नई दिल्ली: गार्नर, मार्शल, टॉमसन, इमरान, हैडली जैसे गेंदबाज़ों को बिना हेलमेट के उन्होंने 20 साल तक खेला और 10 हज़ार से ज़्यादा रन बनाए. बड़े बल्लेबाज़ तो बहुत आए हैं लेकिन टेक्निक, स्किल, अनुशासन के साथ इतना साहस शायद ही कोई भारतीय बल्लेबाज दिखा पाया है. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ओपनिंग बल्लेबाज़ी की परिभाषा बदल देने वाले सुनील गावस्कर आज 71 साल के हो गए हैं.


आज गावस्कर की एक ऐसी मज़ेदार कहानी आपको बताएंगे जो शायद ही अपने सुनी हो. साल 2004 में ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत में खेलने आई थी. 4 टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला टेस्ट मैच बेंगलुरू में था. गावस्कर इंग्लैंड गए थे और वहां से भारत वापस लौटकर सीधा टीम इंडिया के साथ बेंगलुरू में जुड़े. सौरव गांगुली ने उस सीरीज के पहले दो टेस्ट मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की थी .


सीरीज से पहले सौरव ने बीसीसीआई से कहा था कि सुनील गावस्कर को बैटिंग कंसलटेंट के रूप में भारतीय बल्लेबाजों को ट्रेनिंग कराने की अनुमति दी जाए. बोर्ड ने सौरव की बात मान ली और गावस्कर बेंगलुरू में टीम के साथ जुड़ गए. तो ऐसा हुआ कि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में सुनील गावस्कर बने भारतीय टीम के बैटिंग कंसलटेंट और ऐलान बॉर्डर ऑस्ट्रेलियाई टीम के चयनकर्ता थे.


पहले टेस्ट मैच से पहले गावस्कर हर ट्रेनिंग सेशन से पहले सौरव को कहते रहे कि टॉस की प्रैक्टिस भी करते रहो. सौरव गांगुली ने उन्हें कहा था कि क्या इससे कुछ फायदा होगा ? लेकिन सुनील गावस्कर हर ट्रेनिंग सेशन के बाद टॉस की प्रैक्टिस भी सौरव को कराते रहे. आपको विश्वास नहीं होगा कि 20 बार में लगभग 16-17 बार गांगुली ने प्रैक्टिस में टॉस जीत भी लिया.


मैच के दिन टॉस से पहले सौरव काफी कॉन्फिडेंट थे. ऑस्ट्रेलिया की तरफ से उस मैच में एडम गिलक्रिस्ट कप्तानी कर रहे थे. लेकिन मैच में उल्टा हो गया. इतनी प्रैक्टिस के बावजूद सौरव टॉस हर गए. फर्स्ट इनिंग्स में गिलक्रिस्ट और माइकेल क्लार्क दोनों बल्लेबाज़ों ने शतक जड़ा और भारत मैच हार गया. सौरव ने गावस्कर को कहा था कि सर इसके आगे वे कभी टॉस की प्रैक्टिस नहीं करने वाले हैं.


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