भारतीय क्रिकेट फैंस अगर भूल गए हैं तो याद कराना जरूरी है कि पिछले साल जब कोच के लिए खोज चल रही थी तब भी रवि शास्त्री मैदान में थे. विराट कोहली से उनकी नजदीकियां तब भी लोगों को पता थीं. सचिन तेंडुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण को भी पता था कि विराट कोहली रवि शास्त्री को पसंद करते हैं.
सचिन तेंडुलकर और सौरव गांगुली दोनों भारतीय टीम की कप्तानी कर चुके हैं. सौरव गांगुली को तो लंबे समय तक सफल कप्तानी करने का तजुर्बा है. लक्ष्मण भी भारतीय टीम के अहम खिलाड़ियों में रहे हैं. इन तीनों ही दिग्गजों को पता है कि एक कामयाब टीम के लिए कोच की अहमियत क्या होती है और उसका रोल क्या होता है.
इन बातों की अच्छी खासी समझ के बाद इन तीनों ने रवि शास्त्री के दावे को नजरअंदाज करके अनिल कुंबले को ये जिम्मेदारी सौंपी थी. इस बात को जानते हुए भी कि अनिल कुंबले को ‘प्रोफेशनल कोचिंग’ का कोई तजुर्बा नहीं है. आज एक साल बाद बात घूम-फिरकर फिर वहीं आ गई है. एक बार फिर रवि शास्त्री ने कोच का दावा ठोंका है. बड़ा फर्क ये है कि इस बार अनिल कुंबले दावेदार नहीं हैं. वो इस जिम्मेदारी को कुछ दिन पहले ही भारी मन से छोड़ चुके हैं.
सचिन-सौरव-लक्ष्मण बनाम विराट कोहली
इस ताजा घटनाक्रम को इस नजरिए से इसलिए देखा जा रहा है क्योंकि पिछली बार कोच की खोज के दौरान रवि शास्त्री और सौरव गांगुली में अनबन हो गई थी. रवि शास्त्री को यहां तक कहते सुना गया था कि आखिर सौरव गांगुली को उनसे क्या समस्या है. रवि शास्त्री और सौरव की इस खींचतान को एक साल पहले की उस दावेदारी से जोड़कर देखा गया जब दोनों टीम डायरेक्टर के उम्मीदवार थे. उस वक्त वो जिम्मेदारी रवि शास्त्री को दे दी गई थी.
रवि शास्त्री को पिछली बार जब नहीं चुना गया तो उन्होंने काफी निराशा दिखाई थी. उन्होंने कहा था कि अव्वल तो शॉर्टलिस्ट किए गए लोगों में अनिल कुंबले थे ही नहीं दूसरा इंटरव्यू के दौरान सौरव गांगुली खुद भी मौजूद नहीं थे. इस बात को लेकर दोनों में काफी दिन तक अनबन रही. यहां ये समझना चाहिए कि इस बार भी कोच की खोज में सचिन-सौरव-लक्ष्मण की भूमिका अहम बताई जा रही है. जो खिलाड़ी पिछली बार इनकी पसंद नहीं था वो इस बार कैसे पसंद होगा. जाहिर है इस बार इन तीनों दिग्गज खिलाड़ियों को बोर्ड की तरफ से ये संकेत दे दिया गया होगा कि बतौर कोच रवि शास्त्री ही विराट कोहली की पसंद हैं. ऐसे में बोर्ड के इस संदेश और विराट की इस जिद के प्रति इन तीनों दिग्गजों का रवैया देखना अभी बाकी है.
कुंबले जिस तरह से कोच की जिम्मेदारी छोड़ कर गए हैं, उसके बाद से विराट की कार्यशैली की आलोचना हुई है. उन पर तमाम तरह के सवाल खड़े किए गए हैं. कुंबले की काबिलियत और समर्पण को लेकर कोई सवाल खड़े नहीं कर सकता है. उन्होंने जाने से पहले विराट कोहली के साथ जिस तरह के रिश्तों को सार्वजनिक किया है वो सचिन-सौरव और लक्ष्मण को भी पता है.
कोई नहीं जानता कि इन तीनों दिग्गज खिलाड़ियों के मन में अभी क्या है. सहवाग की दावेदारी भी पूरे मामले को दिलचस्प बना रही है. वो भी तब जबकि ये बात हर किसी को समझ आ रही है कि विराट कोहली रवि शास्त्री के नाम पर अड़ गए हैं.
रवि शास्त्री रहे हैं ‘मेक शिफ्ट अरेंजमेंट’
असल में रवि शास्त्री टीम इंडिया के लिए ‘मेकशिफ्ट अरेंजमेंट’ की तरह पिछले करीब एक दशक से आते जाते रहे हैं. आपको याद दिला दें कि 2007 विश्व कप में शर्मनाक प्रदर्शन के बाद बीसीसीआई ने रवि शास्त्री को बांग्लादेश के दौरे पर डायरेक्टर बना कर भेजा गया था.
ये पहला मौका था जब रवि शास्त्री को ये जिम्मेदारी दी गई थी. कुछ साल बाद रवि शास्त्री ने ये जिम्मेदारी महेंद्र सिंह धोनी के कप्तान रहते हुए भी निभाई है. ये उस वक्त की बात है जब भारतीय टीम इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज में बुरी तरह हारी थी. तब टीम के कोच डंकन फ्लेचर हुआ करते थे. जाहिर है रवि शास्त्री को ‘क्राइसिस मैनेजमेंट’ का मास्टर माना जाता है.