Sourav Ganguly: '4-5 साल बाद कुछ ही लीग बचेंगी', फ्रेंचाइजी क्रिकेट के बढ़ते क्रेज पर सौरव गांगुली का चौंकाने वाला बयान
Franchise Leagues: वर्तमान समय में ज्यादातर क्रिकेटर्स इंटरनेशनल क्रिकेट की जगह फ्रेंचाइजी क्रिकेट को तरजीह देने लगे हैं. सौरव गांगुली ने आने वाले वक्त में इस ट्रेंड में बदलाव आने की बात कही है.
Sourav Ganguly on Franchise Leagues: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और BCCI प्रेसिडेंट रह चुके सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) का मानना है कि वर्तमान समय में भले ही फ्रेंचाइजी क्रिकेट (Franchise Cricket) का खूब क्रेज है लेकिन 4-5 साल बाद इनमें कुछ ही लीग बच पाएंगी. उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल क्रिकेटर्स राष्ट्रीय टीम की ओर से खेलने की जगह फ्रेंचाइजी लीग को तरजीह दे रहे हैं लेकिन कुछ सालों बाद यह ट्रेंड पलटेगा और प्लेयर्स फिर से अपने देश को प्राथमिकता देना शुरू कर देंगे.
फिलहाल, दुनियाभर में फ्रेंचाइजी क्रिकेट जमकर खेली जा रही है. इसी साल ही दक्षिण अफ्रीका और यूएई में फ्रेंचाइजी लीग शुरू हुई है. ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, वेस्टइंडीज और बांग्लादेश में भी पिछले कुछ सालों से ऐसी टी20 फ्रेंचाइजी लीग खेली जा रही है. यह सब भारत में IPL की सफलता के बाद शुरू हुई हैं. उधर, इंग्लैंड में 'दी हंड्रेड' लीग ने क्रिकेट फैंस को नया टेस्ट दिया है. इन लीग के जरिए खिलाड़ी कम समय देकर अच्छा पैसा कमा सकते हैं. ऐसे में ज्यादातर क्रिकेटर्स इन लीगों का हिस्सा बनना चाहते हैं.
सौरव गांगुली से जब एक कार्यक्रम के दौरान क्रिकेट के इस नए ट्रेंड से जुड़ा सवाल किया गया तो उन्होंने साफ-साफ लहजे में बता दिया कि यह सब ज्यादा दिन तक चलने वाला नहीं है. गांगुली ने कहा, 'हम दुनिया भर की फ्रेंचाइजी लीग पर चर्चा करते रहते हैं. इनके मुकाबले IPL बेहद अलग तरह की लीग है. ऑस्ट्रेलिया में BBL का अच्छा रिस्पॉन्स है. इंग्लैंड में द हंड्रेड ने बहुत अच्छा किया है और दक्षिण अफ्रीका में भी SA20 का पहला सीजन अच्छा जा रहा है. ये सभी लीग उन देशों में हो रही है जहां क्रिकेट को बहुत पसंद किया जाता है.'
'खिलाड़ी फिर से राष्ट्रीय टीम को देने लगेंगे तरजीह'
सौरव गांगुली कहते हैं, 'मुझे लगता है कि अगले 4-5 साल में कुछ ही लीग बचेंगी. मुझे यह भी पता है कि वे कौन कौन सी लीग होंगी. वर्तमान में तो हर खिलाड़ी नई फ्रेंचाइजी लीग से जुड़ना चाहता है, लेकिन आने वाले वक्त में उन्हें पता चल जाएगा कि किस लीग का भविष्य है और किसका नहीं. ऐसे में वह चुनिंदा लीग में ही खेलेंगे और इसके साथ ही वह इन लीगों की बजाय राष्ट्रीय टीम की ओर से खेलने को प्राथमिकता देने लगेंगे.'
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