Sachin Tendulkar 50th Birthday: मास्टर-ब्लास्टर के जीवन में बहुत अहमियत रखते हैं एक रुपए के वे 13 सिक्के, कुछ ऐसी है यह दिलचस्प कहानी
Sachin Tendulkar: सचिन तेंदुलकर का आज जन्मदिन है. वह 50 वर्ष के हो चुके हैं. क्रिकेट की दुनिया में उन्हें एक अलग मुकाम हासिल है. हम उनके क्रिकेट करियर की शुरुआत से जुड़ा एक खास किस्सा लेकर आए हैं.
Sachin Tendulkar Birthday: सचिन तेंदुलकर क्रिकेट प्रेमियों के लिए महज एक स्टार बल्लेबाज कम और भावनात्मक पहलू ज्यादा रहे हैं. वह दुनिया के महानतम बल्लेबाजों में से एक हैं. क्रिकेट वर्ल्ड में उनके व्यक्तित्व का दायरा इतना व्यापक है कि वह खुद ही क्रिकेट का पर्याय बन चुके हैं. यही वजह है कि उनको चाहने वाले उन्हें क्रिकेट का भगवान मानते हैं. क्रिकेट का यह सुपरस्टार आज अपना 50वां जन्मदिन मना रहा है. इस मौके पर उनके जीवन से जुड़े एक ऐसे पहलू की बात करेंगे जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है.
तेंदुलकर के द्रोणाचार्य यानी कोच रमेश आचरेकर का सचिन को क्रिकेट का अभ्यास कराने का तरीका बिल्कुल अलहदा था. वह सचिन को सफल क्रिकेटर बनाने के लिए क्रीज पर विकेट के नीचे एक रुपए का सिक्का रख देते थे. इसके पीछे उनका मकसद यह होता था कि सचिन न थकने की सीमा तक जाकर मैदान में किक्रेट खेलते रहें. यदि किसी गेंदबाज ने सचिन को आउट कर दिया तो यह सिक्का उस गेंदबाज का हो जाता था. सचिन आउट नहीं हुए तो यह सिक्का उन्हीं का हो जाता था. सचिन ने अपने गुरु यानी आचरेकर से ऐसे ही 13 सिक्के जीते जो अभी भी उनके पास हैं.
सचिन के गुरु आचरेकर उन्हें बल्लेबाजी में निपुण बनाने के लिए ऐसा करते थे. यहां पर इस बात का जिक्र करना भी जरूरी है कि आचरेकर ऐसा उस समय करते थे जब सचिन लगातार प्रैक्टिस किया करते थे, जब वे थक जाया करते थे, तब कोच स्टंप में एक रुपए का सिक्का रख दिया करते थे, जिससे सचिन आगे खेलते रहें.
इसका नतीजा यह हुआ कि सचिन को लगातार क्रिकेट खेलते रहने की आदत सी हो गई और बेहद छोटी उम्र में उन्हें इंटरनेशनल डेब्यू का मौका मिल गया. 15 नवंबर 1989 को सचिन ने पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच के साथ इंटरनेशनल डेब्यू किया. इसके बाद वह 24 साल तक वह लगातार क्रिकेट खेलते रहे. नवंबर 2013 में उन्होंने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लिया. इस पूरे दौर में वह वर्ल्ड क्रिकेट पर छाए रहे.
सचिन की यह सफलता क्रिकेट के प्रति अनुशासन, समर्पण और जुनून का अनुकरणीय उदाहरण जैसा है. बेहद छोटी उम्र में किक्रेट का बल्ला थामने वाले सचिन तेंदुलकर आज भी सीमा से परे जाकर इस खेल से प्यार करते हैं. उनकी असाधारण उपलब्धियां और जीवन के तरीके ये बताते हैं कि उनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है.
सचिन के क्रिकट से प्यार पर आ चुकी हैं कई रचनाएं
सचिन तेंदुलकर पर प्लेइंग इट माई वेः माई ऑटोबायोग्राफी बाय सचिन तेंदुलकर, सचिन तेंदुलकरः ए डेफिनिटिव बायोग्राफी बाय वैभव पुरंदरे, सचिन तेंदुलकरः द मैन क्रिकेट लव्ड बैक, सचिन बॉर्न टू बैटः द जर्नी ऑफ क्रिकेट्स अल्टीमेट सेंचुरियन बाय खालिद एएच अंसारी, विनिंग लाइक सचिनः थिंक एंड सक्सेस लाइक तेंदुलकर, सचिन तेंदुलकरः द गॉड ऑफ क्रिकेट इन डेप्थ विथ ग्राहम बेनसिंगर पॉडकास्ट जैसे अमूल्य कृति व डाक्यूमेंट्री उनके जीवन में गोता लगाने के लिए उनके प्रशंसकों को न केवल मजबूर करते हैं बल्कि उनके शानदार करियर के ऐतिहासिक क्षणों पर चर्चा करने को विवश भी कर देती हैं. इसी तरह जेम्स एर्स्किन द्वारा निर्देशित सचिनः ए बिलियन ड्रीम्स डॉक्यूमेंट्री स्पोर्ट्स फिल्म 2017 में रिलीज़ हुई थी. फिल्म को हिंदी, मराठी और अंग्रेजी में शूट किया गया था. बाद में उसे तमिल और तेलुगु में भी रिलीज़ किया गया.
14वें साल में बनाया था एतिहासिक रिकॉर्ड
24 अप्रैल 1973 को मुंबई के राजापुर के मराठी ब्राह्मण रमेश तेंदुलकर के परिवार में सचिन का जन्म हुआ था. सचिन को अपना पहला बल्ला 11 साल की उम्र में मिला. जीवन के 14वें साल में उन्होंने इसका उपयोग कर हरिस शिल्ड स्कूल क्रिकेट प्रतियोगिता में विनोद कांबली के साथ खेलते हुए 664 रन बनाने का विश्व रिकॉर्ड बनाया. यहां सचिन ने 329 रन बनाए थे. इसके एक साल बाद ही उन्होंने मुंबई के लिए खेलते हुए अपने प्रथम श्रेणी मैच में शतक जमाया. 16 साल 205 दिन की उम्र में वह भारत के लिए सबसे कम उम्र में इंटरनेशनल डेब्यू करने वाले क्रिकेटर बन गए.
18 की उम्र में ऑस्ट्रेलिया में शतक और 23 की उम्र में कप्तानी
वह जब महज 18 साल के ही थे, तब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में दो शतक बनाए और 1994 में उन्होंने वेस्ट इंडीज के खिलाफ 179 रन की पारी खेली. अगस्त 1996 में केवल 23 साल की उम्र में वह भारतीय टीम का कप्तान भी बन गए. 1996 के विश्व कप के सेमीफाइनल में भारतीय टीम की हार के बावजूद तेंदुलकर 523 रन के साथ टूर्नामेंट के शीर्ष रन स्कोरर रहे. 1998 में उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए चुना गया.
सुनील गावस्कर को पछाड़ा
2003 के विश्व कप में तेंदुलकर ने टीम को फाइनल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई, लेकिन भारत को ऑस्ट्रेलिया से हार का मुंह देखना पड़ा. सचिन ने दिसंबर 2005 में उस समय इतिहास रच दिया जब उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट मैच में रिकॉर्ड तोड़ 35वां शतक बनाया. यह कारनामा कुल 125 टेस्ट में पूरा किया गया और वह भारतीय लीजेंड सुनील गावस्कर से आगे निकल गए.
वनडे का पहला दोहरा शतक
जून 2007 में तेंदुलकर एक और बड़े मील के पत्थर तक पहुंचे जब वह एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 15 हजार रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी बन गए. नवंबर 2011 में वह टेस्ट मैचों में भी 15 हजार रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज बने. एक महीने बाद उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक वनडे मैच में डबल सेंचुरी बनाई. ऐसा कर वह एकदिवसीय मैच की एक पारी में 200 रन बनाने वाले इतिहास के पहले व्यक्ति बने. इस सफलता के बाद उन्हें 2010 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने 'क्रिकेटर ऑफ द ईयर' नामित किया. मार्च 2012 में बांग्लादेश के खिलाफ एकदिवसीय मैच में तेंदुलकर ने अपना रिकॉर्ड सेटिंग 100वां अंतरराष्ट्रीय शतक बनाया.
इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन
सचिन ने 23 दिसंबर 2012 को वनडे क्रिकेट से संन्यास ले लिया. 16 नवंबर 2013 को मुंबई के अपने अंतिम टेस्ट मैच में उन्होंने 74 रनों की पारी खेलकर टेस्ट क्रिकेट से भी सन्यास ले लिया. इसी साल वह आईपीएल को भी अलविदा कह चुके थे. उन्होंने अपने करियर में कुल 34,357 बनाए. इसमें 15,921 टेस्ट रन शामिल हैं. यहा पर बता दें कि अपने लंबे और शानदार क्रिकेट करियर की वजह से तेंदुलकर की तुलना अक्सर ऑस्ट्रेलिया के डॉन ब्रैडमैन से की जाती रही है.
भारत रत्न से सम्मानित हैं सचिन
भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान को देखते हुए 2012 में उन्हें राज्य सभा सदस्य मनोनीत किया गया. 2014 में वह भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित हुए. इसके अलावा वह 1999 में पद्मश्री, 2001 में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार, 2008 में पद्म विभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित हैं.
यह भी पढ़ें...