कार पर लगी खरोंच कभी भी उसके मालिक को खुशी नहीं देती लेकिन महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर सबसे अलग हैं. सचिन अपनी कार पर लगी खरोंचों को ‘खुशनुमा खरोंच ’ कहते हैं क्योंकि इन खरोचों में उनकी पहली और एकमात्र विश्व कप जीत की यादे हैं.
अपना 45 वां जन्मदिन मना रहे तेंदुलकर ने याद किया कि किस तरह 2011 में भारत के 28 साल बाद दूसरा विश्व कप जीतने के जश्न के दौरान उनकी कार पर खरोंचें आ गई थी.
क्रिकेट लेखक बोरिया मजूमदार की किताब ‘इलेवन गॉड्स एंड ए बिलियन इंडियन्स’ के लॉन्च के दौरान तेंदुलकर ने कहा, ‘‘हमारे विश्व कप जीतने के बाद, अंधविश्वासी होने के कारण अंजलि ( तेंदुलकर ) मैदान पर नहीं आना चाहती थी. मैंने उसे फोन किया और कहा कि तुम घर पर क्या कर रही हो. तुम्हें यहां ड्रेसिंग रूम में होना चाहिए, हम जश्न मना रहे हैं.’’
उन्होंने कहा , ‘‘किसी तरह वह स्टेडियम तक पहुंच गई और जब वह यहां आ रही थी तो स्टेडियम के बाहर लोग नाच रहे थे, जश्न मना रहे थे और कारों के ऊपर कूद रहे थे.
यह जश्न हालांकि उस समय कुछ देर के लिए रुक गया जब फैन्स ने अंजलि को पहचान लिया.
उन्होंने कहा , ‘‘फैन्स ने कहा कि हम इस कार को नहीं छू सकते, इस कार पर हम कुछ नहीं कर सकते. किसी तरह वह स्टेडियम के अंदर आई और इसके बाद हम सभी ने ड्रेसिंग रूम में जश्न मनाया. जब होटल वापस जाने का समय आया तो मैंने कार देखी और हैरान था कि कार की छत पर काफी खरोंचें थी. ’’
तेंदुलकर ने कहा , ‘‘ड्राइवर ने कहा कि मैडम को छोड़ने के बाद, सभी ने कार के ऊपर कूदना और नाचना शुरू कर दिया इसलिए मैंने कहा कि ये खरोंचे हमेशा मुझे विश्व कप के यादगार लम्हों की याद दिलाएंगे और इसलिए मैं इन्हें ‘ खुशनुमा खरोंच ’ कहता हूं.’’