SAvsIND: पांच खिलाड़ी जिनके करियर के लिए निर्णायक होगी टेस्ट सीरीज
तीन टेस्ट मैचों का पहला टेस्ट केपटाउन में खेला जाएगा और पहले टेस्ट के साथ ही इन पांच खिलाड़ियों पर सबकी निगाहें तेज हो जाएंगी. तीन मैचों की सीरीज काफी कुछ इनके भविष्य की रूप-रेखा तय कर सकती है.
नई दिल्ली: पांच जनवरी से भारतीय क्रिकेट टीम नए साल की शुरुआत करेगी. बेहतरीन होम सीजन के बाद अब भारतीय टीम विदेशी दौरे पर है जिसकी शुरुआत साउथ अफ्रीका से होगी. तीन टेस्ट मैचों का पहला टेस्ट केपटाउन में खेला जाएगा और पहले टेस्ट के साथ ही इन पांच खिलाड़ियों पर सबकी निगाहें तेज हो जाएंगी. तीन मैचों की सीरीज काफी कुछ इनके भविष्य की रूप-रेखा तय कर सकती है.
जसप्रीत बुमराह
63 अंतरराष्ट्रीय मैच में 96 विकेट लेने के बाद तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह टेस्ट कैप पहने की ओर हैं. साउथ अफ्रीका दौरे के लिए उन्हें पहली बार टेस्ट टीम में शामिल किया गया है. कोच रवि शास्त्री भी मानते हैं कि बुमराह के लिए टेस्ट टीम में जगह बनाने का यही सही समय है लेकिन सही समय का आकलन सीरीज के बाद ही किया जाएगा. भारत के पास अभी मोहम्मद शमी, उमेश यादव, भुवनेश्वर कुमार और ईशांत शर्मा जैसे तेज गेंदबाज हैं. बुमराह को पहले तीसरे गेंदबाज के रूप में भुवी और ईशांत से दो-दा हाथ करने होंगे. दूसरी तरफ ये भी देखना होगा कि वनडे और टी 20 फॉर्मेट से निकलकर टेस्ट में किस तरह की गेंदबाजी करते हैं. आमतौर पर बुमराह को डेथ ओवरों का बॉलर माना जाता है, जहां अपने यॉर्कर से बल्लेबाजों को खासा परेशान किया है. रन रुकने के कारण उन्हें विकेट भी मिले. लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उन्हें बल्लेबाजों को आउट करने वाली गेंद को ढूंढना होगा. साथ ही उन्हें अपने नोबॉल पर भी काफी काम करना होगा. छोटे फॉर्मेट में कई बार देखा गया है कि बुमराह को उस गेंद पर विकेट मिले हैं जो बाद में नोबॉल करार दी गई होती है. टेस्ट क्रिकेट में ऐसी गलती टीम को काफी भारी पड़ सकती है.
हार्दिक पांड्या
टेस्ट मैच की तीन पारी में पांड्या ने एक शतक और एक अर्द्धशतक के साथ कुल 178 रन बनाए हैं. कहा जा सकता है कि एक आदर्श शुरुआत पांड्या ने सबसे लंबे फॉर्मेट में की है. भारतीय टीम को भी लंबे समय से एक तेज गेंदबाज ऑलराउंडर की जरूरत थी और पांड्या में वो खूबी दिखती भी है. लेकिन अब उनकी असली परीक्षा शुरू होगी. एक तरफ जहां टेस्ट टीम में वो नंबर छह पर बल्लेबाजी की दावेदारी पेश करेंगे तो वहीं गेंदबाजी में तीसरे या चौथे गेंदबाज के रूप में होंगे. श्रीलंकाई जमीन पर पांच पारी में 32 ओवर की गेंदबाजी करने वाले पांड्या ने चार विकेट झटके हैं. साउथ अफ्रीका दौरे पर जब पिछली बार इंग्लैंड ने टेस्ट सीरीज जीता था तब टीम में बेन स्टोक्स नें बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी अब देखना होगा कि क्या पांड्या उस भूमिका को भारत के लिए दोहरा पाएंगे.
डेल स्टेन
एक समय जिस गेंदबाज से दुनिया भर के बल्लेबाज डरते थे आज वो अपनी वापसी को लेकर चिंतित हैं. चोट के कारण डेल स्टेन एक साल से भी अधिक समय तक टीम से बाहर रहे हैं. स्टेन चोट के बाद अब पूरी तरह फिट हैं और वापसी के लिए तैयार हैं लेकिन उनका पूरा करियर इस सीरीज पर निर्भर हो सकता है. साउथ अफ्रीका के लिए सबसे अधिक टेस्ट विकेट लेने वाले गेंदबाज बनने की ओर बढ़ चले स्टेन ने अब तक 85 टेस्ट की 156 पारी में 22.30 की औसत से 417 विकेट चटकाए हैं. स्टेन 34 साल के हो गए हैं और उनका करियर बहुत कुछ इस सीरीज पर निर्भर करेगा.
एबी डीविलियर्स
विश्व क्रिकेट के महान बल्लेबाजों में से एक साउथ अफ्रीका के दिग्गज बल्लेबाज एबी डीविलियर्स अपने नाम क्रिकेट के कई रिकॉर्ड दर्ज करवा चुके हैं. वनडे और टी 20 क्रिकेट के साथ ही टेस्ट में उनके बल्ले का जलवा देखने को मिला है. लगातार 98 मैच खेलने वाले डीविलियर्स हालाकि इसके बाद चोट से काफी परेशान रहे. लगभग दो साल उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से दूरी बनाई रखी. 2017 के अंतिम टेस्ट में उन्होंने टीम की कप्तानी और विकेटकीपिंग दोनों की हालाकि बांग्लादेश जैसी टीम के खिलाफ भी उनके बल्ले से सिर्फ 53 रन ही निकले. 34 साल के होने वाले डीविलियर्स अपने भविष्य की रूप रेखा इस सीरीज के साथ तय कर सकते हैं. टेस्ट क्रिकेट में 8000 से ज्यादा रन बना चुके डीविलियर्स के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है. लेकिन विश्व कप 2019 से पहले उनका क्रिकेट पूरी तरह से इस बात पर निर्भर होगा कि वो कितने फिट रहते हैं. क्रिकेट में वापसी के लिए उन्होंने इस टेस्ट सीरीज को चुना है ऐसे में देखना होगा कि वो किस तरह से क्रिकेट को लेकर आगे बढ़ते हैं.
आर अश्विन
भारत के लिए टेस्ट विकेट के रिकॉर्ड के साथ सबसे तेज 300 विकेट लेने वाले अश्विन विदेशी मैदान पर अभी तक खुद को साबित नहीं कर पाए हैं. साउथ अफ्रीका में उनका रिकॉर्ड बेहद बुरा है और अभी भी उन्हें इस देश में टेस्ट विकेट का इंतजार है. 2013 में एक मैच में 42 ओवर करने के बाद भी एक बार फिर विकेट लेने का जश्न नहीं बना पाए. दूसरी तरफ उन्हें टीम में रवीन्द्र जडेजा से कड़ी टक्कर मिलती रही है खासतौर पर बात जब विदेशी दौरे की हो. दूसरी तरफ जडेजा ने यहां टीम के लिए विकेट निकाले हैं. ऐसा नहीं है कि यहां स्पिनरों को विकेट नहीं मिलता दिग्गज अनिल कुंबले और हरभजन सिंह यहां सफलता हासिल कर चुके हैं लेकिन अश्विन को अगर महान स्पिनरों की लिस्ट में शामिल होना है तो यहां विकेट निकालने होंगे. अश्विन लगातार प्रयास भी कर रहे हैं लेकिन जिस तरह से उन्हें वनडे और टी 20 मुकाबलों में नजरअंदाज किया गया है अगर विदेशी जमीन पर ऐसी ही गेंदबाजी करते रहे तो प्लेइंग इलेवन में आगे जगह बना पाना मुश्किल होता जाएगा क्योंकि भारत को आगे विदेश में ही टेस्ट मैच खेलने हैं.