रमाकांत आचरेकर से क्रिकेट के गुर सीखे.
इससे पहले भी दोनों में दिखी है करीबी:
इससे पहले भी हाल ही में सचिन और कांबली की मुलाकात मुंबई क्रिकेट के 500वें मैच के मौके पर हुई थी. जिसके बाद सचिन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक कांबली के साथ एक तस्वीर भी साझा की थी.
इतना ही नहीं बीते जनवरी कांबली के जन्मदिन के मौके पर सचिन ने उन्हें जन्मदिन की बधाई दी थी. सचिन ने कांबली के साथ पुरानी तस्वीरें साझा कर लिखा था, 'तुम जियो हज़ारो साल, साल के दिन हो हज़ार. जन्मदिन की शुभकामनाएं कांबली.
जब कांबली ने लगाए थे सचिन पर आरोप:
सचिन और कांबली दोस्ती में उस वक्त दरार आ गई थी, जब कांबली ने जुलाई, 2009 में एक टीवी शो में यह कह दिया था कि सचिन ने उन्हें क्रिकेट में वापसी के लिए मदद नहीं की. इसके बाद मास्टर ब्लास्टर ने 2013 में अपने 200वें टेस्ट खेलने के बाद रिटायरमेंट के दौरान वानखेड़े स्टेडियम में दी गई स्पीच में सभी दिग्गज़ों का नाम लिया. लेकिन कांबली का कहीं भी जिक्र नहीं किया.