नई दिल्ली: 4 जनवरी को भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तान एमएस धोनी ने वनडे और टी20 की कप्तानी छोड़ने के फैसले के बाद अपने सभी फैंस को एक बड़ा झटका दिया था. जिसके बाद भारतीय क्रिकेट से लेकर विश्व क्रिकेट से भी कई दिग्गज़ों ने धोनी के इस फैसले को सम्मान देते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी लेकिन धोनी का ये फैसला के आने के बाद अगले 3 दिन तक एक ऐसा नाम खामोश रहा जो अकसर हर मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय रखता है.
जी हां हम बात कर रहे हैं वीरेंद्र सहवाग की. धोनी के कप्तानी छोड़ने के फैसले पर चुप्पी साधे सहवाग ने अब सफाई देते हुए 7 जनवरी को एक ट्वीट कर कहा, 'आज 7 तारीख है और लिमिटेड ओवर क्रिकेट से कप्तानी छोड़ने पर उनके लिए मेरी तरफ से ये सम्मान है.'
सहवाग ने क्रिकेट टॉकीज़ नाम की वेबसाइट पर कहा, ' कप्तान धोनी ने कप्तानी छोड़ दी है ये मेरी सोच से थोड़ा जल्दी हो गया, 7 नंबर कप्तान धोनी का पसंदीदा नंबर है. मैदान पर बतौर कप्तान और खिलाड़ी उनकी सकिल्स बेहतरीन है लेकिन मैदान से बाहर वो और भी शानदार इंसान हैं. इससे अच्छा और क्या हो सकता है कि अपने आखिरी वनडे मुकाबले में वो अपने साथियों खिलाड़ियों के साथ अपने नाम वाली जर्सी पहनकर मैदान पर उतरे, आगे वो अपने जीवन में जो भी करें उसके लिए मैं उन्हें शुभकामनाए देना चाहता हूं.'
आपको बता दें कि कप्तान एमएस धोनी नंबर 7 को अपना लकी नंबर मानते हैं. अकसर मैदान पर भी वो 7 नंबर की जर्सी में ही नज़र आते है और अब सहवाग ने इतने समय चुप रहने के अपने कारण को 7 तारीख को जग-ज़ाहिर कर दिया. सहवाग लंबे समय तक एमएस धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया का हिस्सा रहे हैं. साल 2007 और 2011 विश्वकप के दौरान भी सहवाग धोनी की कप्तानी वाली टीम का हिस्सा थे.
धोनी की अगुआई में भारत पहली बार टेस्ट में नंबर-1 की कुर्सी पर बैठा.
एकदिवसीय में धोनी ने कुल 199 मैचों में टीम का नेतृत्व किया. दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर माने जाने वाले धोनी ने टीम को कप्तान रहते कुल 110 मैचों में जीत दिलाई जबकि 74 मुकाबलों में उन्हें हार मिली. चार मुकाबले टाई और 11 मैचों का कोई परिणाम नहीं निकला. कप्तान रहते हुए एक बल्लेबाज के तौर पर भी धोनी कामयाब रहे. उन्होंने कप्तान रहते एकदिवसीय में 54 का औसत और 86 के स्ट्राइक रेट से 6,683 रन बनाए.