घरेलू क्रिकेट मैच में शानदार प्रदर्शन के बावजूद सरफराज खान की इंडियन टीम में सिलेक्शन नहीं होने पर बवाल मचा है. दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने सरफराज के चयन नहीं होने पर बीसीसीआई और चयनकर्ताओं पर सवाल उठाए हैं. गावस्कर का कहना है कि फिटनेस के नाम पर सिलेक्शन नहीं करना बेमानी है.


सरफराज के टीम में सिलेक्शन नहीं होने को लेकर सोशल मीडिया में भी उबाल है. यूजर्स बीसीसीआई को टैग कर सवाल पूछ रहे हैं. कई यूजर्स सिलेक्शन नहीं होने के पीछे मजहब को भी वजह बता रहे हैं. सरफराज ने हाल ही में क्रिकेट के पिता माने जाने वाले सर डॉन ब्रेडमैन का रिकॉर्ड तोड़ा था.




अब जानिए डॉन ब्रैडमेन का रिकॉर्ड
रन- 2377
एवरेज- 79.23
सर्वाधिक- 340
शतक- 10
अर्धशतक- 7


टीम इंडिया में चयन की क्राइटेरिया क्या?


1. घरेलू क्रिकेट में परफॉर्मेंस- बीसीसीआई के एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि चयन के लिए सबसे पहली क्राइटेरिया घरेली मैच में परफॉर्मेंस है. रणजी ट्रॉफी, विजय हजारे ट्रॉफी और ईरानी ट्रॉफी में खिलाड़ियों के परफॉर्मेंस को देखा जाता है. 


इन तीनों श्रेणी के मैच के अलावा इंडियन प्रीमियर लीग में परफॉर्मेंस भी टीम इंडिया में सिलेक्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हालांकि, इन सभी श्रेणी में लंबे वक्त का भी रिकॉर्ड देखा जाता है. 


2. यो-यो टेस्ट भी बना मापदंड- टीम में सिलेक्शन को लेकर फिटनेस भी जरूरी पैमाना बन गया है. इसके लिए बीसीसीआई की ओर से यो-यो टेस्ट लिया जाता है. इस टेस्ट में कुल 23 राउंड होते हैं, जिसमें से खिलाड़ियों को 16.5 प्वॉइंट लाना होता है.


यो-यो टेस्ट की वजह से युवराज सिंह, अंबाती रायुडू, सुरेश रैना, मोहम्मद शमी, संजू सैमसन और वरुण चक्रवर्ती जैसे खिलाड़ी टीम इंडिया में कई बार सिलेक्ट नहीं हो पाए हैं. 


सरफराज दोनों में पास, फिर चयन क्यों नहीं?
सरफराज के पिता नौशाद खान ने एबीपी से बात करते हुए कहा कि सरफराज यो-यो टेस्ट में भी पास हो गया था और उसका घरेलू मैच में भी प्रदर्शन शानदार है. उन्होंने आगे बताया कि सरफराज मुझसे बार-बार पूछता है कि उसका चयन क्यों नहीं हो पा रहा है?


नौशाद ने आगे बताया कि जब बांग्लादेश टीम के लिए उसका सिलेक्शन नहीं हुआ तो उसने मुझसे पूछा- मैं क्या करूंगा, जिससे मेरा चयन हो सके? मेरे पास उसके सवालों का कोई जवाब नहीं था.


दोनों क्राइटेरिया में पास होने के बावजूद किसी खिलाड़ी का सिलेक्शन नहीं भी हो सकता है? इसकी पड़ताल में दो बातें सामने आई है.


1. खिलाड़ी की पोजिशन महत्वपूर्ण- टीम इंडिया में सिलेक्शन के वक्त खिलाड़ी के पोजिशन को भी ध्यान में रखा जाता है. उदाहरण के लिए कोई नया खिलाड़ी 3 नंबर पर आकर बेहतरीन बैटिंग करता है, लेकिन टीम इंडिया में नंबर 3 पर विराट कोहली खेलते हैं. ऐसे में विराट के रहते उस खिलाड़ी का सिलेक्शन मुश्किल है.


इसके बड़ी वजह खिलाड़ियों का ब्रांड नाम भी है. चूंकि बीसीसीआई का पूरा बिजनेस ब्रांड और पैसा पर ही चलता है. ऐसे में बड़े खिलाड़ियों को टीम में रखना भी जरूरी है.


2. कास्ट और लोकेशन भी मायने- टीम इंडिया के टॉप-15 में जगह पाने के लिए कास्ट और लोकेशन भी मायने करता है. अलग-अलग जोन होने की वजह से खिलाड़ियों के सिलेक्शन पर भी प्रभाव पड़ता है.


बीसीसीआई में जिस जोन का दबदबा रहता है, उस जोन के खिलाड़ियों को तरजीह मिलती है. इसके अलावा जाति और धर्म भी सिलेक्शन में एक फैक्टर बनता है. हालांकि, इस पर बीसीसीआई और अन्य क्रिकेट संस्था कुछ भी बोलने से परहेज करती है.


वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल बीसीसीआई में जातिवाद को लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठाते रहे हैं. मंडल ट्वीट कर लिखते हैं- आईपीएल की वजह से ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक खिलाड़ी सुर्खियों में तो आए गए, लेकिन टीम इंडिया में जगह नहीं पाते हैं. इसके पीछे जाति बड़ी वजह है.


चयन को लेकर विवाद नया नहीं
सरफराज खान से पहले भी कई खिलाड़ियों के चयन नहीं होने को लेकर विवाद हुआ है. इनमें सूर्यकुमार यादव, पृथ्वी शॉ और संजू सैमसन का नाम प्रमुख हैं. इन सभी खिलाड़ियों का परफॉर्मेंस बेहतरीन रहा है, लेकिन हाल के दिनों में टीम इंडिया में इनके चयन नहीं होने पर काफी बवाल मचा था. 


खिलाड़ियों के चयन को लेकर कड़ी प्रतिस्पर्धा को देखते हुए हाल ही में बीसीसीआई ने समीक्षा बैठक बुलाई थी. रिपोर्ट के मुताबिक इस मीटिंग में 3 फैसले लिए गए. 



  • सीनियर खिलाड़ियों को वर्कलोड मैनेजमेंट पर ध्यान देना होगा, जिससे मैच का प्रेशर न रहे.

  • इमर्जिंग खिलाड़ियों को घरेलू मैच में लगातार खेलना होगा, ताकि ऑप्शन तैयार रहे.

  • सीनियर और इमर्जिंग दोनों स्तर के खिलाड़ियों को फिटनेस पर ध्यान देना होगा. 


अब जाते-जाते सरफराज विवाद पर 3 बयान भी पढ़ लीजिए...


1. वेंकेटेश प्रसाद, पूर्व क्रिकेटर- तीन ब्लॉकबस्टर घरेलू सीजन के बावजूद सरफराज खान का टीम इंडिया में सिलेक्शन नहीं होना घरेलू क्रिकेट को गाली देने जैसा है. चयनकर्ता यह बताना चाह रहे हैं कि घरेलू क्रिकेट का कोई महत्व ही नहीं है. 


2. सुनील गावस्कर, पूर्व क्रिकेटर- किसी क्रिकेटर का शरीर या कद-काठी देखकर टीम इंडिया में सेलेक्शन नहीं करना चाहिए. चयन का मापदंड यह होना चाहिए कि व्यक्ति क्रिकेट के लिए फिट है या नहीं? स्लिम बॉडी चाहिए तो बीसीसीआई को मॉडल शो में जाना चाहिए. 


3. मिलिंद रेगे, पूर्व क्रिकेटर- मिड-डे को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि बयानबाजी छोड़ सरफराज को खेल पर ध्यान देना चाहिए. बीसीसीआई पर हास्यास्पद टिप्पणियां करने से चयन में मदद नहीं मिलेगी.