नई दिल्ली: पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को आज सुप्रीम कोर्ट से माफ़ी मिल गई. अब ठाकुर पर अदालत की अवमानना और कोर्ट को गलत जानकारी देने का मुकदमा नहीं चलेगा. ठाकुर ने दोनों आरोपों के लिए बिना शर्त माफ़ी मांगी थी. अदालत के आदेश के मुताबिक आज व्यक्तिगत रूप पेश हुए थे.
जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर को लोढ़ा कमिटी की सिफारिश लागू करने में अड़चन डालने के लिए उनके पद से बर्खास्त कर दिया था. उस वक्त उन्हें अवमानना का नोटिस जारी किया गया था. साथ ही कोर्ट को जान-बूझकर गलत जानकारी देने के लिए मुकदमा चलाने पर जवाब मांगा गया था.
अनुराग ठाकुर आज 2 बजे कोर्ट की कार्रवाई शुरू होने से पहले ही कोर्ट पहुँच गए. कोर्ट ने पहले बीसीसीआई से जुड़े दूसरे मामले सुने. 3.15 पर कोर्ट ने ठाकुर के वकील पी एस पटवालिया की बातें सुनीं. पटवालिया ने बिना शर्त माफ़ी मांगने का हलफनामा पढ़ा. बीसीसीआई मामले में एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम ने कोर्ट को माफ़ी मंज़ूर कर लेने की सलाह दी. 3 जजों की बेंच के अध्यक्ष जस्टिस दीपक मिश्रा ने पीछे खड़े हुए अनुराग ठाकुर को आगे बुलाया. उनसे पूछा की कि क्या वो हलफनामे में लिखी बातों से सहमत हैं. ठाकुर के हाँ कहने के बाद कोर्ट ने उन्हें माफ़ कर दिया.
आज कोर्ट ने पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और निरंजन शाह को नोटिस जारी किया. दोनों पर कमिटी ऑफ़ एडमिनिस्ट्रेटर्स ने सुधार लागू करने में अड़चन डालने का आरोप लगाया है.
कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि किसी पद के लिए अयोग्य ठहराए गए श्रीनिवासन और शाह ने राज्य क्रिकेट संघ के प्रतिनिधि के तौर पर बीसीसीआई के एसजीएम में हिस्सा लिया था. वहां उन्होंने सुधारों पर आम सहमति बनाने में बाधा डाली. जान-बूझकर समय ख़राब किया और वहां मौजूद सदस्यों को भड़काया. कोर्ट ने दोनों से पूछा है कि वो पद के अयोग्य ठहराए जाने के बाद भी मीटिंग में कैसे शामिल हुए.
मामले में अगली सुनवाई 24 जुलाई को होगी.