सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से कहा- " लागू करें लोढ़ा कमिटी की सिफारिशें नहीं तो जारी करेंगे आदेश"
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से कहा- " लागू करें लोढ़ा कमिटी की सिफारिशें नहीं तो जारी करेंगे आदेश"
नई दिल्लीः सुधारों को लेकर बीसीसीआई के लचर रवैये पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी जताई है. कोर्ट ने कहा है - "अब हम इस बारे में आदेश जारी करेंगे."
सुप्रीम कोर्ट आज बीसीसीआई में सुधार के लिए बनाई गई जस्टिस लोढ़ा कमिटी की रिपोर्ट पर सुनवाई कर रहा था. देश में क्रिकेट को चलाने वाली संस्था में सुधार के लिए इस कमिटी का गठन सुप्रीम कोर्ट ने ही किया है.
लोढ़ा कमिटी की शिकायत है कि बीसीसीआई के आला अधिकारी सुधारों को लागू करने में रोड़े अटका रहे हैं. कमिटी ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वो बीसीसीआई के सभी अधिकारियों को हटा कर अपनी तरफ से 3 प्रशासकों की नियुक्ति करे.
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने बीसीसीआई को कल तक बिना शर्त ये लिखित में देने को कहा कि वो लोढ़ा कमिटी की हर सिफारिश का पालन करेगा. लेकिन बीसीसीआई के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि बोर्ड के लिए कल तक इस तरह फैसला लेना संभव नहीं है. इससे नाराज कोर्ट ने आदेश पारित करने की बात कही.
सुधारों को लेकर आनाकानी कर रहे बीसीसीआई की दलील थी कि राज्य क्रिकेट संघों पर उसका नियंत्रण नहीं है. सभी संघों के बहुमत से ही कमिटी की सिफारिशें लागू हो सकती हैं. इस पर कोर्ट ने पूछा - "ऐसे राज्य संघों को करोड़ों रूपये क्यों दिए जा रहे हैं? या तो उनसे लोढ़ा कमिटी के निर्देशों का पालन करवाएं या फंड रोक दें. इन संघों को पहले दिए पैसे भी वापस लिए जाने चाहिए."
इस मामले में अदालत की तरफ से सलाहकार नियुक्त किए गए वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू के आचरण पर भी सवाल उठाए. काटजू सुप्रीम कोर्ट के आदेश और लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को गैरकानूनी बता रहे हैं.
गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा - "काटजू एक पूर्व जज के रूप में अपनी हैसियत का दुरूपयोग कर रहे हैं. वो बीसीसीआई के इशारे पर बयान दे रहे हैं. बीसीसीआई पहले उनसे बयान दिलवाती है, बाद में पल्ला झाड़ लेती है." सुब्रमण्यम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और उसकी कमिटी का सम्मान बनाए रखना ज़रूरी है. कोर्ट को बीसीसीआई के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई करनी चाहिए.
गुरुवार को लगभग 3 घंटे चली गंभीर सुनवाई में हल्का-फुल्का मौका तब आया जब चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर ने कहा कि वो भी क्रिकेटर हैं. दरअसल, चीफ जस्टिस ने जानना चाहा था कि बीसीसीआई में कुल कितने पदाधिकारी हैं और उनमें कौन क्रिकेट का जानकार है. उन्होंने पूछा कि बोर्ड के अध्यक्ष क्या करते हैं? क्या वो राजनेता हैं?
इस सवाल के जवाब में कपिल सिब्बल ने माना कि बोर्ड के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर राजनेता हैं. लेकिन इसके तुरंत बाद उन्होंने ठाकुर को क्रिकेट खिलाड़ी भी बता दिया. कोर्ट के सलाहकार गोपाल सुब्रमण्यम ने इस दावे का मज़ाक बनाया. इससे पूरे कोर्ट में हंसी की लहर दौड़ गई.
इस हल्के माहौल में चीफ जस्टिस ने भी कहा - यहाँ सब क्रिकेटर हैं. मैं भी एक क्रिकेट मैच में जजों की टीम का कैप्टन था. कपिल सिब्बल ने बात को संभालते हुए कहा - "बीसीसीआई अध्यक्ष अपने राज्य के लिए रणजी क्रिकेट खेल चुके हैं."
सुनवाई के अंत में कोर्ट ने अदालत ने मौजूद सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार से पूछा कि इस पूरे मामले पर केंद्र सरकार का क्या रुख है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार सभी खेलों में सुधार के लिए एक कानून बनाने जा रही है. इसका ड्राफ्ट तैयार किया जा चुका है.