पुणे: भारत के खिलाफ पहले टेस्ट में स्टीव ओकीफी के शानदार प्रदर्शन का श्रेय पाने वाले ऑस्ट्रेलिया के स्पिन सलाहकार श्रीधरन श्रीराम का मानना है कि कोच का नाम नहीं बल्कि उसके सुझाव उसे खिलाड़ियों से सम्मान दिलाते हैं.



 



भारत की ओर से आठ वनडे मैच खेलने वाले श्रीराम के मार्गदर्शन के बाद बायें हाथ के स्पिनर ओकीफी ने पहले टेस्ट में 70 रन देकर 12 विकेट चटकाए जिससे ऑस्ट्रेलिया ने मैच 333 रन से जीता.



 



श्रीराम से पूछा गया कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनका नाम बड़ा नहीं है तो क्या ऐसे में उन्हें इस भूमिका के दौरान समस्या आई. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि नाम कोई मायने रखता है, क्या ऐसा होता है. नाम कैसे मायने रखेगा. मेरे कहने का मतलब है कि अगर मैं तर्कसंगत बात करूंगा तो वे मुझे सुनेंगे, अगर मैं बकवास करूंगा तो वे ऐसा नहीं करेंगे. यह सामान्य सी बात है.’’ 



 



उन्होंने कहा, ‘‘इस ऑस्ट्रेलियाई टीम के बारे में सबसे अच्छी बात ये है कि वे बात सुनने के लिए तैयार हैं. और इसके बाद बेशक जब मैंने तर्क की बात की तो वे इसे सुनने लगे और नेट में इनका प्रयोग शुरू किया और देखा कि यह उनके लिए काम कर रही है और मुझे लगता है कि यह ऐसे हुआ.’’ 



 



श्रीराम ने कहा, ‘‘मैंने सभी से बात की, सिर्फ स्पिनरों से नहीं, मेरे मुख्य कोच से मुझे यह स्वतंत्रता मिली जो बेहतरीन है, इसलिए अगर मुझे लगता है कि कुछ किया जा सकता है तो मैं किसी से भी बात कर सकता हूं, मैं उनके पास जाता हूं और सुझाव देता हूं और यह उन पर निर्भर करता है कि वे इसे लागू करते हैं या नहीं. कुछ इनकार करते हैं और कुछ हां बोलते हैं. ’’ 



 



श्रीराम ने कहा कि ओकीफी की सफलता का तैयार रहने और प्रयोग का इच्छुक होने को दिया जाना चाहिए. यह पूछने पर कि ओकीफी ने क्या बदलाव किया, श्रीराम ने कहा, ‘‘बदलाव जरूरी नहीं, मैं सामंजस्य शब्द का इस्तेमाल करूंगा. क्योंकि भारत इतना बड़ा देश है, इसलिए कोई एक हल नहीं है. अगर आप कहते हैं कि यह चीज काम करेगी तो ऐसा नहीं होने वाला. इसलिए आपको सामंजस्य बैठाना होगा और देखना होगा कि उस दिन क्या चीज काम करती है.’’ 



 



दुबई में टीम की तैयारी के बारे में पर श्रीराम ने कहा, ‘‘आप सबसे बदतर के लिए तैयारी करते हो. इसके बाद अगर आपको सर्वश्रेष्ठ चीज मिलती है तो आप इसे स्वीकार करते हो. मुझे लगता है कि दुबई में तैयारी शानदार थी. हमने अलग अलग तरह के विकेट तैयार किए. हमने टूटते हुए विकेट. पूरी तरह से स्पिन के अनुकूल विकेट बनाए. हमने धीमी और कम उछाल वाली पिचें बनाई. इसलिए मुझे लगता है कि अलग अलग सतह के मामले में यह बेहतरीन तैयारी थी.’’ 



 



यह पूछने पर कि क्या उन्हें यह सबसे बदतर पिच देखी है तो श्रीराम ने कहा, ‘‘मैं किसी एक मैच के बारे में बात नहीं कर सकता लेकिन मैंने इससे बदतर देखा है.’’