भारतीय बल्लेबाज एक बार फिर साउथ अफ्रीकी जमीन पर पूरी तरह विफल नजर आए. डेब्यू मैच खेल रहे लुंगी नगिडी की अगुआई में मेजबान टीम के गेंदबाजों ने उन्हें घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया. साउथ अफ्रीका ने सुपरस्पोर्ट पार्क मैदान पर खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में भारत को 135 रनों से शिकस्त दे दी. इसी के साथ साउथ अफ्रीका ने तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में 2-0 की अजेय बढ़त हासिल कर ली है. केपटाउन में खेले गए पहले टेस्ट मैच में साउथ अफ्रीका ने भारत को 72 रनों से हराया था.

पिच को देखने के बाद भारत की उम्मीद जागी थी लेकिन अंत में कप्तान विराट कोहली को हार से ही संतुष्ट होना पड़ा. ये हार कोहली को लंबे समय तक याद रहेगी क्योंकि उनके नेतृत्व में टीम के विश्व विजेता बनने का सपना टूट गया. कोहली की कप्तानी में भारत के सीरीज जीत का सिलसिला 9 टेस्ट के बाद थम गया.


मैच में कोहली ने भले ही शतक लगाया हो लेकिन हार के कई कारण बने.


1- कोहली की कप्तानी - बतौर बल्लेबाज तो कोहली पहली पारी में सफल रहे. उन्के बल्ले से 153 रनों की शानदार पारी निकली लेकिन बतौर कप्तान उनकी काफी आलोचना हुई. सबसे पहले उनकी आलोचना प्लेइंग इलेवन के चयन को लेकर हुई जहां भुवनेश्वर कुमार को शामिल न करना उन्हें दिग्गजों के निशाने पर ला दिया. पहले टेस्ट में छह विकेट लेने वाले भुवी को कोहली ने इस मैच से बाहर रखा और उनकी जगह इशांत शर्मा को शामिल किया. शर्मा ने कुल पांच विकेट लिए लेकिन 86 रन भी लुटा गए. बल्ले से तो उनसे उम्मीद बेईमानी ही होगी.


कोहली की कप्तानी की दूसरी सबसे बड़ी आलोचना हुई मोहम्मद शमी की गेंदबाजी को लेकर. उन्होंने चौथे दिन शमी को देर से गेंद थमाई. शमी को विराट ने दिन के 12वें और पारी के 40वें ओवर में गेंद दी. शमी ने उसके बाद अफ्रीका के तीन बड़े बल्लेबाज आउट कर दिए. शमी ने गेंद पकड़ी और उसके महज 6.3 ओवर में सिर्फ 19 रन पर अफ्रीका के तीन विकेट गिर गए. तीनों विकेट शमी ने लिए लेकिन 54वें ओवर में विराट ने उन्हें फिर से हटा दिया. जबकि शमी ने अपने इस स्पैल में 3 विकेट लिए. शमी ने टीम इंडिया को मैच में वापसी का रास्ता दिखाया लेकिन सिर्फ 7 ओवर बाद कप्तान ने उन्हें हटा दिया. शमी की गेंदबाजी में फिर वापसी हुई पूरे 28 ओवर के बाद वो भी एक ओवर के लिए. जबकि टी के बाद शमी ने फिर भारत को सफलता दिलाई थी. शमी पहले गेंदबाजी पर आते तो संभव है कि अफ्रीका की दूसरी पारी जल्द आउट हो जाती और भारत के सामने छोटा लक्ष्य होता.


2- सलामी बल्लेबाजों को 'सलाम' - टेस्ट क्रिकेट में भारत की सबसे बड़ी समस्या रही है सलामी जोड़ी की. जो एक बार फिर दिखी. कोहली ने शिखर धवन को बाहर कर लोकेश राहुल को मुरली विजय का पार्टनर बनाया लेकिन दोनों ही पारी में सलामी बल्लेबाज नई गेंद के लाल रंग को भी हल्का नहीं कर पाए. पहली पारी में जहां पहले विकेट के लिए 28 रनों की साझेदारी हुई वहीं दूसरी पारी में सिर्फ 11 रनों की. राहुल दोनों पारी में सिर्फ 14 रन जोड़ पाए(पहली पारी में 10 दूसरी में 4) वहीं विजय के बल्ले से 55 रन आए.







 


3- चेतेश्वर 'रन आउट' पुजारा - भारत के टेस्ट इतिहास में पहली बार हुआ कि कोई बल्लेबाज दोनों पारी में रन आउट हुआ. टेस्ट विशेषज्ञ का दर्जा पाने वाले पुजारा ने दोनों ही पारी में अपने विकेट की अहमियत नहीं समझ पाए. पहली पारी में पहली ही गेंद पर करीबी रन लेने की कोशिश में विकेट गंवा बैठे तो दूसरी पारी में जहां टीम से उनके टिक कर खेलने की उम्मीद थी वहां अपने विकेट को तोहफे स्वरूप भेंट कर आए. चौथे विकेट के लिए पुजारा और पार्थिव पटेल ने अफ्रीकी गेंदबाजों को 15 ओवर तक इंतजार कराया लेकिन इसके बाद खुद पुजारा अपनी गलती से अपना विकेट फेंक कर चले गए.


4- गेंदबाज ऑलराउंडर बने हार्दिक पांड्या - एक बल्लेबाज ऑलराउंडर के रूप में टेस्ट टीम में शामिल हुए हार्दिक पांड्या इस मैच में गेंदबाज ऑलराउंडर की तरह दिखे. दोनों ही पारी में उन्होंने अपने विकेट की अहमियत नहीं समझी. पहली पारी में जहां एक स्कूल ब्वॉय की तरह गलती कर रन आउट हो गए तो दूसरी पारी में नाजुक स्थिति में पहुंच चुकी मैच में बाहर जाती गेंद को शरीर से दूर अपर कट खेलने की कोशिश कर दी. मैच में उनके बल्ले से 21 रन आए.


5- 'रोहित शर्मा' की तलाश जारी - कप्तान विराट कोहली ने रोहित शर्मा को टीम में लेने का एक मात्र कारण बताया था उनका फॉर्म. पहले टेस्ट में फेल होने के बाद भी उन्हें दूसरे टेस्ट में अजिंक्य रहाणे की जगह टीम में रखा गया. पहली पारी में 10 रन बनाने के बाद दूसरी पारी में उनके बल्ले से सबसे अधिक 47 रन निकले लेकिन अभी तक रोहित के टीम में बने रहने की अहमियत किसी को समझ नहीं आई. उम्मीद है कि अगले टेस्ट में या तो रोहित बदले जाएं या फिर उनकी फॉर्म वापस आ जाए.