कोलकाता: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और ग्रेग चैपल के बीच हुए विवाद को एक दशक से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन गांगुली के लिये इसे भूलना नामुमकिन है.


ग्रेग चैपल के समय में टीम सेलेक्शन विवाद के बारे में गांगुली ने क्रिकेट इतिहासकार बोरिया मजूमदार द्वारा लिखी ‘‘इलेवन गोड्स एंड ए बिलियन इंडियंस’’ किताब में उन्होंने इसके बारे में खुलकर बात की है. इस किताब में भारत और विदेश में क्रिकेट के अंदर और इसके बाहर के बारे में लिखा गया है.


पांच सौ पन्ने की इस किताब का विमोचन इंडियन प्रीमियर लीग के दौरान किया जायेगा.


गांगुली ने सितंबर 2005 में बुलावायो में जिम्बाब्वे के खिलाफ पहले टेस्ट से पहले हुई घटनाओं को याद करते हुए कहा, ‘‘एक दिन शाम में ग्रेग मेरे पास आये और मुझे एक टीम दिखायी जिसे उन्होंने टेस्ट मैच के लिये चुना था. उनकी प्लेइंग इलेवन में कुछ अहम खिलाड़ी नहीं थे और मैं थोड़ा हैरान हो गया कि वह क्या करना चाह रहे थे. ’’


चैपल ने जुलाई 2005 में मुख्य कोच के तौर पर पदभार संभाल लिया था, गांगुली पर धीमी ओवर गति के लिये मार्च 2005 में छह मैच का प्रतिबंध लगा हुआ था और राहुल द्रविड़ अंतरिम कप्तान थे. इसके बाद सितंबर 2005 में जिम्बाब्वे दौरे पर गांगुली को फिर से टीम की कप्तानी सौंपी गयी थी.


गांगुली ने कहा, ‘‘दौरे के शुरू से ही कुछ चीज सही नहीं थी. मैं नहीं जानता कि क्या हुआ था लेकिन निश्चित रूप से किसी चीज की कमी थी. ’’


उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि कुछ लोग जो ग्रेग के करीबी बन गये थे, उन्होंने उन्हें बताया कि अगर मैं साथ में रहूंगा तो वह भारतीय क्रिकेट में कभी भी अपनी जगह नहीं बना सकते और इसी से ही सारी प्रतिक्रिया शुरू हुई होगी. ’’


गांगुली ने इस खराब रिश्ते के बारे में कहा, ‘‘लेकिन जो कुछ भी हो, वह जिम्बाब्वे में वो चैपल नहीं थे जिन्होंने दिसंबर 2003 में ऑस्ट्रेलियाई दौरे के लिये मुझे तैयार होने में मदद की थी. ’’


गांगुली ने स्वीकार किया कि उन्होंने चैपल के सुझाव को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनके सुझाव को खारिज कर दिया और उन्हें स्पष्ट बता दिया कि वह जिन लोगों को निकालना चाहते हैं, उन्होंने भारतीय क्रिकेट के लिये काफी बेहतर प्रदर्शन किया है जबकि उन्हें आये हुए केवल तीन ही महीने हुए हैं. उन्हें हालात को पूरी तरह से समझने के लिये कुछ समय बिताने की जरूरत है, जिसके बाद ही वे सख्त फैसले लें. लेकिन वह ‘ग्रेग चैपल’ टीम बनाने के लिये काफी आतुर थे. ’’