1983 के क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारत की ऐतिहासिक जीत से पहले भारतीय क्रिकेट की सबसे बड़ी उम्मीद और सबसे जगमगाता नाम बनकर उभरे थे सुनील गावस्कर. छोटा कद लेकिन बड़ा जिगर. जिस वक्त वेस्टइंडीज की पेस चौकड़ी के सामने दुनिया के बल्लेबाज परेशान थे, तब गावस्कर बहादुरी से न सिर्फ उनका सामना कर रहे थे, बल्कि बेखौफ होकर रनों का पहाड़ खड़ा कर रहे थे. क्रिकेट जगत के सबसे बड़े बल्लेबाजों मे से एक सुनील मनोहर गावस्कर आज 71 साल के हो गए.
टेस्ट क्रिकेट में 10 हजार रन का आंकड़ा पार करने वाले पहले बल्लेबाज सुनील गावस्कर ही थे. वहीं भारत के लिए सबसे पहले 100 टेस्ट मैच खेलने वाले क्रिकेटर भी गावस्कर ही थे. लंबे वक्त तक गावस्कर के नाम टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा 34 शतक बनाने का रिकॉर्ड भी रहा, जिसे सचिन तेंदुलकर ने तोड़ा था.
अस्पताल में बदल गया था बच्चा
हालांकि ये सब रिकॉर्ड और देश के लिए क्रिकेट में इतना बड़ा योगदान देने वाले सुनील गावस्कर इस स्तर तक कभी नहीं पहुंचे होते, अगर उनके जन्म के समय हुई एक घटना पर किसी का ध्यान नहीं जाता.
दरअसल 10 जुलाई 1949 को मनोहर गावस्कर और मीनल गावस्कर के बेटे सुनील का जन्म हुआ था, लेकिन अस्पताल में उस वक्त किसी वजह से उनका बेटा बदल गया. इसके बारे में सुनील गावस्कर कई बार अपने इंटरव्यू में भी बता चुके हैं.
ऐसे ही एक इंटरव्यू ‘ब्रेकफास्ट विद चैंपियन’ में उन्होंने इसके बारे में बताया था. उन्होंने बताया कि उनके किसी रिश्तेदार ने उन्हें पहचाना था. गावस्कर ने कहा, “मेरे कान के पास पर एक छेद है. जब मैं अस्पताल में था तो मेरे एक अंकल देखने आए थे और उन्होंने इस बात को नोटिस किया था. कुछ दिन बाद जब वो दोबारा मिलने आए तो उन्होंने देखा कि ये वो बच्चा नहीं है.”
मछुआरे के घर होता पालन पोषण
गावस्कर बताते हैं कि उनके अंकल ने ये बात परिवार को बताई और फिर अस्पताल से इसको लेकर बात की. अस्पताल कर्मचारियों ने इसके बाद सुनील गावस्कर की तलाश की और पाया कि वो एक मछुआरे के बच्चे के साथ बदल गए थे.
उस दिन अगर सुनील गावस्कर के अंकल इस बात को नहीं पहचानते तो शायद ही भारत को ऐसा महान बल्लेबाज मिल पाता.
गावस्कर ने 1974 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी और वेस्टंडीज दौरे में अपनी पहली ही टेस्ट सीरीज में 774 रन जड़ डाले थे, जो 46 साल बाद आज भी एक रिकॉर्ड है. गावस्कर ने उस सीरीज में 4 शतक और 3 अर्धशतक जड़े थे.
इसके बाद गावस्कर जल्द ही क्रिकेट इतिहास के महानतम बल्लेबाजों में शामिल हो गए और 1983 में वर्ल्ड चैंपियन भी बन गए.
ये भी पढ़ें
मिताली राज को सता रहा है डर, कोरोना के कारण 2 साल पीछे चला जाएगा महिला क्रिकेट
साल 1989 में भारत- पाकिस्तान टेस्ट सीरीज के दौरान हुई थी गेंद से छेड़छाड़: किरण मोरे