सचिन तेंदुलकर और वीरेन्द्र सहवाग को वनडे क्रिकेट के सबसे खतरनाक सलामी जोड़ियों में गिना जाता है. दोनों ने मिल कर विश्व के कई बड़े गेंदबाजों की जमकर धुनाई करते हुए टीम इंडिया को जीत दिलाई है लेकिन दोनों की जोड़ी कैसे बनी इसके पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है. संन्यास के बाद दोनों ही खिलाड़ियों एक साथ इस राज से पर्दा हटाया.


सचिन और सहवाग विक्रम साठे के चर्चित शो what the duck में एक साथ आए और कई सारे राज खोले जिसमें ड्रेसिंग रूम से लेकर पहली मुलाकात तक की बात शामिल है. बातों बातों में दोनों ने बताया कि कैसे भारतीय टीम को सचिन और सहवाग के रूप में सलामी जोड़ी मिली.


दोनों ने 2003 विश्व कप से पहले कुछ मुकाबलों में सलामी जोड़ी निभाई थी लेकिन वो सफल नहीं हो पाए थे. खुद कप्तान सौरव गांगुली उस वक्त सलामी बल्लेबाज के रूप में उतरते थे. 1997 से उन्होंने सचिन के साथ मिलकर पहले विकेट के लिए कई रिकॉर्ड साझेदारी की थी लेकिन सहवाग के आने के बाद समीकरण बदलने लगा था. गांगुली सहवाग के साथ सलामी जोड़ी बना रहे थे और सचिन चौथे नंबर पर बल्लेबाजी कर रहे थे लेकिन 2003 विश्व कप में शुरुआती हार के बाद टीम में बड़ा बदलाव हुआ और भारत की सलामी जोड़ी बदल गई.


2003 विश्व कप शुरू होने से पहले भारत को प्रैक्टिस मैच में हार मिली थी. इतना ही नहीं ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी भारत को करारी हार मिली. जिसके बाद भारतीय टीम अगल मुकाबला खेलने जिम्बॉब्वे गई. कोच जॉन राइट सलामी जोड़ी को लेकर काफी परेशान थे और सचिन से सीधा सवाल कर चुके थे कि उन्हें कहां खेलना है. सचिन ने पहले तो कहा कि जहां टीम चाहे लेकिन राइट अड़े रहे और सचिन से ये कहलवाने में सफल रहे कि उन्हें टीम के लिए ओपनिंग करनी है.


इसके बाद टीम का सारा खेल बदला और फिर सभी 15 खिलाड़ियों को उनकी सलामी जोड़ी चुनने को कहा गया. 15 में से 14 खिलाड़ियों ने सचिन-सहवाग की जोड़ी को चुना जबकि सिर्फ एक वोट गांगुली के फेवर में था (सहवाग कहते हैं कि ये वोट दादा का ही होगा). जिसके बाद दोनों ने भारत को लगभग हर मैच में अच्छी शुरुआत दिलाई और भारत फाइनल तक पहुंचा.


क्या हुआ था पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले में
2003 विश्व कप का सबसे यादगार मुकाबला पाकिस्तान के साथ था. दोनों ही ने भारत को तेज शुरुआत दिलाई थी लेकिन मैच से पहले सहवाग वसीम अकरम को लेकर काफी नर्वस थे. मुकाबले को याद करते हुए सहवाग ने कहा कि वो फील्डिंग के दौरान बार बार सचिन से कह रहे थे कि पहला ओवर अकरम लेकर आएगा आप स्ट्राइक ले लेना, लेकिन सचिन उन्हें यही कह रहे थे कि मैं नॉन स्ट्राइकर हूं. सहवाग पारी के दौरान से लेकर ड्रेसिंग रूम तक सचिन से स्ट्राइक लेने कि गुजारिश कर रहे थे लेकिन सचिन मान ही नहीं रहे थे. दोनों बल्लेबाजी के लिए आए और जैसे ही 30 यार्ड के सर्कल को पार किया सचिन स्ट्राइक लेने चले गए.


सचिन ने कहा कि उस वक्त पाकिस्तान के पाचों गेंदबाज काफी अहम थे खास तौर पर वसीम.शोएब और वकार. उनका मानना था कि पहले 5-6 ओवर उन्हें विकेट न दें क्योंकि वो पूरी कोशिश करेंगे इस दौरान विकेट लेने की. लेकिन इसके बाद सचिन और सहवाग ने मैच का रूख ही बदल दिया.


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