तेंदुलकर मुंबई इंडियंस के और लक्ष्मण सनराइजर्स हैदराबाद के मेंटोर हैं.
हितों के टकराव के आरोप का यह तीसरा मामला है. इनसे पहले पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को कैब अध्यक्ष, सीएसी सदस्य और दिल्ली कैपिटल्स के सलहकार के तौर पर तीन भूमिका निभाने के लिये न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जैन के समक्ष सुनवाई के लिए पेश होना पड़ा था.
ये तीनों सीएसी का हिस्सा थे, जिन्होंने जुलाई 2017 में सीनियर राष्ट्रीय कोच रवि शास्त्री का चयन किया था जो उनकी अंतिम बैठक थी.
हालांकि, बीसीसीआई सूत्रों से पता चला है कि तेंदुलकर का मुंबई इंडियंस से कोई वित्तीय करार नहीं है और तीनों सीएसी के सदस्य के तौर पर स्वेच्छिक सेवा कर रहे हैं.
बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘क्योंकि गांगुली को नोटिस जारी किया गया था, लोकपाल ने शायद दोनों तेंदुलकर और लक्ष्मण को भी नोटिस जारी किया है. लेकिन मैं पुष्टि कर सकता हूं कि तेंदुलकर मुंबई इंडियंस से एक भी पैसा नहीं लेते. वह सिर्फ स्वैच्छिक सेवा कर रहे हैं. बीसीसीआई में भी उन्हें सीएसी में अपनी सेवाएं देने के लिए एक भी पैसा नहीं दिया गया.’’
न्यायमूर्ति जैन ने नोटिस में तेंदुलकर और लक्ष्मण दोनों को 28 अप्रैल तक आरोपों का लिखित जवाब देने और साथ ही बीसीसीआई से भी जवाब देने को कहा है. यह शिकायत मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) के सदस्य संजीव गुप्ता ने दायर की है.
लोकपाल ने यह भी कहा कि जवाब देने में असफल होने के बाद उन्हें अपने विचार रखने का और कोई मौका नहीं दिया जाएगा. बुधवार को 46वां जन्मदिन मनाने वाले तेंदुलकर और लक्ष्मण टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे.