(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
WTC फाइनल: संजय मांजरेकर ने जडेजा को घेरा, कहा- बतौर बल्लेबाज चुनने का दांव पड़ा भारी
टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी संजय मांजरेकर ने कहा है कि भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ डब्ल्यूटीसी फाइनल में दो स्पिनरों को उतारकर गलती की. मांजरेकर ने कहा है कि जडेजा को उनकी बल्लेबाजी के लिए चुनना भारत के लिए उल्टा पड़ा क्योंकि एक विशेषज्ञ बल्लेबाज को खिलाना बेहतर हो सकता था. उन्हेंने कहा कि जडेजा को उनकी गेंदबाजी के बजाए बल्लेबाजी के लिए चुना गया था और यह एक ऐसी चीज है जिसके मैं हमेशा खिलाफ रहा हूं.
टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी संजय मांजरेकर ने कहा है कि भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में दो स्पिनरों को उतारकर गलती की. भारत ने रविचंद्रन अश्विन और ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा के रूप में दो स्पिनरों को उतारा था, जबकि न्यूजीलैंड की टीम तेज गेंदबाजों के साथ मैदान में उतरी थी. मैच का अधिकांश हिस्सा खराब मौसम से प्रभावित हुआ और रिजर्व डे के दिन मैच का फैसला हुआ. छठे दिन न्यूजीलैंड ने भारत ने आठ विकेट से हराकर खिताब जीता.
मांजरेकर का मानना है कि तेज गेंदबाजों के अनुकूल परिस्थितियों को देखते हुए दो स्पिनरों को खेलना हमेशा एक बहस का विषय रहता है. मांजरेकर ने कहा, " दो स्पिनरों को चुनना हमेशा एक बहस का विषय था, खासकर जब मौसम खराब था और टॉस में एक दिन की देरी हुई थी. उन्होंने जडेजा को चुना. उन्हें स्पिन गेंदबाजी के कारण नहीं चुना गया था. जडेजा को उनकी बल्लेबाजी के लिए चुना गया था और यह एक ऐसी चीज है जिसके मैं हमेशा खिलाफ रहा हूं."
टीम के लिए विशेषज्ञ खिलाड़ी को चुनना होगा
मांजरेकर ने कहा है कि जडेजा को उनकी बल्लेबाजी क्षमताओं के लिए चुनना भारत के लिए उल्टा पड़ा क्योंकि एक विशेषज्ञ बल्लेबाज को खिलाना अच्छा हो सकता था. उन्होंने कहा “आपको टीम में विशेषज्ञ खिलाड़ियों को चुनना होगा और अगर उन्हें लगता है कि पिच सूखी और टर्निंग थी, तो वे अश्विन के साथ-साथ अपने बाएं हाथ के स्पिन के लिए जडेजा को चुनते तो यह समझ में आता. लेकिन उन्होंने उसे उसकी बल्लेबाजी के लिए चुना और मुझे लगता है कि वह फैसला उल्टा पड़ गया, जैसा कि ज्यादातर होता है.,"
इंग्लैंड की गलतियों से सीखने की सलाह
मांजरेकर ने आगे कहा “उदाहरण के लिए अगर उनके पास हनुमा विहारी जैसा एक विशेषज्ञ बल्लेबाज होता, जिसके पास बहुत अच्छा डिफेंस है तो आसानी होती. शायद स्कोर 170 220, 225 या 230 हो सकता था, कौन जानता है?" उन्होंने भारत को इंग्लैंड द्वारा अतीत में से सीखने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि किसी को एडिशनल स्ट्रेन्थ के लिए चुनने से वह स्ट्रेन्थ कभी काम आती है कभी नहीं. लेकिन दबाव में खेलते समय ऐसा बहुत कम होता है.
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