एक राज्यसभा सांसद के तौर पर दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की काफी आलोचनाएं हुई. अपने छह साल के पूरे कार्यकाल में सचिन संसद में कम ही नजर आए. लेकिन कार्यकाल खत्म होने के बाद उन्होंने सबकी वाहवाही लूट ली. सचिन ने राज्यसभा सांसद के रूप में अपनी पूरी सैलरी और एलाउंसेस प्रधानमंत्री राहत कोष में दान कर दिए. उनका कार्यकाल हाल ही में खत्म हुआ था.


2012 में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान सचिन और दिग्गज अभिनेत्री रेखा को राष्ट्रपति ने राज्यसभा का सदस्य मनोनित किया था. 2014 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था. बतौर सांसद के रूप में उनकी उपस्थिति सिर्फ 7.3 प्रतिशत रही. अपने कार्यकाल के दौरान सचिन सिर्फ 29 सेशन में उपस्थित हुए जबकि इस दौरान कुल 400 सेशन हुए. सचिन ने सिर्फ 22 सवाल पूछे जबकि एक भी बिल पटल पर लेकर नहीं आए.


पिछले छह सालों में तेंदुलकर को सैलरी के रूप में लगभग 90 लाख रूपये और अन्य मासिक भत्ते मिले थे.


प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी आभार पत्र जारी किया है जिसमें लिखा गया है, ‘‘प्रधानमंत्री ने इस सहृदयता के लिये आभार व्यक्त किया है. यह योगदान संकटग्रस्त लोगों को सहायता पहुंचाने में बहुत मददगार होगा.’’


तेंदुलकर ने हालांकि सांसद निधि का अच्छा उपयोग किया था. उनके कार्यालय से जारी आंकड़ों में उन्होंने देश भर में 185 परियोजनाओं को मंजूरी देने तथा उन्हें आवंटित 30 करोड़ रूपये में से 7.4 करोड़ रूपये शिक्षा और ढांचागत विकास में खर्च करने का दावा किया है. हाल ही में उन्होंने कश्मीर में स्कूल का निर्माण कराया जिसके लिए राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने उनका शुक्रिया भी अदा किया.




सांसद आदर्श ग्राम योजना कार्यक्रम के तहत तेंदुलकर ने दो गांवों को भी गोद लिया जिनमें आंध्र प्रदेश का पुत्तम राजू केंद्रिगा और महाराष्ट्र का दोंजा गांव शामिल है.